राजकोट गेमिंग जोन आग; 5 फीट के शख्स की लाश 3 फीट की हो गई, तबाही का मंजर पढ़ कांप जाएगी रूह

Rajkot Gaming Zone Fire Accident: राजकोट के गेमिंग जोन में आग की घटना के बाद हृदय विदारक तस्वीरें सामने आईं हैं. सोशल मीडिया पर कई ऐसी तस्वीरें और वीडियोज वायरल हैं, जिन्हें देखकर रूह कांप जा रही है.

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Rajkot Gaming Zone Fire Accident: राजकोट के कलावड रोड पर टीआरपी गेमज़ोन में आग लगने से 28 लोगों की मौत हो गई. हादसे के बाद फायर ब्रिगेड के घटनास्थल पर पहुंचने पर भी सवाल उठ रहे हैं. सोशल मीडिया पर हादसे को लेकर कुछ तस्वीरें वायरल हैं, जो दिल दहलाने वाली हैं. साथ ही घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने जो मंजर बयां किया है, वो भी हृदय विदारक है. हादसे के बाद कई लोगों की पहचान तक नहीं हो पाई है. कई शव तो ऐसे थे, जिनकी लंबाई हादसे के बाद एक से दो फीट कम हो गई. कुछ शवों की हालत ऐसी भी थी कि पहचानना मुश्किल था कि शव महिला के हैं या फिर पुरुष के. 

कलावड रोड पर गेमज़ोन के पास रहने वाली एक महिला ने कहा कि उन्हें 4 बजकर 30 या 45 मिनट पर आग लगने की सूचना मिली. उन्होंने बताया कि सूचना के करीब एक घंटे बाद घटनास्थल पर फायर फायर ब्रिगेड की टीम पहुंची. दावा किया जा रहा है कि घटनास्थल पर मौजूद राजकोट के एक रिक्शा चालक इकबाल भाई ने सबसे पहले आग लगने के बारे में फायर ब्रिगेड को फोन कर जानकारी दी. उन्होंने बताया कि मैंने शाम को 5 बजकर 30 से 5 बजकर 45 मिनट के बीच फायर ब्रिगेड को फोन कर जानकारी दी.

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फायर ब्रिगेड को फोन करने वाले इकबाल ने क्या बताया?

आग के बारे में सबसे पहले फायर ब्रिगेड को कॉल करने वाले इकबाल भाई ने दिव्य भास्कर से बातचीत में कहा कि मैं रिक्शा लेकर कलावड रोड से आ रहा था. वहां से मुझे धुआं दिखाई दिया तो मैं गेम जोन के पास आया. मैंने धुआं देखा तो फायर डिपार्टमेंट को फोन किया. वहीं, घटनास्थल के पास रहने वाली एक महिला ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि शाम को साढ़े चार से पौने पांच के बीच मैंने धुआं देखा. मुझे लगा कि आसपास आग लगी है. मैंने फायर ब्रिगेड को इसकी जानकारी दी. उन्होंने कहा कि शुरुआती जानकारी के बाद पर्याप्त मात्रा में फायर ब्रिगेड की गाड़ियां घटनास्थल पर पहुंचती तो ज्यादा नुकसान को रोका जा सकता था. 

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महिला ने कहा कि लेकिन आग इतनी भीषण थी कि कोई सोच भी नहीं सकता था कि कुछ सेकंड में सबकुछ बर्बाद हो जाएगा और इतनी भारी मात्रा में जान-माल की हानि होगी. उधर, फायर ऑफिसर आईवी खेर ने कहा कि हमें पौने छह बजे (समय को लेकर असमंजस में) सयाजी के पीछे टीआरपी गेम जोन में आग लगने का मैसेज मिला. 

आखिर कैसे लगी गेमिंग जोन में आग?

प्रारंभिक स्तर पर आग लगने के कारणों को लेकर अलग-अलग दावे सामने आ रहे हैं. सबसे पहले मौके पर पहुंचे फायर ब्रिगेड और पुलिस अधिकारियों ने बताया कि गेम जोन में रबर-रेक्सिन फ्लोरिंग थी. करीब 2500 लीटर डीजल स्टॉक था. आग लगने के बाद इन सभी चीजों के कारण इतना बड़ा हादसा हो गया. उन्होंने बताया कि आग कुछ ही मिनटों में तीसरी मंजिल तक फैल गई और बच्चों समेत अंदर मौजूद लोग फंस गए. उन्हें बाहर निकलने का मौका भी नहीं मिला.

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घटनास्थल पर मौजूद एक प्रत्यक्षदर्शी यश पटोलिया ने कहा कि हम वहां रेस्टोरेंट में बैठे थे. अचानक आग लगी, जो 10 सेंकेंड के अंदर फैल गई. वहां मौजूद स्टाफ ने एक्सटिंग्विशर से आग बुझाने का प्रयास किया, लेकिन आग पर काबू नहीं पाया जा सका, लोग बाहर निकलने लगे और फोन करने लगे. उन्होंने बताया कि मेरे सामने पांच से ज्यादा लोग फंसे थे, जिनमें एक आंटी के दो लड़के और उनके पति भी शामिल थे. महज 30 सेकेंड में आग पूरे गेमजोन में फैल गई. वहां पेट्रोल-डीजल के डिब्बे भी थे, जिन्हें लोग हटाने लगे. पीछे की ओर गैस की बोतलें भी थीं.

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20 साल की आशाबेन काठाड गेम जोन में ही पिछले एक साल से काम कर रही हैं. गेम जोन के पास होने के कारण आशाबेन के पिता चंदूभाई तुरंत बाइक लेकर मौके पर पहुंच गए. उन्होंने कहा कि मेरी बेटी वहां काम कर रही थी, मुझे उसकी चिंता हो रही थी और मैं तेज़ गति से बाइक चलाकर घटनास्थल पर पहुंच गया. 20 मिनट में सब बर्बाद हो गया. उन्होंने दावा किया कि Game Zone के पास किसी भी तरह के सुरक्षा उपकरण नहीं थे.