प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व PM डॉ. मनमोहन सिंह के एक बयान के बहाने देशभर में एक नई बहस छेड़ दी है. पीएम मोदी रविवार को एक चुनावी रैली में कहा कि कांग्रेस की सरकार आ गई तो सब लोगों की संपत्तियों का सर्वे करवाया जाएगा और उसे घुसपैठियों में बांट दिया जाएगा. मोदी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने अपने मैनिफेस्टो में इस तरह की बातें कही हैं. इसी रैली में पीएम मोदी ने डॉ. मनमोहन सिंह के उस बयान का भी जिक्र किया जिसमें उन्होंने कहा था कि संपत्तियों पर पहला हक अल्पसंख्यकों का है. मुस्लिम कोटा, डॉ. मनमोहन सिंह और संसाधनों पर अधिकार की चर्चा हो तो भारत की पूर्व चीफ जस्टिस रंगनाथ मिश्रा की एक रिपोर्ट चर्चा में आती है तो ऐसी तमाम बहसों को जन्म देती है.
साल 2006 में राष्ट्रीय विकास परिषद में डॉ. मनमोहन सिंह ने एक भाषण दिया था. इसमें डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा, 'समाज के सभी पिछड़े और अल्पसंख्यक वर्गों खासकर मुसलमानों को विकास के लाभ में बराबर की हिस्सेदारी सुनिश्चित करने के लिए उनका सशक्तीकरण किए जाने की जरूरत है. देश के संसाधनों पर पहला हक उन्हीं का है.' उस वक्त गुजरात के सीएम रहे नरेंद्र मोदी ने इस पर ऐतराज जताया था. वही नरेंद्र मोदी एक बार फिर से 18 साल पुराने इस बयान को निकाल लाए हैं और इसी के जरिए कांग्रेस को घेरने की कोशिश की है.
राजस्थान के बांसवाड़ा में दिए गए पीएम मोदी के जिस बयान पर हंगामा मचा है, उसमें उन्होंने कहा, 'अगर कांग्रेस की सरकार बनेगी तो हर एक की प्रॉपर्टी का सर्वे किया जाएगा, हमारी बहनों के पास सोना कितना है उसकी जांच की जाएगी, चांदी का हिसाब लगाया जाएगा. आगे कहा है कि जो गोल्ड है बहनों का, वह सबको समान रूप से बांट दिया जाएगा. क्या आपको मंजूर है कि सरकार आपकी संपत्ति ऐंठे? पहले जब उनकी सरकार थी तो उन्होंने कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है. इसका मतलब ये संपत्ति इकट्ठा करके किसको बांटेंगे? जिनके ज्यादा बच्चे हैं उनको बांटेंगे, घुसपैठियों को बांटेंगे. यह कांग्रेस का मैनिफेस्टो कह रहा है.'
कांग्रेस महिलाओं के मंगलसूत्र छीनना चाहती है!
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साल 2007 में जस्टिस रंगनाथ मिश्रा आयोग की एक रिपोर्ट आई. इस रिपोर्ट में सिफारिश की गई कि इस्लाम और ईसाई धर्म में धर्मांतरित होने वाले दलितों को SC कैटगरी का आरक्षण दिया. कहा गया कि इस्लाम या ईसाई धर्म में आने वाले दलितों को SC कैटगरी का आरक्षण न मिलने के कारण वे सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक दृष्टि से पीछे रह गए हैं. हालांकि, तत्कालीन केंद्र सरकार यानी मनमोहन सिंह की सरकार ने इस रिपोर्ट को दबाकर रखा और लागू नहीं किया.
साल 2009 में संसद में रखी गई इस रिपोर्ट में सरकारी नौकरियों में मुस्लिमों को 10 प्रतिशत और अन्य अल्पसंख्यों को 5 प्रतिशत आरक्षण देने की मांग की गई थी. साथ ही, सभी धर्मों में SC कैटगरी के दर्जे की भी वकालत की गई थी. इसमें साफ कहा गया था कि अगर 10 प्रतिशत मुस्लिम कोटे की सीटें न भरें तो उसे अन्य अल्पसंख्यकों को दे दिया जाए.
बाद में केंद्र की मोदी सरकार ने इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया. इस पर सरकार ने कहा, 'ऐसे दलित जो जाति के कारण होने वाली समस्याओं के चलते ईसाई या इस्लाम धर्म में कन्वर्ट हो गए हैं, वे उन लोगों द्वारा प्राप्त आरक्षण के लाभ पर दावा नहीं कर सकते जिन्होंने हिंदू धर्म व्यवस्था में बने रहने का विकल्प चुना है.'
"We will have to devise innovative plans to ensure that minorities, particularly the Muslim minority, are empowered to share equitably in the fruits of development. They must have the first claim on resources."
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- Dr Manmohan Singh, 9th Dec, 2006
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साल 2023 के अप्रैल महीने में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की मोदी सरकार को एक झटका दिया. दरअसल, मोदी सरकार ने अपील की थी कि कन्वर्ट होने वाले दलितों को आरक्षण देने के मामले पर तीन सदस्यीय कमेटी की रिपोर्ट का इंतजार किया जाए. केंद्र सरकार ने रंगनाथ मिश्रा आयोग की रिपोर्ट को न मानते हुए दूसरी कमेटी का गठन किया था. सरकार का आरोप था कि यह रिपोर्ट बिना किसी रिसर्च और परामर्श के तैयार की गई. वहीं, सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने माना कि इस रिपोर्ट में लापरवाही नहीं की गई.