पंजाब के एक डॉक्टर ने आयुर्वेद के जरिए 117 सेंटीमीटर लंबे जटिल फिस्टुला का सफल इलाज करके विश्व रिकॉर्ड अपने नाम किया है. फिस्टुला एक ऐसी असामान्य स्थिति है जिसमें शरीर के दो हिस्सों के बीच अनचाहा संबंध बन जाता है, जो सामान्य रूप से जुड़े नहीं होते. डॉ. हितेंद्र सूरी ने हिमाचल प्रदेश के 47 वर्षीय स्वरूप सिंह का इलाज किया, जिन्हें यह गंभीर और दुर्लभ समस्या थी. यह फिस्टुला उनके गुदा नाल से लेकर पैरों तक फैला हुआ था.
तीन सालों से बीमारी से जूझ रहे थे स्वरूप सिंह
स्वरूप सिंह कई सालों से इस बीमारी से जूझ रहे थे. तीन असफल सर्जरी के बावजूद उन्हें असहनीय दर्द और संक्रमण से राहत नहीं मिली थी, जो उनके पेट तक फैल गया था. डॉ. सूरी के आयुर्वेदिक उपचार के बाद चार महीने से अधिक समय में वे पूरी तरह ठीक हो गए. स्वरूप ने इंडिया टुडे टीवी को बताया, “संक्रमण के कारण मैं न तो चल पाता था और न ही सो पाता था. अब मैं सामान्य जिंदगी जी रहा हूं.”
विश्व रिकॉर्ड की मान्यता
डॉ. हितेंद्र सूरी की इस उपलब्धि को लंदन वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने आधिकारिक तौर पर मान्यता दी. दुबई में आयोजित एक समारोह में उन्हें यह सम्मान दिया गया, जिसमें केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले और वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के सीईओ एडवोकेट संतोष शुक्ला मौजूद थे. यह उपलब्धि आयुर्वेद के क्षेत्र में एक बड़ी कामयाबी मानी जा रही है.
पहले भी बना चुके हैं रिकॉर्ड
डॉ. सूरी का रिकॉर्ड बनाने का यह पहला मौका नहीं है. इससे पहले 30 सितंबर, 2016 को उन्होंने विद्या भारती सोसाइटी के साथ मिलकर एक गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था. इस रिकॉर्ड के तहत ‘ईट फाइबर, स्टे हेल्दी’ अभियान के तहत 219 स्कूलों के साथ सबसे बड़े स्वस्थ खानपान की शपथ दिलाई गई थी. यह आयोजन लोगों को फाइबर युक्त भोजन की अहमियत समझाने के लिए किया गया था.
आयुर्वेद की ताकत का प्रदर्शन
डॉ. सूरी का यह हालिया कारनामा न केवल चिकित्सा जगत में एक मील का पत्थर है, बल्कि यह भी दिखाता है कि आयुर्वेद जैसी पारंपरिक चिकित्सा पद्धति से भी जटिल और दुर्लभ बीमारियों का इलाज संभव है. स्वरूप सिंह जैसे मरीजों के लिए यह उपचार किसी चमत्कार से कम नहीं रहा. उनकी सफलता ने न सिर्फ आयुर्वेद की वैश्विक पहचान बढ़ाई, बल्कि उन लोगों के लिए भी उम्मीद की किरण जगाई है जो आधुनिक चिकित्सा से निराश हो चुके हैं. यह घटना यह साबित करती है कि प्राचीन ज्ञान और समर्पण के साथ असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है. डॉ. सूरी की इस उपलब्धि पर देशभर से उन्हें बधाइयां मिल रही हैं.