Rahul Gandhi US Visit: 'थाली, चावल, दाल, सब्जी....', RSS पर बरसे राहुल गांधी, बोले- BJP के लिए सिर्फ एक विचारधारा मायने रखती है

Rahul Gandhi US Visit: कांग्रेस के सीनियर नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी का अमेरिकी दौरे के दौरान आरएसएस और भाजपा पर हमला जारी है. उन्होंने भाजपा और आरएसएस पर आरोप लगाया कि उनके लिए सिर्फ एक विचारधारा मायने रखती है, लेकिन देश सबके लिए हैं.

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Rahul Gandhi US Visit: कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का परोक्ष संदर्भ देते हुए भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर कटाक्ष किया. उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ भाजपा ये नहीं समझती कि देश सबके लिए है. उन्होंने आरएसएस पर भी तंज कसते हुए कहा कि जिनका मुख्यालय नागपुर में है, उनके लिए सिर्फ एक विचारधारा महत्वपूर्ण है. वर्जीनिया के हर्नडन में एक कार्यक्रम में भारतीय प्रवासियों के साथ बातचीत करते हुए ये बातें कही.

कांग्रेस नेता ने भारत की विविधता को उजागर करने के लिए भोजन की थाली में अलग-अलग तरह के फूड का हवाला दिया. विपक्ष के नेता ने दोहराया कि भारत 'राज्यों का संघ' है और कहा कि इसका मतलब विभिन्न परंपराओं और इतिहासों का संघ है. भारत में, सब कुछ एक साथ काम करता है... अगर कोई थाली के सामने बैठकर कहता है कि दाल से चावल ज़्यादा महत्वपूर्ण है और सब्जी सबसे कम महत्वपूर्ण है, तो क्या होगा? भाजपा
यही करती है.

उन्होंने कहा कि भाजपा ये नहीं समझती कि यह देश सबका है...भारत एक संघ है. संविधान में यह स्पष्ट रूप से लिखा है...भारत जो कि भारत है, एक संघ राज्य है. इसका मतलब है कि यह भाषाओं का संघ है, यह परंपराओं का संघ है, इतिहास, संगीत और नृत्य का संघ है...वे (भाजपा) कहते हैं कि यह एक संघ नहीं है, यह अलग है. केवल एक विचारधारा महत्वपूर्ण है और इसका मुख्यालय नागपुर में है. इसी बात को लेकर लड़ाई है.

उन्होंने कहा कि जब उन्होंने संविधान को अपने कब्जे में लेना शुरू किया तो लोगों को स्थिति समझ में आ गई. राहुल गांधी ने कहा कि लोगों को समझ में आ गया कि संविधान की रक्षा करने वालों और इसे नष्ट करने वालों के बीच लड़ाई है और उन्होंने इसे बहुत मजबूत तत्व कहा. संस्थाओं पर नियंत्रण करने को लेकर भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर कटाक्ष करते हुए गांधी ने कहा कि कई चीजें एक साथ आईं. उदाहरण के लिए, चुनाव से पहले, हम इस विचार पर जोर देते रहे कि संस्थाओं पर कब्जा कर लिया गया है. 

उन्होंने कहा कि शिक्षा प्रणाली पर आरएसएस का कब्जा है, मीडिया प्रणाली पर कब्जा है, जांच एजेंसियों पर कब्जा है... हम लोगों से ये कहते रहे और लोगों को ये समझ में नहीं आ रहा था और हम इसे बार-बार कहते रहे और किसी तरह वे इसे समझ नहीं पा रहे थे. और हम समझ नहीं पा रहे थे कि ऐसा क्यों हो रहा है क्योंकि हम जैसे थे, ये हमारे लिए स्पष्ट है. उन्होंने कहा कि फिर एक बैठक में हमारे साथ काम करने वाले लोगों में से एक ने कहा, सुनो, संविधान को पकड़कर देखो और इसलिए मैंने संविधान को पकड़ना शुरू कर दिया और हमने जो कुछ भी कहा था वो अचानक ही समझ आने लगा.

गरीब भारत, वंचित भारत, उत्पीड़ित भारत समझ गया कि यदि संविधान चला गया, तो पूरा खेल खत्म हो गया. मैं शॉकवेव को लोगों को पसंद करते हुए देख सकता था, और फिर लोग मेरे पास आने लगे, आप जानते हैं, जब आप इन बैठकों में होते हैं, तो आप पक्षों से सुनना शुरू कर देंगे कि, आप जानते हैं, वे एक संविधान लाएंगे या वे इसे कहना शुरू करेंगे. इसलिए मेरे लिए जो बहुत दिलचस्प था वो ये था कि गरीब लोगों ने गहराई से समझा कि अब यह उन लोगों के बीच की लड़ाई थी जो संविधान की रक्षा कर रहे हैं और जो इसे नष्ट करना चाहते हैं.