राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पाकिस्तानी आतंकी मोहम्मद आरिफ उर्फ अशरफ की दया याचिका खारिज कर दी है. आतंकी पर 24 साल पहले लाल किले पर हमले की साजिश रचने का आरोप था. इस मामले में कोर्ट ने आतंकी को दोषी करार दिया था. नवंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने आतंकी की मौत की सजा को बरकरार रखते हुए समीक्षा याचिका खारिज कर दी थी.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार 15 मई को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास आतंकी मोहम्मद आरिफ की दया याचिका पहुंची थी. 29 मई को राष्ट्रपति ने दया याचिका को खारिज कर दिया था.
2022 में समीक्षा याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह पाया कि लाल किले पर हमला भारत की एकता, अखंडता और संप्रभुता के लिए खतरा था. उस दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने ये भी कहा था कि दोषी के पक्ष में कोई भी परिस्थितियां नहीं थीं.
22 दिसंबर 2000 को दिल्ली के लाल किले पर आतंकी हमला हुआ था. इस हमले में राजपूताना राइफल्स के 3 जवान शहीद हुए थे. राजपूताना राइफल्स 7 जवान उस समय ड्यूटी पर तैनात थे.
हमले के 4 दिन बाद पाकिस्तानी आतंकी मोहम्मद आरिफ को गिरफ्तार किया गया था. वह आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा का मेंबर और पाकिस्तान का नागरिक है.
आतंकी मोहम्मद आरिफ को पहली बार साल 2005 में सेना के जवानों पर हमला करने की साजिश रचने का दोषी पाया गया था. उसे इस मामले में मौत की सजा सुनाई गई थी
साल 1999 में लश्कर ए तैयबा के 4 आतंकी भारत में घुसे थे. इनमें से एक आरिफ था. चारों श्रीनगर के एक घर में ठहरे थे. श्रीनगर में ही आतंकियों ने लाल किले पर हमला करने की योजना बनाई थी.
आरिफ के अलावा तीन अन्य आतंकवादी अबू शाद, अबू बिलाल और अबू हैदर अलग-अलग मुठभेड़ों में मारे गए थे. दिल्ली उच्च न्यायालय ने सितंबर 2007 में आरिफ की मौत की सजा को बरकरार रखा था और साल 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर मुहर लगा दी थी.
2012 में आतंकी आरिफ की समीक्षा याचिका खारिज हो गई तो उसने 2014 में उन सभी मुकदमों में जिसमें उसे मौत की सजा सुनाई गई थी को लेकर सुधारात्मक याचिका दायर की थी.