कांग्रेस नेता राहुल गांधी बीते कुछ साल में लगातार सक्रिय दिखते हैं. कभी वह किसानों से मिलते हैं, कभी मैकेनिक से तो कभी विद्यार्थियों से. इस बार राहुल गांधी ने दिल्ली परिवहन निगम के ड्राइवर, कंडक्टर और अन्य कर्मचारियों से मुलाकात की है. इन कर्मचारियों ने राहुल गांधी के सामने मांग उठाई कि उनकी नौकरी पक्की कराने के प्रयास किए जाएं. साथ ही, इन कर्मचारियों ने यह भी बताया कि उन्हें समय पर सैलरी नहीं मिलती है और काम भी पक्के कर्मचारियों की तुलना में ज्यादा लिया जाता है. राहुल गांधी ने खुद भी डीटीसी की बस में यात्रा की और बस के कंडक्टर से कॉन्ट्रैक्ट की नौकरी को लेकर बातचीत की. राहुल गांधी ने खुद ही यह वीडियो अपने X हैंडल पर शेयर किया है.
इस वीडियो में राहुल गांधी ने बस के ड्राइवर, कंडक्टर और डीटीसी में काम करने वाले अन्य संविदा कर्मचारियों से भी मुलाकात की. इस मुलाकात के लिए निकलने से पहले राहुल गांधी एक कैब से निकले. इस कैब के ड्राइवर को उन्होंने अपनी मां सोनिया गांधी से भी मुलाकात करवाई. मुलाकात के बाद वह एक बस डिपो में पहुंचे जहां डीटीसी के तमाम संविदा कर्मचारी मौजूद थे. इन लोगों ने राहुल गांधी को विस्तार से अपने काम के घंटों, सैलरी, छुट्टी और अन्य समस्याओं के बारे में विस्तार से बताया.
कुछ दिनों पहले दिल्ली में एक सुखद बस यात्रा के अनुभव के साथ DTC कर्मचारियों से संवाद कर उनके दिनचर्या और समस्याओं की जानकारी ली।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) September 2, 2024
न सामाजिक सुरक्षा, न स्थिर आय और न की स्थाई नौकरी - Contractual मजदूरी ने एक बड़ी ज़िम्मेदारी के काम को मजबूरी के मुकाम पर पहुंचा दिया है।
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एक कर्मचारी ने बताया, '800 रुपये एक दिन का बनता है, उसी में ESI और पीएफ दोनों कटता है. अगर रेस्ट लेते हैं तो उसके भी पैसे कटते हैं. किलोमीटर के हिसाब से पैसे मिलते हैं. 8 घंटे की ड्यूटी होती है लेकिन अगर एक-दो घंटे ऊपर हो जाते हैं तो उसका कुछ नहीं मिलता. कोई छुट्टी नहीं मिलती, छुट्टी मिलने पर पैसे कटते हैं. हमें समान भत्ता मिलना चाहिए ताकि हमारा गुजारा ढंग से हो सके.'
एक अन्य कर्मचारी ने बताया, '5 महीने हो गए हमें सैलरी नहीं मिली. राज्य सरकार केंद्र सरकार पर डाल देती है और केंद्र सरकार राज्य पर. कह दिया है कि आगे से दो महीने और नहीं मिलेगी. नई भर्ती कर रहे हैं, उनका भी भविष्य भी खराब करेंगे.' एक और कर्मचारी ने कहा कि कोई सी भी कमी होती है तो कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू नहीं करते हैं. इन कर्मचारियों में मार्शल के तौर पर बसों में तैनात होने वाले होमगार्ड्स भी शामिल थे. एक होमगार्ड ने बताया, 'पिछले 6 महीने सैलरी नहीं मिली. हमारे 24 जवान कोई हार्ट की दिक्कत से, कोई डिप्रेशन से दुनिया छोड़ चुके हैं.' एक महिला ड्राइवर ने कहा कि समान काम के लिए समान वेतन मिलना चाहिए.
एक बुजुर्ग कर्मचारी ने बताया, 'अगर आप समस्याएं हल करना चाहें तो मेरी बातों को ध्यान में रखिए. मोदीजी ने रोजगार का इतना बुरा हाल कर दिया कि कुछ कह नहीं सकते. पढ़-लिखकर भी 30-35 हजार से ज्यादा की नौकरी नहीं मिल पा रही है.' कर्मचारियों ने बताया कि उन्हें बस में यात्रा करने के लिए खुद भी टिकट लेना पड़ता है, कोई पास भी नहीं मिलता है.
संविदा कर्मचारियों ने बताया कि एक साल का कॉन्ट्रैक्ट होता है और एक साल के बाद यह रिन्यू होता है. ज्यादातर लोगों ने बताया कि वे चाहते हैं कि उनकी नौकरी पक्की हो जाए.