नई दिल्ली: संसद के मानसून सत्र के दौरान पंजाब से राज्यसभा सांसद विक्रमजीत सिंह साहनी ने पीएम मोदी को ज्ञापन सौंपकर जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कश्मीरी सिखों के लिए दो सीटें आरक्षित करने और घाटी में सिखों को अल्पसंख्यक का दर्जा देने की मांग की.
Submitted a memorandum to https://t.co/DHNZn0BnO6 @NarendraModi - Demanding the reservation of 2 seats for Kashmiri Sikhs in the Jammu & Kashmir Assembly and granting of ‘Minority Status’ to Sikhs in the state. Sikhs never left valley even after exodus of 90s @PMOIndia…
— Vikramjit Singh MP (@vikramsahney) August 11, 2023
पीएम मोदी को लिखे अपने पत्र में राज्यसभा सांसद विक्रमजीत सिंह साहनी ने कहा कि "जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2023 को केंद्र सरकार ने 26 जुलाई 2023 को लोकसभा में पेश किया था. सरकार इस विधेयक के जरिए जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 में संशोधन करना चाहता है. जिससे केंद्र शासित प्रदेश की विधान सभा में कश्मीरी प्रवासियों के लिए दो सीटें और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के विस्थापित लोगों के लिए एक सीट आरक्षित करने की प्रावधान की बात कही गयी है. इन सदस्यों को विधेयक के प्रावधानों के अनुसार एलजी की ओर से नामित किया जाएगा.
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सरकार के इस कदम की सराहना करते हुए विक्रमजीत साहनी ने इस बात पर जोर दिया कि “महाराजा रणजीत सिंह के साम्राज्य से ही सिख सैकड़ों सालों से घाटी में रह रहे हैं और उन्होंने घाटी में किसी भी अन्य अल्पसंख्यक समुदाय के समान ही दर्द और दुख को झेला है. आज की तारीख में कश्मीर घाटी में एक लाख से अधिक सिख रहते हैं जिन्होंने आतंकवादियों के डर से घाटी नहीं छोड़ी और दशकों से अत्याचारों में जी रहे हैं. वे भी मनोनीत सदस्यों के रूप में विधानसभा में उचित प्रतिनिधित्व के हकदार हैं.अब जब सरकार तीन सीटें आरक्षित करने का प्रस्ताव लेकर आ रही है, तो हमें जम्मू-कश्मीर राज्य के निर्माण और सुरक्षा में सिख समुदाय की वीरता और योगदान को नहीं भूलना चाहिए. एक राष्ट्र के रूप में हम जम्मू-कश्मीर की सिख आबादी को उचित हिस्सेदारी और प्रतिनिधित्व प्रदान करने के लिए बाध्य हैं. सिखों को कश्मीर घाटी में कई अत्याचारों का सामना करना पड़ा है जहां कई निर्दोष सिख मारे गए और महजूर नगर में सिख नरसंहार हुआ जिसमें निर्दोष सिखों की जान गई और कई घातक चोटें आई थी”
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