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'लिव-इन रिलेशनशिप' का ये एग्रीमेंट पढ़ लीजिए, जिसके दम पर रेप के आरोपी को मिल गई जमानत

महिला ने आरोप लगाया था कि शख्स ने लिव-इन में रहने के दौरान शादी का झांसा देकर उसका कई बार रेप किया लेकिन रेपिस्ट खिलाड़ी निकला उसने कोर्ट में लिव-इन रिलेशनशिप का एग्रीमेंट पेश किया जिसे पढ़ते ही कोर्ट ने उसे जमानत दे दी.

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Edited By: India Daily Live
man gets bail from court by showing live in relationship agreement
Courtesy: pexels

ये खबर पढ़ने के बाद आपका दिमाग चकरा जाएगा और आप रेप के आरोपी के दिमाग की दाद देने लगेंगे. इस आरोपी की चालबाजी देखिए कि इसने पीड़िता का रेप करने से पहले खुद को बचाने की पूरी कहानी बड़ी ही आसानी से रच डाली. नतीजा यह हुआ कि कोर्ट को उसे गिरफ्तार करने से पहले ही जमानत देनी पड़ी.

अब पूरा मामला समझ लीजिए

एक महिला ने मुंबई में 46 साल के एक शख्स पर रेप का मामला दर्ज किया. अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए शख्स ने कोर्ट नें अपना लिव-इन रिलेशनशिप एंग्रीमेंट पेश कर दिया. शख्स ने दावा किया एग्रिमेंट के मुताबिक दोनों एक-दूसरे पर यौन उत्पीड़न का केस दर्ज नहीं कर सकते. कोर्ट ने शख्स को 29 अगस्त को जमानत दे दी थी. हालांकि 29 वर्षीय पीड़िता ने मुंबई कोर्ट को बताया कि एग्रीमेंट पर जो हस्ताक्षर हैं वे उसके नहीं हैं.

पुलिस ने बताया कि पीड़िता बुजुर्गों की देखभाल का काम करती हैं, जबकि आरोपी एक सरकारी कर्मचारी है. महिला का आरोप है कि उसके पार्टनर ने उससे शादी का वादा कर लिव इन में रहने के दौरान उसका कई बार रेप किया. वहीं आरोपी की तरफ से कोर्ट में पेश हुए वकील ने इसे धोखाधड़ी का मामला बताया.

अब एग्रीमेंट की वो बातें पढ़ लीजिए जिसके आधार पर आरोपी को कोर्ट ने जमानत दे दी...
दोनों के बीच जो एग्रीमेंट हुआ था उसमें सात पॉइंट हैं.

1. वे दोनों 1 अगस्त 2024 से 30 जून 2025 तक साथ रहेंगे.

2. लिव इन में रहने के दौरान वे एक-दूसरे पर यौन उत्पीड़न का केस नहीं करेंगे और शांति से रहेंगे.

3. महिला पुरुष के साथ उसके घर पर रहेगी और यदि उसे उसका व्यवहार अनुचित लगता है, तो वे एक महीने का नोटिस देकर किसी भी समय अलग हो सकते हैं.

4. जब तक महिला उसके साथ रहती है, उसके रिश्तेदार उसके घर नहीं आ सकते.

5. महिला पुरुष को किसी भी प्रकार का मानसिक उत्पीड़न नहीं पहुंचाएगी.

6. यदि इस अवधि के दौरान महिला गर्भवती हो जाती है तो पुरुष को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए. 

7. यदि उत्पीड़न के कारण पुरुष को मानसिक आघात पहुंचता है, जिससे उसका जीवन बर्बाद हो जाता है, तो महिला को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा.