Lalsot Assembly Seat: दौसा जिले की लालसोट विधानसभा सीट से कई बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे और वर्तमान सरकार में स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा की नैया इस बार डावांडोल नजर आ रही है. सचिन पायलट से अदावत, जनता से दूरी और क्षेत्र में काम न करना इसकी प्रमुख वजह माना जा रहा है.
अच्छी बात ये है कि लालसोट की जनता गहलोत सरकार के खिलाफ नहीं हैं केवल वर्तमान विधायक से उनकी नाराजगी है.
चुनावी पंडितों का कहना है कि परसादी लाल मीणा के पक्ष में हमेशा से जातीय समीकरण रहे हैं लेकिन इस बार ब्राह्मण मतदाताओं का झुकाव रामविलास मीणा की तरफ नजर आ रहा है.
साल 2018 के विधानसभा चुनाव में परसादी लाल मीणा ने बीजेपी के रामविलास मीणा को 9 हजार से ज्यादा वोटो से मात दी थी. रामविलास मीणा को टिकट मिलना इस बार संदिग्ध नजर आ रहा है, लेकिन चर्चा ये है कि रामविलास मीणा हर हाल में चुनाव लड़ेंगे, चाहे टिकट मिले या न मिले.
वैसे तो परसादी लाल मीणा ने अपने क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं का खूब विस्तार कराया है लेकिन लालसोट के लोग इस बार बदलाव चाहते हैं.
परसादी लाल मीणा गहलोत के समर्थक और सचिन पायलट के धुर विरोधी माने जाते हैं. परसादी पहले ही सचिन पायलट को बाहरी बता चुके हैं. सचिन पायलट और गहलोत गुट की बगावत के समय परसादी ने गहलोत का ही साथ दिया था. ऐसे में माना जा रहा है कि लालसोट में गुर्जर मतदाता परसाली के खिलाफ जा सकते है.
परसादी लाल सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट के बेहद करीबी माने जाते थे लेकिन समय के साथ अब हालात भी बदल चुके हैं. परसादी अब पायलट को पसंद नहीं करते हैं. ऐसे में गुर्जर मतदाता परसादी से छिटक सकते हैं.
चुनाव आयोग के अनुसार, लालसोट सीट पर कुल 223405 मतदाता है, जिनमें से 35110 मतदाता सामान्य वर्ग, 46403 मतदाता अनुसूचित जाति, 86662 मतदाता अनुसूचित जनजाति, 52608 मतदाता ओबीसी और 5622 मतदाता अल्पसंख्यक वर्ग का है. यह सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है.
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