Electoral Bonds Scheme: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार की इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को असंवैधानिक करार देते हुए इस पर रोक लगा दी. इस स्कीम के तहत राजनीतिक दलों को चंदा देने वाले व्यक्ति का नाम गुप्त रखा जाता था. यानी कोई भी यह पता नहीं कर सकता था कि पार्टी को मिलने वाला चंदा कहां से आया है. भारत सरकार ने 2017 में इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम की घोषणा की थी और 29 जनवरी 2018 को कानूनन लागू कर दिया था.
इस योजना के लागू होने से अब तक यानी बीते 5 सालों में चुनावी बॉन्ड के माध्यम से विभिन्न राजनीतिक दलों के खातों में कुल 16000 करोड़ रुपए जमा हुए हैं. इनमें से सबसे बड़ा हिस्सा बीजेपी के खाते में गया है.
चुनाव आयोग और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) के डेटा के अनुसार, योजना के लागू होने से लेकर पिछले वित्त वर्ष तक चुनावी बॉन्ड के जरिए विभिन्न राजनीतिक दलों को कुल 12000 करोड़ रुपए प्राप्त हुए जिनमें से 6,565 करोड़ (55%) केवल बीजेपी को मिला. इसमें वित्त वर्ष 2023-24 का डाटा शामिल नहीं है.
देश की सबसे अमीर पार्टी बनी बीजेपी
यूपीए-2 के आखिरी साल के बाद बीजेपी ने कांग्रेस को पछाड़ते हुए देश की सबसे अमीर पार्टी का दर्जा हासिल कर लिया है. वित्त वर्ष 2013-14 में बीजेपी की कुल आय 673.8 करोड़ थी, वहीं कांग्रेस की आय 598 करोड़ रुपए थी.
लगातार बढ़ी बीजेपी की आय, कांग्रेस की लगातार घटी
तब से बीच के कुछ वर्षों को छोड़कर भाजपा की आय में लगातार वृद्धि हुई है, जबकि कांग्रेस की आय में लगातार गिरावट आई है. वित्त वर्ष 2017-18 में इस बॉन्ड की शुरुआत वाले साल में जहां बीजेपी को 210 करोड़ रुपए मिले, वहीं वित्त वर्ष 2018-19 में बीजेपी को चुनावी बॉन्ड से मिलने वाली लगभग 6 गुना बढ़कर 1450.890 करोड़ हो गई. वित्त वर्ष 2022-23 में बीजेपी को इलेक्टोरल बॉन्ड से 1294.1499 करोड़ रुपए मिले थे. वहीं कांग्रेस की आय जहां इसके शुरुआती साल में 5 करोड़ थी वहीं इसके अगले साल 2018-19 में 383.260 करोड़ और वित्त वर्ष 2022-23 में 171.0200 करोड़ रही. यानी चुनावी बॉन्ड से कांग्रेस को बीजेपी की तुलना में काफी कम पैसा मिला.
इलेक्टोरल बॉन्ड से बीजेपी-कांग्रेस को कितना पैसा मिला
बीजेपी को जहां चुनावी बॉन्ड से अब तक 6566.1249 करोड़ रुपए मिले वहीं कांग्रेस को मात्र 1123.3155 करोड़ रुपए मिले. तृणमूल कांग्रेस चुनावी बॉन्ड से सबसे ज्यादा रकम पाने वाली तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है. ममता बनर्ती की पार्टी को इस स्कीम के जरिए अब तक कुल 1092.988 करोड़ रुपए मिले हैं.
आधी से अधिक रकम केवल कॉरपोरेट से
चुनावी बॉन्ड में आधी से अधिक रकम केवल कॉरपोरेट (निजी कंपनियों) से प्राप्त हुई, जबकि शेष राशि अन्य स्रोतों से आई. गौरतलब है कि गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम पर यह कहते हुए रोक लगा दी कि यह सूचना के अधिकार और संविधान में दिए गए भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वंतंत्रता का हनन करती है.
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