Rahul Gandhi: विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) की नियुक्ति आधी रात को जल्दबाजी में करना न केवल अपमानजनक है, बल्कि यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया का अपमान भी है. उन्होंने इस फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई और केंद्र सरकार पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने का आरोप लगाया.
राहुल गांधी ने जताई नाराजगी
आपको बता दें कि राहुल गांधी ने अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर अपना असहमति पत्र साझा करते हुए कहा कि चुनाव आयोग प्रमुख की नियुक्ति को लेकर सरकार ने लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया है. उन्होंने आरोप लगाया कि भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) को समिति से हटाना न्यायिक आदेशों की अवमानना है.
During the meeting of the committee to select the next Election Commissioner, I presented a dissent note to the PM and HM, that stated: The most fundamental aspect of an independent Election Commission free from executive interference is the process of choosing the Election… pic.twitter.com/JeL9WSfq3X
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) February 18, 2025
''चुनावी प्रक्रिया की अखंडता पर सवाल''
वहीं बता दें कि राहुल गांधी ने कहा कि इस निर्णय से करोड़ों मतदाताओं के मन में चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता को लेकर संदेह बढ़ गया है. उन्होंने लिखा, ''प्रधानमंत्री और गृह मंत्री द्वारा आधी रात को मुख्य चुनाव आयुक्त का चयन करना न केवल अपमानजनक है, बल्कि यह अशिष्टता भी है. यह फैसला तब लिया गया जब समिति की संरचना और प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा चुकी थी और इस पर 48 घंटे के भीतर सुनवाई होनी थी.''
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अनदेखी?
बताते चले कि राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति में पारदर्शिता को पूरी तरह दरकिनार कर दिया. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को दरकिनार कर केंद्र सरकार ने जल्दबाजी में यह फैसला लिया, जिससे चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठना लाजिमी है.
विपक्ष की मांग, चुनाव आयोग की स्वतंत्रता बनाए रखे सरकार
इसके अलावा आपको बता दें कि राहुल गांधी और विपक्षी दलों का कहना है कि चुनाव आयोग को स्वतंत्र और निष्पक्ष बनाए रखने के लिए सरकार को पारदर्शी प्रक्रिया अपनानी चाहिए. विपक्षी दलों ने इस फैसले की आलोचना करते हुए इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बताया और सुप्रीम कोर्ट से इस पर संज्ञान लेने की अपील की.
हालांकि, राहुल गांधी के इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है. विपक्षी दलों ने सरकार के इस फैसले को लोकतंत्र पर आघात करार दिया है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर क्या रुख अपनाता है और क्या सरकार अपने फैसले पर पुनर्विचार करेगी.