Uttarkashi Tunnel Rescue : जब पूरा देश 12 नवंबर को दीपों का पर्व दीपावली का त्योहार मना रहा था तो दूसरी ओर उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुरंग धंसने की वजह से 41 मजदूर टनल के अंदर ही फंस गए थे. 17वें दिन उन्हें सकुशल बाहर निकाला गया. ये रेस्क्यू ऑपरेशन हमेशा के लिए इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया. पूरा देश मजदूरों के लिए दुआ कर रहा था. मजदूरों तक सबसे पहले रैट होल माइनर्स पहुंचे. उन्होंने अपना अनुभव साझा किया. बताया कि किस तरह से मजदूरों का रिएक्शन था. आइए जानते हैं.
ऑगर मशीन के जरिए के जरिए ड्रिलिंग करके मजदूरों तक पहुंचने की कोशिश थी. कुछ मीटर पहले ही मशीन खराब हो गई. इसके बाद वर्टिकल ड्रिलिंग कराई गई. और अंत में रैट होल माइनिंग एक्सपर्ट्स को बुलाया गया. आखिरी दो मीटर की खुदाई हाथ से रैट होल माइनर्स ने की.
#WATCH | First exclusive byte of rescued worker, Vishwajeet Kumar Verma, who narrates his 17-day ordeal of being trapped in the Silkyara tunnel
— ANI (@ANI) November 29, 2023
"When the debris fell, we knew that we were stuck. For the first 10-15 hours we faced difficulty. But later, a pipe was put in to… pic.twitter.com/65X4afMVvB
रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी दो प्राइवेट कंपनियों ट्रेंचलेस इंजीनियरिंग सर्विसेस और नवयुग इंजीनियरिंग के इंजीनियर को समझ आ गया कि ये काम सिर्फ रैट माइनिंग एक्सपर्ट्स ही कर सकते हैं. इसके बाद रैट माइनिंग करने वाले 12 एक्सपर्ट्स को बुलाया गया. इन्होंने 36 घंटे से कम समय में मजदूरों को बाहर निकाल दिया.
सुरंग तक सबसे पहले रैट माइनर्स ही पहुंचे थे. रैट माइनिंग टीम का हिस्सा रहे फिरोज कुरैशी और मोनू कुमार ने बताया की जैसे ही उन्होंने आखिरी मलबा हटाया, मजदूरों के चेहरे पर जो खुशी थी पूछिए ही मत.
फिरोज कुरैशी बताते हैं कि मजदूरों ने खुशी से झूम उठे उन्होंने हमारा शुक्रिया अदा किया. कंधे पर उठा लिया. उन्हें देखकर मैं उनसे ज्यादा खुश था.
मोनू ने बताया कि मजदूर इतना खुश थे कि उन्होंने बादाम लेकर दिया. मेरा नाम पूछा. थोड़ी ही देर बाद जब बाहर आए तो साथ में हमने आधे घंटे का समय बिताया.
मोनू ने बताया कि इस ऐतिहासिक रेस्क्यू ऑपरेशन का हिस्सा बनकर बेहद खुशी महसूस हो रही है.
फिरोज और मोनू ने आखिरी दो मीटर की खुदाई हाथ से की थी. फिरोज कुरैशी रॉकवेल इंटरप्राइजेज में नौकरी करते हैं. वह दिल्ली के खजूरी में रहते हैं. उन्हें सुरंग जैसी जगहों में काम करने में महारत हासिल है.
#WATCH | Subodh Kumar Verma, a worker rescued from the Silkyara tunnel, thanks the Central and State governments for their efforts to bring out all 41 men safely
— ANI (@ANI) November 29, 2023
"The first 24 hours were tough but after that food was provided to us through a pipe. I am absolutely fine and in… pic.twitter.com/ocfBxF2HZl
12 सदस्यीय रैट माइनर्स टीम को वकील हसन लीड कर रहे थे. उन्होंने बताया कि इस रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए उनसे 4 दिन पहले संपर्क किया गया था. हमने सोमवार को दोपहर 3 बजे अपना रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया और मंगलवार शाम बजे तक हम मजदूरों तक पहुंच गएं और उन्हें सुरक्षित बाहर निकालकर ऑपरेशन को सफल बनाया.
वकील हसन ने कहा, हमने पहले ही बताया था कि इस काम के लिए 24 से 36 घंटे का समय लगेगा. हमने इस काम के लिए पैसा नहीं लिया.
12 नवंबर को सुरंग धंसने से 41 मजदूर फंस गए थे. उन्हें बाहर निकालने के लिए तेजी के साथ रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया. बड़ी-बड़ी मशीनों की मदद ली गई. परिस्थितियां इतनी अनुकूल थी कि ऑगर मशीन भी टूट गई. पहले होरिजेंटल ड्रिलिंग की गई फिर बाद वर्टिकल ड्रिलिंग और रैट माइनर्स की मदद से मजदूरों को सुरक्षित निकाला गया.