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महाकुंभ की भगदड़ में लापता हुआ बुजुर्ग तेरहवीं के दिन अचानक घर लौटा, अंदाज देख दंग रह गए लोग

प्रयागराज महाकुंभ से एक अद्भुत घटना प्रकाश में आई है, जिसने सभी को चकित कर दिया है. मौनी अमावस्या के दिन हुई भगदड़ के बाद गायब हुए खूंटी गुरु, अपनी तेरहवीं से ठीक पहले अचानक अपने घर लौट आए हैं. यह घटना सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी हुई है.

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Edited By: Ritu Sharma
Mahakumbh 2025
Courtesy: Mahakumbh 2025

Mahakumbh 2025: प्रयागराज के एक 60 वर्षीय स्थानीय निवासी, जो 29 जनवरी को महाकुंभ में हुई भगदड़ के बाद से लापता थे, मंगलवार को चौंकाने वाले घटनाक्रम में अपनी ही तेरहवीं में लौट आए. जिस प्रार्थना सभा में उनकी आत्मा की शांति के लिए भोजन कराया जा रहा था, वह अचानक जश्न में बदल गई. परिवार और पड़ोसियों ने उनकी सुरक्षित वापसी पर खुशी मनाई.

'चिलम पी और समय का अंदाजा नहीं रहा'

आपको बता दें कि जब उनसे पूछा गया कि इतने दिनों तक वह कहां थे, तो उनका जवाब बेफिक्र था. उन्होंने बताया, ''मैंने साधुओं के एक समूह के साथ कुछ चिलम पी और समय का पता ही नहीं चला. शायद मैं कई दिनों तक सोता रहा.'' बाद में वह नागा साधुओं के एक शिविर में पहुंच गए, जहां उन्हें भंडारों में भोजन मिला और उन्होंने वहां की सेवा का आनंद लिया.

प्रयागराज की गलियों में मशहूर हैं 'खूंटी गुरु'

बताते चले कि स्थानीय लोग उन्हें 'खूंटी गुरु' के नाम से जानते हैं. जीरो रोड इलाके में उनका एक 10x12 का छोटा सा कमरा ही उनकी पुश्तैनी संपत्ति का अंतिम अवशेष है. कभी एक प्रतिष्ठित वकील के बेटे, खूंटी गुरु ने स्कूली शिक्षा पूरी की, लेकिन पारिवारिक परंपरा से अलग होकर जीवन को एक अनोखे अंदाज में जिया. उनके परिवार के बाकी सदस्य वर्षों पहले शहर छोड़ चुके हैं, लेकिन वह प्रयागराज की गलियों में अपनी अलग पहचान बनाए हुए हैं.

मंदिर में सोने की आदत, मोहल्ले वाले रखते हैं ख्याल

वहीं खूंटी गुरु एक हंसमुख और मिलनसार इंसान हैं. स्थानीय दुकानदार उन्हें खाना खिलाते हैं और इसके बदले में वह मोहल्ले वालों को अपने अनोखे अंदाज में किस्से-कहानियां सुनाते हैं. हालांकि उनके कमरे में एक बिस्तर है, लेकिन वह अक्सर एक स्थानीय शिव मंदिर में पुजारियों के साथ बैठकर गपशप करते हुए सोना पसंद करते हैं.

लापता होने के बाद मृत मान लिया गया

इसके अलावा बता दें कि 28 जनवरी की शाम खूंटी गुरु ने संगम स्नान करने की बात कहकर घर छोड़ा था. लेकिन जब 29 जनवरी को महाकुंभ में भगदड़ हुई और वह वापस नहीं लौटे, तो मोहल्लेवालों ने उन्हें खोजने की हरसंभव कोशिश की. जब वह नहीं मिले, तो स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता अभय अवस्थी और अन्य लोगों ने उन्हें मृत मानकर उनकी आत्मा की शांति के लिए तेरहवीं की रस्में पूरी कर दीं.

तेरहवीं में लौटकर बोले - ''आप लोग क्या कर रहे हैं?''

हालांकि, तेरहवीं के भोज की तैयारियों के बीच खूंटी गुरु अचानक ई-रिक्शा से उतरे और मुस्कुराते हुए बोले, ''आप लोग क्या कर रहे हैं?'' यह सुनकर वहां मौजूद लोग एक पल के लिए हैरान रह गए. गुस्से और खुशी के मिले-जुले भाव के साथ लोगों ने उनकी वापसी का जश्न मनाया. अवस्थी ने बताया कि ''जिस भोजन को उनकी आत्मा की शांति के लिए तैयार किया गया था, वही बाद में उनके लौटने की खुशी में प्रसाद के रूप में बांट दिया गया.'' अब, जब खूंटी गुरु सुरक्षित लौट आए हैं, तो कोई भी शिकायत नहीं कर रहा है. उनके मोहल्ले के लोग अब भी उन्हें उतने ही प्यार और सम्मान के साथ देख रहे हैं, जैसे पहले देखते थे.