Ramban Land Sink: जम्मू-कश्मीर के रामबन में हर तरफ तबाही का मंजर देखने को मिल रहा है. दरअसल, रामबन-गूल रोड पर करीब 1 किलोमीटर तक जमीन धंसने से लोग डर के साये में जी रहे हैं. जानकारी के अनुसार जमीन धंसने से 50 से ज्यादा घर क्षतिग्रस्त हो गए हैं. इसके अलावा चार बिजली टावर और एक मुख्य सड़क के भी क्षतिग्रस्त होने की खबर है. कुदरत की इस आपदा से प्रभावित लोगों के लिए सुरक्षा के जरूरी इंतजाम किए जा रहे हैं. इन सब से बीच तबाही का यह मंजर जोशीमठ की घटना को याद दिलाता है.
उत्तराखंड के जोशीमठ की कई घरों और सड़कों में करीब एक साल पहले जमीन धंसने के कारण दरारों आ गई थीं. जोशीमठ में आई इन दरारें को लेकर विशेषज्ञों का कहना था कि जोशीमठ की मिट्टी कमजोर है. विशेषज्ञों का मानना है कि यहां की मिट्टी में ज्यादातर भूस्खलन द्वारा लाया गया मलबा है.
यहां अनप्लांड कंस्ट्रक्शन, जनसंख्या का दबाव, टूरिस्ट इंफ्रास्ट्रक्चर, पानी के प्राकृतिक प्रवाह में बाधा के चलते ऐसी हालत हुईं थी. लेकिन अब सवाल है कि जोशीमठ के बाद रामबन में भी इस तरह की तबाही का मंजर क्यों देखने को मिल रहा है. रामबन की घटना पर वहां के उपायुक्त बसीर-उल-हक चौधरी ने कहा है कि जमीन के धंसने का कारण जानने के लिए भूविज्ञान विशेषज्ञों को बुलाया गया है.
जमीन धंसने के पीछे कई कारण हो सकते हैं. इस कारणों को मुख्य तौर से प्राकृतिक और मानवीय गतिविधियों में बांटा गया है. आइए इसे विस्तार से समझते हैं.