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राजस्थान की बायतु विधानसभा सीट जहां मौजूदा विधायक को नहीं मिलती जीत, जानें क्या रहे हैं दिलचस्प आंकड़े

Rajasthan Assembly Election 2023: बायतु विधानसभा सीट से कभी भी मौजूदा विधायक चुनाव नहीं जीत पाया है. हालांकि इस सीट पर हमेशा जाट उम्मीदवार ही जीत की परचम लहराता आया है

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Edited By: Avinash Kumar Singh
राजस्थान की बायतु विधानसभा सीट जहां मौजूदा विधायक को नहीं मिलती जीत, जानें क्या रहे हैं दिलचस्प आंकड़े

नई दिल्ली: राजस्थान विधानसभा चुनाव की चुनावी शंखनाद की घड़ी नजदीक आ रही है. राजनीतिक पंडितों के मुताबिक इस बार के विधानसभा चुनाव का रण काफी रोचक होने की उम्मीद जताई जा रही हैं. ऐसे में सियासी दिग्गज अपने सियासत के रकबे को संभालने और संजोए रखने को लेकर जनता की चौखट पर दस्तक देना शुरू कर चुके हैं. वैसे तो सियासी लिहाज से राजस्थान की राजनीति काफी दिलचस्प मानी जाती हैं लेकिन इसेस भी कहीं ज्यादा दिलचस्प है पार्टियों के बैनर तले चुनाव जीतने वाले माननीय विधायकों के चुनावी किस्से. जो अपने आप में कई रोचकता को समेटे हुए है.

बायतु विधानसभा सीट जानें क्या है चुनावी इतिहास

ऐसी ही एक विधानसभा सीट हैं बाड़मेर जिले की बायतु विधानसभा सीट. पश्चिमी राजस्थान के सीमावर्ती बाड़मेर जिले की सीमा के करीब गुडामालानी और पचपदरा विधानसभा क्षेत्र को 2007 के परिसीमन के बाद तीन हिस्सों में बांटा गया. उसके बाद बायतु विधानसभा क्षेत्र अस्तित्व में आया था. जाट बाहुल्य बायतु विधानसभा सीट पर एक बार बीजेपी दो बार कांग्रेस का कब्जा रहा है. इस सीट का एक रोचक तथ्य यह भी है कि इस सीट से कभी भी मौजूदा विधायक चुनाव नहीं जीत पाया है, हालांकि इस सीट पर हमेशा जाट उम्मीदवार ही जीत की परचम लहराता आया है.

परिसीमन के बाद अस्तित्व में आया बायतु विधानसभा सीट पर पहली बार 2008 में कांग्रेस पार्टी के कर्नल सोनाराम ने बीजेपी के कैलाश चौधरी को हराकर बड़ी जीत हासिल की थी. उसके बाद 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के कैलाश चौधरी ने कांग्रेस के कर्नल सोनाराम को हराकर जीत का परचम फहराया था. वहीं 2018 के चुनाव में कांग्रेस के हरीश चौधरी ने कैलाश चौधरी को हराकर बड़ी जीत हासिल करके इतिहास रचा था.

जानें कौन है दिग्गज जाट नेता हरीश चौधरी

हरीश चौधरी बाड़मेर जिले के जाट नेता हैं. हरीश चौधरी ने सियासी सफर छात्र राजनीति से शुरू हुआ. वो 1991 जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय में स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) के बैनर तले चुनावी मैदान में गजेंद्र सिंह शेखावत को हराकर जीत हासिल की. हरीश चौधरी बाड़मेर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से 2009 में सासंद चुने गए लेकिन 2014 का चुनाव बीजेपी के कर्नल सोनाराम से हार गए. उसके बाद 2018 के विधानसभा चुनाव में बायतु विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर विधायक बने.

राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनी तो सीएम अशोक गहलोत ने हरीश चौधरी को राजस्व मंत्री बनाया था. 2022 में पंजाब चुनाव के दौरान हरीश चौधरी को कांग्रेस संगठन में भेजे गया. जीसके बाद सूबे के राजस्व मंत्री का पद छोड़कर हरीश चौधरी ने पंजाब और चंडीगढ़ में संगठन के प्रभारी के रूप में जिम्मेदारी संभाली. उन्हें पंजाब का प्रभारी बनाए गया लेकिन बतौर पंजाब प्रभारी हरीश चौधरी पंजाब विधानसभा चुनाव में कोई चुनावी सफलता नहीं दिला सकें. चौधरी को राहुल गांधी का करीबी माना जाता है. 2014-2019 तक अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय सचिव भी रहे है.  

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