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'कैसे पता राहुल गांधी विदेशी हैं?', हाई कोर्ट ने किया सवाल, वकील ने कहा- इंटरनेट से, पढ़ें मजेदार बहस

यूपी का इलाहाबाद हाई कोर्ट. देश की सबसे पुरानी अदालतों में से एक, जहां के फैसलों का हवाला देशभर की अदालतें देती हैं, वहीं एक मजेदार घटना हुई. एक याचिका की सुनवाई के दौरान जज, वकील से इतने परेशान हो गए कि वे उठकर चले गए. वजह ये थी कि वकील जजों से अटपटे तर्क कर रहे थे. क्या है ये केस, पढ़ें दिलचस्प किस्सा.

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Allahabad High Court
Courtesy: Allahabad High Court

सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट जैसे संस्थानों में आमतौर पर बेहद गंभीर बहस होती हैं. बड़ी अदालतों में केस की सुनवाई के दौरान आमतौर पर वकीलों की भाषा बेहद शालीन होती है और जज भी संयम बरतते हैं. इलाहाबाद हाई कोर्ट में वकील के अटपटे तर्कों से परेशान होकर जज का भी धैर्य टूट गया. कांग्रेस नेता राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर एक शख्स ने अदालत में याचिका दायर की थी. केस की सुनवाई चल रही थी लेकिन वकील जजों की कार्यप्रणाली पर ही सवाल खड़े करने लगा.

याचिकाकर्ता के वकील अशोक पांडेय ने केस की सुनवाई के दौरान जजों से ही उलझ गए. बेंच केस की सुनवाई नहीं करना चाहती थी लेकिन अशोक पांडेय बार-बार सुनवाई को लेकर दलील देते रहे. जस्टिस रंजन रॉय और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की बेंच भी इस केस की सुनवाई के दौरान नाराज हो गई. क्या है पूरा माजरा आइए जानते हैं. 

लाइल लॉ की एक रिपोर्ट के मुताबिक कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता विग्नेश शिशिर ने एडवोकेट अशोक पांडेय की ओर इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की. याचिका में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के चुनाव को रद्द कराने की मांग की गई. दावा किया गया कि वे भारतीय नागरिक नहीं हैं, उनके पास ब्रिटेन की नागरिकता है, इसलिए उन्हें चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं है.

बेंच ने 90 मिट तक इस केस की सुनवाई की. कोर्ट ने कहा कि इस पर हमने फैसला सुरक्षित रख लिया है. अशोक पांडेय बार-बार केस की सुनवाई के लिए जजों पर दबाव बनाते रहे. उन्होंने कहा कि उनके पास अभी अपना पक्ष रखने को लेकर बहुत कुछ है. 

कोर्ट में क्या-क्या बहस हुई, खुद पढ़ लीजिए- 

- वकील अशोक पांडेय ने कहा, 'अभी और सुनिए हमें. बहस करने दीजिए. बोलने दीजिए. यहां 20-20 दिन बहस सुनी जाती है और आप हमें एक घंटा नहीं सुन रहे हैं.'

- बेंच ने कहा, 'अगर बहस की प्रासंगिकता है तो 20 दिन केस की सुनवाई होती है. पहले ही अशोक पांडेय के तर्क को सुन लिया गया है, जिसे कोर्ट ने मान लिया है.'

- बेंच ने कहा, 'देकिए हो गया. आप (अशोक पांडेय) ऐसा करेंगे तो हमें उठाना पड़ जाएगा. पूरा दिन काम करना है हमें, ऐसे मूड खराब करके कैसे होगा काम. बहस जिन मामलों में 20-20 दिन सुनी जाती है, वो मैटर्स सुनने लायक भी होते हैं.'

- अशोक पांडेय ने कहा कि इसे पर्सनल न लें.

- बेंच ने कहा, 'बस बहुत हो गया. आपने हमारे धैर्य की परीक्षा ली है. आप कोर्ट को हल्के में नहीं ले सकता है. हमने आपको पूरा मौका दिया. ऐसा लगता है कि आप नहीं चाहते हैं कि हम और किसी केस की सुनवाई करें. हम उठ रहे हैं अब.' 

- जज जैसे ही उठकर जाने लगे, वकील अशोक पांडेय ने कहा कि ये अंतिम अदालत नहीं है.

कैसे पता राहुल गांधी ब्रिटिश नागरिक हैं, पढ़ें मजेदार जवाब

जज ने सवाल किया कि कैसे आप राहुल गांधी की याचिका को चुनौती दे सकते हैं. जवाब में वकील ने कहा कि हमारे पास सबूत है. कोर्ट ने कहा कि कैसा सबूत है. वकील ने कहा कि इंटरनेट से डाउनलोड किया है. जस्टिस रॉय ने कहा कि किस साइट से. अशोक पांडेय ने कहा कि उन्हीं दस्तावेजों के चलते गृहमंत्रालय ने उन्हें नोटिस दिया है. जस्टिस रॉय ने कहा, 'लेकिन आपको ये डाक्युमेंट्स कहां से मिले. ये तो बताइए. आपने कहा है कि एफिडेविट पर कि आपने असली से कंपेयर किया है ये डॉक्यूमेंट. जब हम लोग वकालत करते थे और ऐसी याचिका फाइल करते थे तो एफिडेविट में ये क्या लिखा है इसे ध्यान से देखते हैं. अब आप बताइए ये कहां ये मिले.

कोर्ट ने याचिकाकर्ता को लगाई फटकार

कोर्ट ने इस केस में याचिकाकर्ता को भी अपना पक्ष रखने के लिए कहा. कोर्ट ने करीब 20 मिनट तक उसके तर्क सुने. उसने कोर्ट से अपील की कि वह याचिका वापस लेनी चाहता है और नए सिरे केस दाखिल करना चाहता है. बेंच ने इसके जवाब में कहा कि अगर वह ऐसा करता है तो कोर्ट उस पर 90 मिनट बर्बाद करने के लिए फाइन लगाएगा.

बहस को लेकर भिड़े याचिकाकर्ता और वकील

कोर्ट में कौन बहस करेगा इसे लेकर भी मजेदार वाकया देखने को मिला. पहले याचिकाकर्ता ने कहा कि कौन केस के लिए बहस करेगा. वकील इस केस में बहस कर रहा था, तभी याचिकाकर्ता ने कहा कि वह बहस करना चाहता है. कोर्ट ने कहा कि पहले तय कर लो. फिर वकील ने कहा कि नहीं मैं बहस करूंगा. कोर्ट ने वकील से कहा कि याचिकार्ता को ही बहस कर लेने दें.