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गांव में रहे, खेत में मजदूरी की, अंडर कवर पुलिस अफसरों ने यूं पकड़ा बाइक चोरों का गैंग

इस पूरे गिरोह का मास्टर माइंडे शेंडे था जो कॉमर्स से ग्रेजुएट था. शेंडे एक प्राइवेट कंपनी में भर्ती सुपरवाइजर के तौर पर काम करता था और कंपनी में काम करने के दौरान ही वह अपने गिरोह के लिए भी लोगों की भर्ती करता था. यह गिरोह सस्ती बाइकें चुराता था ताकि गांव वाले आसानी से उन बाइकों को खरीद सकें.

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Edited By: India Daily Live
bike stolen gang
Courtesy: social media

Pune News: एक संगठित बाइक चोर गिरोह  ने पुलिस की नाम में दम कर रखा था, पुलिस ने भी उस गिरोह को पकड़ने की ठान ली. इस गिरोह को दबोचने के लिए पुलिस ने क्या-क्या नहीं किया. उन्हें भेष बदलकर गांव में रहना पड़ा, यही नहीं उन्हें खेतों में भी काम करना पड़ा. तब जाकर यह बाइक चोर गैंग पुलिस के हत्थे चढ़ा. पुलिस ने गिरोह के सदस्यों के साथ चोरी की गई 100 मोटरसाइकिलों को भी बरामद करने में सफलता पायी है.

मामला पुणे का है. पुणे पुलिस की क्राइम ब्रांच की टीम धाराशिव जिले के एक गांव में भेष बदलकर रही. क्राइम ब्रांच का मकसद उस गैंग को पकड़ना था जो बाइक चुराता है और उन बाइकों को मराठावाड़ा क्षेत्र के धाराशिव, लातूर और बीड़ जिलों में बेच देता है.

पुलिस ने बेहद चतुराई से चलाया अभियान

गांववालों को शक न हो इसलिए पुलिस ने बड़ी ही चतुराई से इस काम को. वे खेतों पर अपना खाना खुद बनाते थे, स्थानीय लोगों के साथ काम करने जाते थे और हर काम में उनका हाथ बंटाते थे. इस तरह से उन्होंने इस गैंग के बारे में अहम जानकारी इकट्ठा कर ली. उन्होंने यह भी पता लगा लिया कि चोरों द्वारा चोरी की बाइकों को कहां बेचा जाता है.

यह पूरा अभियान सहायक निरीक्षक सुरेश जयभाय की देखरेख में चलाया गया. इस अभियान में कुछ स्थानीय अंडरकवर एजेंटों की भी मदद ली गयी. इस पूरे अभियान को पिछले साल मध्य मार्च से अप्रैल के बीच अंजाम दिया गया. क्राइम ब्रांच के वरिष्ठ अधिकारी इस पूरे अभियान पर नजर बनाए हुए थे.

धाराशिव, लातूर और बीड़ में बेच देता था बाइक

गुप्त सूत्रों से पुलिस को जानकारी मिली थी कुछ लोग धाराशिव, लातूर और बीड़ जिले में रहने वाले ग्रामीणों को ये कहकर बेच रहे हैं कि ये वाहन फाइनेंस कंपनियों द्वारा लोन डिफाल्टरों से ली गई हैं. इस पूरे अभियान के लिए सात लोगों को चुना गया. अन्य अधिकारी पुणे से ही इन लोगों की मदद करते रहे.

खरीदारों को दे दिया जाता था फर्जी रजिस्ट्रेशन नंबर

क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी ने कहा कि इस अभियान के दौरान हमने पता लगाया कि ज्यादातर बाइकें गांव में सप्ताह में लगने वाले बाजारों, उर्स और जात्रा के दौरान लोगों को बेची जाती थीं और इन बाइकों के खरीदारों को फर्जी रजिस्ट्रेशन नंबर दे दिया जाता था.

सस्ती बाइकें चुराथा था गैंग

टीम के एक अन्य सदस्य ने कहा कि ये गिरोह लोगों खरीदारों को बताता था कि बाइक के कागज अभी आने बाकी हैं. वे 35000 तक की बाइक के लिए 25000 रुपए तक की डिमांड करते थे, हालांकि खरीदार कम से कम दाम में इन्हें खरीदने की कोशिश करते थे और फिर उन बाइकों को फेक रजिस्ट्रेशन नंबर के साथ ही चलाते थे. आरटीओ की नजर इन बाइकों पर नहीं पड़ती थी क्योंकि इन बाइकों का इस्तेमाल ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में होता था. गैंग ज्यादातर कम कीमत की बाइकों को ही ग्रामीणों को बेचता था ताकि वे उन्हें खरीद सकें.

पुलिस ने गिरोह के सदस्यों को किया गिरफ्तार

19 अप्रैल 2023 को पुलिस ने गिरोह के 23 साल के युवराज सुदर्शन मुंढे और परमेश्वर भैरवनाथ मिसाल (28) को गिरफ्तार किया जो कल्लम में गोविंदपुर के रहने वाले थे. उन दोनों से पूछताछ के बाद पुलिस ने गिरोह के अन्य लोगों शेंडे, कदम आदि को भी धर दबोचा. 

शेंडे था मास्टरमाइंड, चोरी की 100 बाइकें भी जब्त

जांच में पता चला कि शेंडे ही इस गिरोह का मास्टरमाइंड था, जो कि कॉमर्स से ग्रेजुएट है. वह एक प्राइवेट कंपनी में भर्ती सुपरवाइजर के तौर पर काम करता था और कंपनी में काम करने के दौरान ही अपने गिरोह में सदस्यों की भर्ती करता था. कुछ ही समय बाद पुलिस ने इस गिरोह द्वारा बेची गईं सभी बाइकें बरामद कर लीं. गिरोह ने 34 लाख रुपए की 100 बाइकें बेची थीं जो पिछले साल पुणे शहर और उसके आसपास के इलाकों से चुराई गई थीं.