Pakistan Qatar Nepal reaction on Ramlala Pran Prashantha: अयोध्या में भव्य राम मंदिर का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज उद्घाटन कर दिया. साथ ही मंदिर के गर्भगृह में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा भी की गई. प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगा आदित्यनाथ की मौजूदगी में संपन्न किया गया. प्राण प्रतिष्ठा दोपहर 12 बजकर 5 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 55 मिनट तक चला. उधर, रामलला की प्राण प्रतिष्ठा और मंदिर उद्घाटन से पहले पाकिस्तान, कतर और नेपाल की मीडिया ने पूरे समारोह को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी. पाकिस्तान की एक अखबार के लेख में लिखा गया कि बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर नवनिर्मित राम मंदिर में पीएम मोदी आज (सोमवार) प्राण प्रतिष्ठा करने जा रहे हैं.
पाकिस्तान के प्रमुख अखबार, 'द डॉन' में परवेज हुदभोय नाम के एक शख्स का ओपिनियन पब्लिश किया गया. इसमें लिखा गया कि जहां पहले पांच शताब्दी पुरानी बाबरी मस्जिद थी, वहां अब राम मंदिर बन चुका है और पीएम मोदी इसमें प्राण प्रतिष्ठा करने वाले हैं. लेख में लिखा गया कि राम मंदिर के चारों ओर ईसाइयों के प्रसिद्ध वेटिकन सिटी जैसा शहर बनाने की प्लानिंग है. लेख में कहा गया है कि 'नए भारत में अब धार्मिक साम्प्रदायिकता घृणा की तरह नहीं मानी जाती है.'
पहला- भारत के मुसलमान, जिस तरह पाकिस्तान अपने देश में अल्पसंख्यक हिंदुओं के साथ व्यवहार करता है, उसी तरह भारत मे अल्पसंख्यक मुसलमानों को ये नहीं भूलना चाहिए कि वे उन आक्रमणकारी शासकों के वंशज हैं, जिन्होंने प्राचीन भूमि को बर्बाद कर दिया और उसकी महिमा को लूट लिया.
दूसरा- लेख में हिंदुत्व के दूसरे टार्गेट का जिक्र करते हुए लिखा गया कि दूसरा संदेश कांग्रेस के लिए है कि वो धर्मनिरपेक्षता को छोड़ धार्मिक पिच पर आए और भाजपा के साथ खेले. अगर वो ऐसा नहीं करती है तो उसे हिंदू विरोधी के रूप में देखा जाएगा.
पाकिस्तानी अखबार ने आगे लिखा है कि 12वीं सदी में मुस्लिम आक्रमणकारी, बख्तियार खिलजी ने नालंदा विश्वविद्यालय को आग के हवाले कर दिया था जिसमें वहां की विशाल लाइब्रेरी जलकर खाक हो गई.
पाकिस्तान के अखबार पाकिस्तान टुडे ने भी राम मंदिर पर अपनी प्रतिक्रिया दी. पाकिस्तान टुडे ने लिखा- पीएम मोदी सोमवार को उस जगह पर विशाल और भव्य राम मंदिर का उद्घाटन करेंगे, जो कई वर्षों से उनके आराध्या श्रीराम की जन्मस्थली है. लिखा गया कि प्रधानमंत्री मोदी की भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व के चुनावों में मंदिर निर्माण का वादा किया था और ये उनके लिए हमेशा से एक राजनीतिक मुद्दा रहा है. दावा किया गया कि इसी मुद्दे ने भाजपा को सत्ता में आने में मदद की.
अखबार ने लिखा कि समारोह को मई में होने वाले आम चुनावों के लिए पीएम मोदी के चुनावी अभियान की शुरुआत के रूप में भी देखा जा रहा है. पाकिस्तान टुडे ने लिखा कि कई दशकों तक मंदिर स्थल विवादों का केंद्र रहा. हिंदू और मुस्लिम, दोनों पक्ष लंबे समय से इस जमीन पर अपने-अपने दावे कर रहे थे. इसी बीच, 1992 में हिंदुओं की भीड़ ने बाबरी को ध्वस्त कर दिया. तर्क दिया गया है कि ये रामलला की जमीन है और 16वीं सदी में मुस्लिम शासक ने पहले से यहां बने मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण कराया था. 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए विवादित जमीन हिंदुओं को सौंप दी और मुस्लिम पक्ष को मस्जिद के लिए अलग जमीन दिया.
कतर के टीवी नेटवर्क अलजजीरा ने भी राम मंदिर निर्माण और उद्घाटन को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी. अलजजीरा में भी एक ओपिनियन लेख पब्लिश हुआ, जिसे भारत की राजनीति टिप्पणीकार इंसिया वाहन्वति ने लिखा. उन्होंने अपने ओपिनियन लेख में लिखा- भाजपा की राजनीति के पहाड़ के नीचे भारत की धर्मनिरपेक्षता दबकर रह गई. धर्मनिरपेक्ष भारत में प्रधानमंत्री का मंदिर का उद्घाटन करना ठीक नहीं है.
नेपाल के अखबार 'द काठमांडू पोस्ट' ने भी राम मंदिर उद्घाटन को लेकर एक लेख लिखा. इसमें कहा गया कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मंदिर के उद्घाटन में भगवान राम से भी अधिक सुर्खियों में हैं. लेख में कहा गया कि धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक भारत में धर्मनिरपेक्षता का सिद्धांत अब लगभग खत्म हो चुका है.