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India Daily

जातीय हिंसा से सुलग रहे मणिपुर में लगा राष्ट्रपति शासन, चार दिन पहले CM बीरेन सिंह ने दिया था इस्तीफा

केंद्र सरकार ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगा दिया है. बीते 21 महीने से मणिपुर में जारी जातीय हिंसा के चलते मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने 9 फरवरी को इस्तीफा दे दिया था. सिंह के इस्तीफे के बाद ही मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की अटकलें लगाई जा रही थीं.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
biren singh manipur

केंद्र सरकार ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगा दिया है. बीते 21 महीने से मणिपुर में जारी जातीय हिंसा के चलते मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने 9 फरवरी को इस्तीफा दे दिया था. सिंह के इस्तीफे के बाद ही मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की अटकलें लगाई जा रही थीं.

अलग प्रशासन की मांग
मणिपुर में पिछले 21 महीने से मैतेई और कूकी समुदाय के बीच जातीय संघर्ष जारी है. कूकी समुदाय की संस्था ITLF के प्रवक्ता गिन्जा वलजोंग ने कहा कि  हमारी मांग अलग प्रशासन की है. उन्होंने कहा कि मैतेई समुदाय ने हमें अलग किया है और अब हम पीछे नहीं हट सकते हैं. बहुत खून बह चुका है. एक राजनीतिक हल ही हमारी मुसीबत का समाधान कर सकता है.

विपक्ष का निशाना
एम बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद विपक्ष ने मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा था. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा था कि हिंसा और जान-माल के नुकसान के बावजूद पीएम मोदी ने एन बीरेन सिंह को पद पर बनाए रखा, लेकिन अब लोगों की तरफ से बढ़ते दबाव, सुप्रीम कोर्ट की जांच और कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव की वजह से बीरेन सिंह इस्तीफा देने को मजबूर हो गए.

उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा था कि इस वक्त सबसे जरूरी बात ये है कि राज्य में शांति बहाल की जाए और मणिपुर के लोगों के घावों को भरने का काम किया जाए. पीएम मोदी को तुरंत मणिपुर जाना चाहिए, वहां लोगों की बातें सुननी चाहिए और यह बताना चाहिए कि वे हालात सामान्य करने के लिए क्या योजना बना रहे हैं.

कैसे लगता है राष्ट्रपति शासन
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 356 के अनुसार, राष्ट्रपति किसी भी राज्य में राष्ट्रपति शासन की घोषणा कर सकते हैं, यदि उन्हें ऐसा लगे कि राज्य में ऐसे हालात पैदा हो गए हैं कि शासन संविधान के प्रावधानों के अनुसार नहीं चलाया जा सकता है.

क्या है प्रक्रिया
राष्ट्रपति शासन के लिए राज्यपाल की तरफ से केंद्र सरकार को रिपोर्ट भेजी जाती है. राज्यपाल की रिपोर्ट के आधार पर केंद्रीय मंत्रिमंडल की तरफ से सिफारिश की जाती है. राष्ट्रपति, केंद्रीय मंत्रिमंडल की सलाह पर राज्य में राष्ट्रपति शालन लागू करने का निर्णय लेते हैं. राष्ट्रपति शासन 6 महीने के लिए ही लागू होता है. हालांकि संसद की मंजूरी के बाद इसे एक साल तक बढ़ाया जा सकता है.