Punjab News: पंजाब राज्य महिला आयोग (PSWC) के पास लिव-इन पार्टनर के अलग होने के मामलों की बाढ़ आ गई है. अधिकतर मामलों में महिलाओं की शिकायत है कि उनके पार्टनर से उन्हें छोड़ दिया है, उनके साथ धोखा हुआ है. ऐसे मामलों के अचानक सामने आने के बाद आयोग को ये नहीं समझ आ रहा है कि आखिर इन शिकायतों से कैसे निपटा जाए. अधिकतर महिलाओं ने अपने पार्टनर के खिलाफ रेप की शिकायत दर्ज कराना चाहती है. पिछले दो महीनों में PSWC को ऐसी कम से कम 100 शिकायतें मिली हैं. ये जानकारी PSWC की अध्यक्ष राज लल्ली गिल ने शुक्रवार को मीडिया से बातचीत के दौरान दी.
राज लल्ली गिल ने कहा कि पिछले दो महीनों में मुझे कम से कम 100 ऐसी शिकायतें मिली हैं. सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि ऐसे मामले स्वीकार्य हैं, लेकिन हमें नहीं पता कि ऐसी महिलाओं से कैसे निपटा जाए, जो अपने साथी के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज कराना चाहती हैं. उन्होंने कहा कि शिकायत करने वाली महिलाओं में अधिकतर लड़कियां हैं, जो घर से दूर रहकर दूसरे शहरों में पढ़ाई कर रही हैं.
गिल के मुताबिक, चार से पांच साल तक लिव-इन रिलेशनशिप में रहने और फिर अलग होने के बाद, अब ये महिला साथी मुझसे शिकायत लेकर आ रही हैं कि उनके पुरुष साथी उनके साथ शादी नहीं करना चाहते हैं क्योंकि वे एक-दूसरे के साथ तालमेल नहीं बिठा पाते. उन्होंने ये भी कहा कि मुझे कुछ शिकायतें मिली हैं, जिनमें लिव-इन पार्टनर महिलाओं पर आरोप लगा रही हैं कि उनके पुरुष पार्टनर ने आपत्तिजनक तस्वीरें खींच ली हैं और उन्हें ब्लैकमेल कर रहे हैं, तस्वीरें ऑनलाइन पोस्ट करने की धमकी दे रहे हैं.
महिला आयोग की चीफ ने कहा कि हमें ऐसे मामलों को संभालना मुश्किल लगता है. एक तरफ देश का कानून है, तो दूसरी तरफ हमारी अपनी सामाजिक व्यवस्था है. हम इन दोनों के बीच फंस गए हैं. उन्होंने ये भी कहा कि कई मामलों में युवतियां शादीशुदा पुरुषों के साथ रिलेशनशिप में थीं, जिनके बच्चे भी थे और कुछ समय बाद वे (पुरुष) अपने परिवार के पास लौट गए. अब जब इन महिलाओं को अपना भविष्य अंधकारमय लगता है, तो वे हमारे पास आती हैं.
हाल ही में रूपनगर और अमृतसर जेलों का दौरा करने वाली राज लल्ली गिल ने बताया कि उन्हें जेल में कई युवतियां मिलीं जो अवैध इमिग्रेशन केंद्रों और कॉल सेंटरों में काम करती हुई पकड़ी गई थीं. मैं महिलाओं को सलाह देती हूं कि इमिग्रेशन फर्मों के साथ काम करने से पहले अपने नियोक्ताओं के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर करें, ताकि उन्हें ऐसी किसी भी फर्म में अवैध गतिविधियों के लिए कानून का खामियाजा न भुगतना पड़े. पुलिस को लग सकता है कि वे (महिलाएं) ऐसे केंद्रों में काम चला रही हैं, लेकिन वास्तव में वे केवल कर्मचारी ही होंगी.