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प्रवेश वर्मा की जीत के पीछे इन 3 महिलाओं ने लगा दी ऐसी चोटी की जान, केजरीवाल को चटा दी धूल

प्रवेश वर्मा की जीत केवल उनकी व्यक्तिगत मेहनत का परिणाम नहीं है, बल्कि उनके परिवार की अहम भूमिका ने भी इसे संभव बनाया. उनके परिवार की महिलाएं, विशेष रूप से उनकी बेटियां और पत्नी, इस चुनावी अभियान में बेहद सक्रिय थीं.

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Edited By: Babli Rautela
Parvesh Verma
Courtesy: Social Media

Pravesh Verma: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के नेता प्रवेश वर्मा ने नई दिल्ली सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को हराकर शानदार जीत हासिल की है. इस जीत ने न सिर्फ भाजपा को दिल्ली में नई ताकत दी, बल्कि प्रवेश वर्मा के परिवार की भूमिका भी काफी महत्वपूर्ण रही. उनकी दोनों बेटियों और पत्नी ने इस चुनाव में सक्रिय रूप से योगदान दिया और जीत की दिशा तय की.

परिवार का अहम योगदान

प्रवेश वर्मा की दोनों बेटियां, त्रिशा सिंह और सानिधि सिंह, उनके चुनावी अभियान में पूरी तरह से सक्रिय रही. चुनाव प्रचार के दौरान इन दोनों ने न केवल अपने पिता के लिए जनसमर्थन जुटाया, बल्कि दिल्ली के मतदाताओं के बीच भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने में भी अहम भूमिका निभाई. चुनाव के बाद, त्रिशा और सानिधि ने सोशल मीडिया पर दिल्ली के मतदाताओं का धन्यवाद करते हुए कहा, 'दिल्ली की जनता ने इस बार झूठ को जीतने नहीं दिया. हमने पहले ही स्पष्ट जीत की भविष्यवाणी की थी, बस सही समय का इंतजार था.'

स्वाति सिंह का समर्थन 

प्रवेश वर्मा की पत्नी स्वाति सिंह, जो पूर्व केंद्रीय मंत्री विक्रम वर्मा की बेटी हैं, ने भी चुनाव प्रचार में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. स्वाति सिंह ने रैलियों, सामुदायिक कार्यक्रमों और सार्वजनिक संवादों में भाग लिया, जिससे उन्होंने मतदाताओं के साथ व्यक्तिगत संबंध स्थापित किए. उनकी सक्रिय भागीदारी ने भाजपा के पक्ष में वातावरण बनाने में मदद की. जीत के बाद, स्वाति सिंह ने कहा, 'यह जीत प्रवेश वर्मा के नेतृत्व और भाजपा की विकास की प्रतिबद्धता का प्रमाण है.'

प्रवेश वर्मा की राजनीति में शुरुआत

7 नवंबर 1977 को जन्मे प्रवेश वर्मा का परिवार राजनीतिक रूप से प्रभावशाली है. उनके पिता, स्वर्गीय साहिब सिंह वर्मा, दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता थे. प्रवेश वर्मा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली पब्लिक स्कूल, आरके पुरम से प्राप्त की और बाद में किरोड़ीमल कॉलेज से उच्च शिक्षा पूरी की. इसके बाद, उन्होंने फोर स्कूल ऑफ मैनेजमेंट से एमबीए की डिग्री भी हासिल की.

प्रवेश वर्मा ने 2013 में राजनीति में कदम रखा और महरौली विधानसभा सीट से कांग्रेस नेता योगानंद शास्त्री को हराया. इसके बाद, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में उन्होंने पश्चिमी दिल्ली से ऐतिहासिक जीत दर्ज की. 2024 में उन्होंने लोकसभा चुनाव न लड़ने का निर्णय लिया और राज्य की राजनीति पर ध्यान केंद्रित किया.

भाजपा की दिल्ली में मजबूत वापसी

प्रवेश वर्मा की नेतृत्व में भाजपा ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में जबरदस्त प्रदर्शन किया. उन्हें अब दिल्ली के मुख्यमंत्री के संभावित उम्मीदवार के रूप में देखा जा रहा है. उनके चुनावी अभियान और उनके परिवार के समर्थन ने इस चुनाव को भाजपा के लिए जीत में बदला.

प्रवेश वर्मा की जीत केवल उनकी व्यक्तिगत मेहनत का परिणाम नहीं है, बल्कि उनके परिवार की अहम भूमिका ने भी इसे संभव बनाया. उनके परिवार की महिलाएं, विशेष रूप से उनकी बेटियां और पत्नी, इस चुनावी अभियान में बेहद सक्रिय थीं और उनके संघर्ष को जनसमर्थन में बदलने में मदद की. इस प्रकार, भाजपा के लिए दिल्ली में एक नया राजनीतिक अध्याय शुरू हो चुका है, और प्रवेश वर्मा की भूमिका अब दिल्ली की राजनीति में और भी महत्वपूर्ण हो गई है.