भारत के भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी को बेल्जियम के एंटवर्प में 12 अप्रैल, शनिवार को गिरफ्तार किया गया. भारतीय जांच एजेंसियों द्वारा प्रत्यर्पण अनुरोध दायर करने के बाद यह कार्रवाई हुई. चोकसी पर भारत में अरबों रुपये के बैंक धोखाधड़ी मामले में आरोप हैं, जिसके चलते वह लंबे समय से फरार थे. उनकी गिरफ्तारी ने भारत में जांच एजेंसियों को एक बड़ी सफलता दिलाई है. अब भारतीय एजेंसी बेल्जियम के लिए रवाना हुए हैं.
चोकसी की हिरासत की खबर मिलते ही केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने त्वरित कार्रवाई शुरू कर दी. सूत्रों के अनुसार, दोनों एजेंसियों ने अपने मुख्यालयों में चर्चा शुरू की जिसमें प्रत्येक एजेंसी से दो से तीन अधिकारियों को बेल्जियम भेजने के लिए चुना जाएगा. एक सूत्र ने बताया, उनकी हिरासत और गिरफ्तारी के बाद सीबीआई और ईडी मुख्यालय में प्रत्येक एजेंसी से दो से तीन अधिकारियों के नामों को अंतिम रूप देने के लिए चर्चा शुरू हुई. ये अधिकारी प्रत्यर्पण प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक दस्तावेज तैयार करेंगे.
सूत्र ने कहा कि आने वाले दिनों में सीबीआई और ईडी की एक संयुक्त टीम अपने कानूनी सलाहकार के साथ बेल्जियम जाएगी, ताकि वहां की सरकार के साथ समन्वय किया जा सके और प्रत्यर्पण प्रक्रिया को अंजाम देने के लिए अपने केस फाइलों के सभी दस्तावेज भी जमा किए जा सकें.
प्रत्यर्पण में चुनौतियां
भारतीय अधिकारियों को इस बात की आशंका है कि चोकसी अपने प्रत्यर्पण को रोकने के लिए बेल्जियम में कानूनी रास्ते अपनाएंगे. सूत्रों ने कहा, चयन के बाद, वे दस्तावेजीकरण पर काम शुरू कर देंगे, क्योंकि इस बात की प्रबल संभावना है कि चोकसी अपने प्रत्यर्पण को चुनौती देने के लिए उच्च अधिकारियों से संपर्क करेगा. इसके लिए भारतीय एजेंसियां बेल्जियम सरकार के साथ मिलकर काम करेंगी, ताकि प्रक्रिया में कोई देरी न हो.
चोकसी, उसके भतीजे और भगोड़े हीरा व्यापारी नीरव मोदी और उनके परिवार के सदस्यों पर 2018 में सीबीआई और ईडी ने मुंबई में पंजाब नेशनल बैंक की ब्रैडी हाउस शाखा में कथित रूप से ऋण धोखाधड़ी करने का मामला दर्ज किया था. दोनों जांच एजेंसियों ने चोकसी और मोदी के खिलाफ कई आरोपपत्र और अभियोजन शिकायतें दायर की हैं.