Waqf JPC Report: भारत सरकार के वक्फ (संशोधन) विधेयक पर संयुक्त समिति की रिपोर्ट गुरुवार को राज्यसभा में पेश की गई, लेकिन विपक्षी सांसदों के विरोध के कारण कार्यवाही थोड़ी देर के लिए स्थगित करनी पड़ी. रिपोर्ट का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण को सुव्यवस्थित करना है, ताकि इन संपत्तियों का सही तरीके से प्रबंधन किया जा सके. रिपोर्ट पेश होने के बाद विपक्षी सांसदों ने दावा किया कि असहमति नोट के कुछ हिस्सों को जानबूझकर हटा दिया गया था और उन्होंने इस पर अपनी नाराजगी जताते हुए नारेबाजी शुरू कर दी.
विपक्ष ने रिपोर्ट को लेकर उठाए सवाल
आपको बता दें कि विपक्षी नेता और कांग्रेस के सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस मुद्दे पर सदन में आपत्ति जताई और कहा कि रिपोर्ट में हटा दिए गए असहमति नोटों को बहाल किया जाना चाहिए. जैसे ही मेधा कुलकर्णी ने रिपोर्ट पेश की, विपक्षी सदस्य उग्र हो गए और नारेबाजी शुरू कर दी, जिससे सदन में हंगामा मच गया. वहीं राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की और राष्ट्रपति के संदेश को पढ़ने की अनुमति दी, लेकिन हंगामा जारी रहा. धनखड़ ने विपक्षी सांसदों से कहा, ''भारत के राष्ट्रपति का अनादर न करें'' और शांतिपूर्वक चर्चा की अपील की.
संशोधनों पर विपक्ष और सत्तारूढ़ पक्ष के बीच टकराव
वहीं वक्फ (संशोधन) विधेयक पर चर्चा के दौरान, विपक्ष और सत्तारूढ़ एनडीए के बीच तीव्र मतभेद सामने आए. संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ने 30 जनवरी को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें विधेयक में किए गए संशोधनों को मंजूरी दी गई थी. सत्तारूढ़ पक्ष द्वारा 14 संशोधनों को स्वीकार किया गया, जबकि विपक्षी सांसदों के सुझाए गए बदलावों को खारिज कर दिया गया था.
विधेयक का उद्देश्य: वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन
बताते चले कि वक्फ विधेयक का मुख्य उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण और प्रबंधन में सुधार लाना है. इस संशोधन के जरिए सरकार का लक्ष्य वक्फ संपत्तियों को बेहतर तरीके से नियंत्रित करना और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना है. हालांकि, विपक्षी पार्टियों ने इस विधेयक को लेकर कई सवाल उठाए हैं, और उनका कहना है कि इस पर पर्याप्त चर्चा नहीं हुई है.