Parliament Session: आम चुनाव 2024 के बाद 24 जून से 18वीं लोकसभा का कामकाज शुरू हो गया. पहले सदस्यों का शपथ दिलाई गई और फिर स्पीकर का चुनाव हुआ. गुरुवार को लोकसभा और राज्यसभा के संयुक्त सदन को राष्ट्रपति ने संबोधित किया. इसमें उन्होंने सरकार के अगले 5 साल के रोडमैप को रखा और कई अहम विषयों की ओर इशारा किया. अब राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा होने लगी है. आइये ऐसे में समझे ये 2019 की पूर्व बहुमत वाली बीजेपी सरकार और 1998 वाली NDA सरकार में आए अभिभाषण से कितना अलग है.
गुरुवार को 2024 में बनी सरकार का रोडमैप राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने संबोधन में दिया. वहीं इससे पहले मोदी सरकार का रोडमैप तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दिया था. इससे पहले NDA गठबंधन की सरकार 1998 में बनी थी तब केआर नारायणन ने संयुक्त सदन को संबोधित किया था. आइये समझते हैं तीनों भाषण में क्या अंतर था.
2024 के अभिभाषण में राष्ट्रपति मुर्मू 2024 के जनादेश को निर्णायक बताया और इसे नीति, इरादे, समर्पण के प्रति विश्वास बताया. वहीं 2019 की बात करें तो तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने स्पष्ट जनादेश का उपयोग किया था. इसके पहले 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बनी तो उस समय के राष्ट्रपति केआर नारायणन के संबोधन के स्वर नरम थे. उन्होंने बहुमत और अल्पमत की धारणाओं से ऊपर उठ सहयोग, समझौता और सहमति के साथ संवाद, बहस और चर्चा की बात की थी.
साल 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित किया था. इसमें 'नया भारत' का उपयोग 21 बार किया गया था. जबकि, 2014 के अभिभाषण में न्यू इंडिया का उपयोग नहीं हुआ है. इस बार राष्ट्रपति के भाषण में बदलते भारत का जिक्र किया गया है. इसमें बुनियादी ढांचा विकास को संदर्भित किया गया है. वहीं 1998 में जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बनी थी तो इसमें नया भारत के साथ राष्ट्रपति ने संबोधन दिया. इसका अर्थ उन्होंने ऐसे भारत से की थी जो असुरक्षा, भूख और भ्रष्टाचार से मुक्त होगा.
इस बार राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान का 11 बार उल्लेख किया है. इसमें पांच बार दशकों से चली आ रही चुनौतियों के संदर्भ में था. सबसे अधिक उन्होंने संविधान को उपयोग आपातकाल के दौरान के लिए किया था. वहीं 17वीं लोकसभा की शुरुआत में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संविधान का आठ बार उल्लेख किया था. इसमें उन्होंने संविधान को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय के साथ समानता और स्वतंत्रता के लिए मार्गदर्शन दाता बताया था.
साल 2019 में एक चुनाव की बात की गई थी. हालांकि, 2024 में ये संदर्भ गायब नजर आया. कोविंद के भाषण ने चुनाव आयोग को धन्यवाद दिया दिया गया था. इस बार के भाषण में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) पर विवाद का उल्लेख किया गया है. विपक्षी नेताओं के उठाए जा रहे सवालों को बताया गया है.
2019 के भाषण में विपक्ष पर कोई सीधा हमला नहीं था. इतना ही कहा गया था कि लोगों ने 2014 में देश को निराशा और अस्थिरता से बाहर निकालने के लिए तीन दशकों बाद सरकार को पूर्ण बहुमत के साथ चुना था. हालांकि, 2024 के भाषण में राष्ट्रपति ने कांग्रेस का नाम लिए बिना ही आपातकाल का हवाला दिया और जम्मू-कश्मीर का नाम लेते हुए कहा कि वहां की वोटिंग ने अंदर और बाहर के दुश्मनों को करारा जवाब दिया है. वहीं इस मामले में 1998 के अभिभाषण में गठबंधन को सहमति मोड के शासन के विकास की बात की गई थी.