Pune Porsche crash: नाबालिग ने चढ़ाई दो लोगों पर कार, नप गए पेरेंट्स, क्यों हुआ ऐसा? समझिए नियम

महाराष्ट्र में पोर्शे कार से हुए एक्सीडेंट के बाद यह बहस छिड़ी है कि क्या नाबालिग के अपराध के लिए मां-बाप को सजा हो सकती है या नहीं. नाबालिग को कार सौंपना, अपने आप में एक अपराध है.

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महाराष्ट्र का पुणे जिला. एक नाबालिग अपने पिता के पोर्शे कार से बाइक सवार 24 वर्षीय कपल को रौंद डालता है. वह नशे में होता है. पुणे पुलिस के कमिश्नर अमितेश कुमार कहते हैं कि किशोर एक क्लब में शराब पीता नजर आया है. पुणे जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड, इस वारदात के बाद भी हिरासत से छूट जाता है, उसे दो घंटो में जमानत मिल जाती है. अब पुलिस ने नाबालिग के पिता और बार मालिक को गिरफ्तार किया है.

नाबालिग को मिली जमानत की शर्तें इतनी आसान हैं कि पूछिए मत. उसे कहा गया है कि चाइल्ड इन कॉन्फ्लिक्ट विद लॉ,  सड़क दुर्घटनाओं और उनके समाधान विषय पर 300 शब्दों का एक निबंध लिख दे. कुछ दिन ट्रैफिक पुलिस के साथ काम करे. उसकी जमानत पर हंगामा बरपा है लेकिन दूसरी तरफ उसके मां-बाप पर सवाल उठ रहे हैं. क्या आपको पता है कि अगर आप अपने नाबालिग बच्चे को कार देते हैं तो आपको जेल की सजा काटनी पड़ सकती है.

अगर आपका बच्चा नाबालिग है और आपने कार ड्राइव करने की इजाजत दे दी है तो आपका जेल जाना तय है. अगर नहीं जानते ये कानूनी प्रावधान तो आपको पहले समझ लेना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट सौरभ भरद्वाज के मुताबिक मोटर व्हीकल एमेंडमेंट एक्ट 2019 में नाबालिगों के गाड़ी के इस्तेमाल पर रोक को लेकर कई प्रावधान जोड़े गए थे. मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 199ए के मुताबिक जहां किसी किशोर से कोई अपराध होता है, ऐसे में किशोर के माता-पिता या गाड़ी मालिक के खिलाफ एक्सन होगा. उसे मोटर व्हीकल एक्ट के नियमों के तहत जवाबदेह माना जाएगा. अपराध के हिसाब से उसे ही सजा मिलेगी.

कितनी मिलेगी सजा?
मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 180 के मुताबिक बिना लाइसेंस नाबालिग को गाड़ी चलाने की इजाजत अगर कोई देता है तो उसे 3 महीने की सजा या 5,000 रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकता है. अगर कोई शख्स बिना वैध लाइसेंस वाले व्यक्ति को गाड़ी चलाने के लिए देता है तो उसे धार 5/R/W के तहत सजा हो सकती है. 

क्या है इस नियम में छूट?
अगर अभिभावक की जानकारी के बिना ही ऐसा किया जाता है, या अभिभावक के रोकने के बाद भी किशोर यह कृत्य करते हैं तो वे सजा के भागी नहीं होते हैं. अगर गाड़ी अभिभावक की सहमति से दिया जाता है तो कोर्ट यही समझेगा कि यह मामला उनकी सहमति से ही हुआ है.

किस राज्य में ज्यादा सख्त हैं ऐसे कानून
यूपी में अगर 18 साल से कम उम्र के बच्चों को गाड़ी चलाने की इजजात दी जाती है तो गाड़ी मालिक को कम से कम 3 साल की जेल की सजा और 25 हजार के जुर्माना दंडित किया जा सकता है.