देश में 'वन नेशन वन इलेक्शन' लागू करने की तैयारी, संसद में आज पेश होगा विधेयक?
देश में 'वन नेशन वन इलेक्शन' लागू करने की तैयारी की जा रही है. शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में इस पहल को लेकर विधेयक पेश हो सकता है, जिसपर आम सहमति बनाने की कोशिश की जाएगी.
One Nation One Election Bill: देश में 18वीं लोकसभा का शीतकालीन सत्र जारी है. 25 नवंबर से शुरू होकर 20 दिसंबर तक चलने वाले इस शीतकालीन सत्र में हर दिन कुछ नया हंगामा देखने को मिल रहा है. विपक्षी नेता के कुर्सी के नीचे पैसों की गड्डी मिलने के बाद संसद के अंदर से लेकर बाहर तक हंगामा देखने को मिला. वहीं सत्र की शुरुआत होते ही कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और सभापति जगदीप धनखड़ के बीच तीखी बहस हुई.
विपक्ष द्वारा सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी की जा रही है. जिसके लिए 70 विपक्षी सांसदों ने अविश्वास प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किया है. हालांकि सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक अब इस सत्र के दौरान 'वन नेशन वन इलेक्शन' का मुद्दा भी उठने वाला है. इस पहल के लिए जल्द ही संसद में एक विधेयक पेश की जा सकती है.
विधेयक पर आम सहमति बनाने का लक्ष्य
वन नेशन वन इलेक्शन का मुद्दा पिछले लोकसभा चुनाव के पहले से ही सुर्खियों में है. कैबिनेट ने इस मामले पर रामनाथ कोविंद समिति की रिपोर्ट को पहले ही मंजूरी दे दी है. सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक सरकार अब विधेयक पर आम सहमति बनाने का लक्ष्य बना रही है और इसे गहन चर्चा के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेज सकती है. सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि सरकार का लक्ष्य जनता को शामिल करना है और इसे पूरा करने के तरीकों पर बाद में चर्चा की जाएगी. अपनी 'वन नेशन वन इलेक्शन' पहल को जारी रखते हुए सरकार ने सितंबर में चरणबद्ध तरीके से लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के लिए एक साथ चुनाव कराने की सिफारिशों को स्वीकार किया था.
सरकार को सौंपी गई रिपोर्ट
आम चुनाव की घोषणा से ठीक पहले मार्च में सरकार को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में पैनल ने दो चरणों में 'वन नेशन वन इलेक्शन' लागू करने की सिफारिश की थी. हालांकि अभी भी इस बात पर कोई स्पष्टता नहीं है कि सरकार देश भर में एक साथ चुनाव कराने के लिए कितने विधेयक पेश करना चाहती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'वन नेशन वन इलेक्शन' के लिए फुल सपोर्ट देते रहे हैं. इस साल स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण में मोदी ने बार-बार होने वाले चुनावों के कारण होने वाले ‘व्यवधान’ को समाप्त करने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि यह देश की प्रगति में बाधा बन रहा है. 2014 में सत्ता में आने के बाद से ही भाजपा एक साथ चुनाव कराने पर जोर दे रही है.