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India Daily

प्रियंका गांधी का सांसद बनने के बाद लोकसभा में पहला भाषण, संसद में संविधान पर हो रही है चर्चा

कांंग्रेस की वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी लोकसभा में पहला भाषण दे रही है. उन्होंने कांग्रेस की तरफ से संविधान में चर्चा में हिस्सा लिया. केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सबसे पहले संविधान में हो रही चर्चा में हिस्सा लिया.

priyanka gandhi
Courtesy: Sansad TV

वायनाड से सांसद बनने के बाद प्रियंका गांधी लोकसभा में पहला भाषण दे रही है. उन्होंने कांग्रेस की तरफ से संविधान में चर्चा में हिस्सा लिया और पार्टी की तरफ से बोलने वाली पहली वक्ता बनीं. प्रियंका गांधी ने हाल ही में केरल के वायनाड से रिकॉर्ड मतों से चुनाव जीता थी. राहुल गांधी ने रायबरेली और वायनाड से लोकसभा सांसद का चुनाव जीतने के बाद वायनाड सीट छोड़ दी थी. 

प्रियंका गांधी ने सबसे पहले भाषण की शुरुआत करते हुए साल 2001 में 13 दिसंबर को संसद पर हुए हमले में शहीद हुए जवानों को श्रद्धाजंलि अर्पित की. प्रियंका ने अपने भाषण में उत्तर प्रदेश के उन्नाव बलात्कार मामले और जाति जनगणना की आवश्यकता जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी बात रखी. उन्नाव मामले में पीड़िता

के साथ हुए अन्याय पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि इस मामले में कड़ी कार्रवाई हो जवाबदेही की तय हो. प्रियंका ने देश में सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को दूर करने के लिए जाति जनगणना कराने के महत्व पर भी जोर दिया.

संभल हिंसा का जिक्र
कांग्रेस महासचिव ने कहा कि हाल ही में यूपी के संभल में हिंसा में मारे गए परिजनों के कुछ लोग हमसे मिलने आए. उनके दो बच्चे थे अदनान उजैर. उनमें से एक मेरे बेटे की उम्र का था. दूसरा उससे छोटा 17 साल का था. उनके पिता दर्जी थे. उनका बस एक सपना था कि वह अपने बच्चों को पढ़ाएंगे. उनका एक बेटा डॉक्टर बनेगा और दूसरा भी सफल होगा.

 

संविधान ने अदनान के दिल में डाली उम्मीद

पुलिस ने उनकी पिता की हत्या कर दी. उनके 17 साल के बेटे अदनान ने मुझे बताया कि वो बड़ा होकर डॉक्टर बनेगा और अपने पिता के सपने को साकार करेगा. यह सपना और उम्मीद भारत के संविधान ने उसके दिल में डाली है.

हमारे देश में संवाद की हजारों साल पुरानी परंपरा

प्रियंका ने आगे कहा कि हमारे देश में संवाद और चर्चा की हजारों साल पुरानी परंपरा रही है. ये परंपरा हर धर्म, दर्शन ग्रंथों, वेदों और उपनिषदों में दिखती है. वाद-संवाद हमारी संस्कृति का हिस्सा रहा है. इसी परंपरा से हमारा स्वतंत्रता संग्राम निकला था, जो अहिंसा और सत्य पर आधारित था. ये एक बेहद लोकतांत्रिक लड़ाई थी. इस आंदोलन से देश के किसान, मजदूर, बुद्धिजीवी सभी जुड़े थे. सबने मिलकर आजादी की लड़ाई लड़ी थी. इसी आजादी की लड़ाई से देश में एक आवाज उठी, जो हमारा संविधान है. ये साहस और आजादी की आवाज थी.