दिल्ली में मुख्यमंत्री पद को लेकर जारी सस्पेंस आखिरकार खत्म हो गया है. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की विधायक दल की बैठक में रेखा गुप्ता के नाम पर मुहर लगा दी गई है. उनके नेतृत्व में नई सरकार का गठन होगा. वहीं, नई दिल्ली से विधायक चुने गए प्रवेश वर्मा को उप-मुख्यमंत्री की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है. यह फैसला भाजपा की रणनीतिक सोच को दर्शाता है, जहां पार्टी नेतृत्व ने संतुलन बनाते हुए वरिष्ठ नेताओं को उचित भूमिकाएं सौंपी हैं.
दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को हराने वाले प्रवेश वर्मा मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे माने जा रहे थे. लेकिन भाजपा नेतृत्व ने अंतिम निर्णय में रेखा गुप्ता को प्राथमिकता दी, जिससे यह साफ हो गया कि पार्टी ने एक नया नेतृत्व देने का मन बना लिया था. हालांकि, प्रवेश वर्मा को उप-मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने उन्हें एक बड़ी भूमिका दी है, जिससे पार्टी के भीतर संतुलन बना रहे.
रेखा गुप्ता को क्यों मिली कमान?
रेखा गुप्ता भाजपा की एक वरिष्ठ और अनुभवी नेता हैं. संगठन के विभिन्न स्तरों पर उनका योगदान सराहनीय रहा है. उनकी नेतृत्व क्षमता और जमीनी स्तर पर पकड़ को देखते हुए पार्टी ने उन्हें मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी दी है. उनकी प्रशासनिक क्षमता और संगठन कौशल को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने यह निर्णय लिया है.
प्रवेश वर्मा का राजनीतिक सफर
प्रवेश वर्मा दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं. साहिब सिंह वर्मा 27 फरवरी 1996 से 12 अक्टूबर 1998 तक दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे थे. प्रवेश वर्मा ने अपने राजनीतिक करियर में तेजी से उभरते हुए खुद को एक मजबूत नेता के रूप में स्थापित किया है. लोकसभा सदस्य के रूप में भी वे प्रभावी रहे हैं, और अब उन्हें दिल्ली सरकार में उप-मुख्यमंत्री के रूप में नई भूमिका दी गई है.