वायनाड से सांसद बनने के बाद प्रियंका गांधी लोकसभा में पहला भाषण दे रही है. उन्होंने कांग्रेस की तरफ से संविधान में चर्चा में हिस्सा लिया और पार्टी की तरफ से बोलने वाली पहली वक्ता बनीं. प्रियंका गांधी ने हाल ही में केरल के वायनाड से रिकॉर्ड मतों से चुनाव जीता थी. राहुल गांधी ने रायबरेली और वायनाड से लोकसभा सांसद का चुनाव जीतने के बाद वायनाड सीट छोड़ दी थी.
प्रियंका गांधी ने सबसे पहले भाषण की शुरुआत करते हुए साल 2001 में 13 दिसंबर को संसद पर हुए हमले में शहीद हुए जवानों को श्रद्धाजंलि अर्पित की. प्रियंका ने अपने भाषण में उत्तर प्रदेश के उन्नाव बलात्कार मामले और जाति जनगणना की आवश्यकता जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी बात रखी. उन्नाव मामले में पीड़िता
मैं 13 दिसंबर को संसद की सुरक्षा में शहीद हुए जवानों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं।
— Congress (@INCIndia) December 13, 2024
: कांग्रेस महासचिव श्रीमती @priyankagandhi जी pic.twitter.com/p0CeEDmyhz
संभल हिंसा का जिक्र
कांग्रेस महासचिव ने कहा कि हाल ही में यूपी के संभल में हिंसा में मारे गए परिजनों के कुछ लोग हमसे मिलने आए. उनके दो बच्चे थे अदनान उजैर. उनमें से एक मेरे बेटे की उम्र का था. दूसरा उससे छोटा 17 साल का था. उनके पिता दर्जी थे. उनका बस एक सपना था कि वह अपने बच्चों को पढ़ाएंगे. उनका एक बेटा डॉक्टर बनेगा और दूसरा भी सफल होगा.
#WATCH | Speaking in Lok Sabha during discussion on the 75th anniversary of the adoption of the Constitution of India, Congress MP Priyanka Gandhi Vadra says, "A few people from the bereaved families of Sambhal had come to meet us. There were two children among them - Adnan and… pic.twitter.com/bfjRC3wT6b
— ANI (@ANI) December 13, 2024
संविधान ने अदनान के दिल में डाली उम्मीद
पुलिस ने उनकी पिता की हत्या कर दी. उनके 17 साल के बेटे अदनान ने मुझे बताया कि वो बड़ा होकर डॉक्टर बनेगा और अपने पिता के सपने को साकार करेगा. यह सपना और उम्मीद भारत के संविधान ने उसके दिल में डाली है.
हमारे देश में संवाद की हजारों साल पुरानी परंपरा
प्रियंका ने आगे कहा कि हमारे देश में संवाद और चर्चा की हजारों साल पुरानी परंपरा रही है. ये परंपरा हर धर्म, दर्शन ग्रंथों, वेदों और उपनिषदों में दिखती है. वाद-संवाद हमारी संस्कृति का हिस्सा रहा है. इसी परंपरा से हमारा स्वतंत्रता संग्राम निकला था, जो अहिंसा और सत्य पर आधारित था. ये एक बेहद लोकतांत्रिक लड़ाई थी. इस आंदोलन से देश के किसान, मजदूर, बुद्धिजीवी सभी जुड़े थे. सबने मिलकर आजादी की लड़ाई लड़ी थी. इसी आजादी की लड़ाई से देश में एक आवाज उठी, जो हमारा संविधान है. ये साहस और आजादी की आवाज थी.