49 दिन की सरकार से 50 दिन की जेल तक..., कुछ यूं रहा है अरविंद केजरीवाल का सफर
Arvind Kejriwal: हाल ही में 50 दिन बाद जेल से लौटे अरविंद केजरीवाल की कहानी बेहद रोमाचंक रही है. आईआईटी, UPSC और आंदोलन के रास्ते से वह सत्ता के गलियारों तक पहुंचे हैं.
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल अंतरिम जमानत पर जेल से बाहर आ गए हैं. जेल से बाहर आते ही केजरीवाल एक बार फिर सड़क पर उतर गए हैं. केजरीवाल के लिए यह नया नहीं है क्योंकि उनकी शुरुआत कुछ इसी तरीके से हुई थी. आंदोलनकारी छवि वाले अरविंद केजरीवाल का उदय बहुत तेजी से हुआ और वह कुछ ही सालों में दिल्ली के मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंच गए. आज वह उसी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर तो हैं लेकिन अपनी शक्तियों का इस्तेमाल नहीं कर सकते. भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से चर्चा में आए केजरीवाल भ्रष्टाचार के आरोपों से ही घिरे हैं लेकिन उनकी राजनीति जारी है.
बात है साल 2010 की जब न तो आम आदमी पार्टी बनी थी और न ही अन्ना हजारे का आन्दोलन शुरू हुआ था. उस समय सिर्फ दिल्ली या बिहार हीं नहीं बल्कि पूरे देश में सूचना के अधिकार (आरटीआई) के बारे में जागरूकता फैलाने का काम कर रहे थे अरविंद केजरीवाल. आज उनके सबसे करीबी साथी मनीष सिसोदिया उस समय भी उनके साथ थे. कुछ और भी साथी थे जो अब या तो अपना रास्ता बदल चुके हैं या उन्होंने अरविंद केजरीवाल का साथ ही छोड़ दिया.
5 अप्रैल 2011 अन्ना हजारे आंदोलन
अन्ना हजारे और उनके साथियों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर एक आंदोलन शुरू किया था. इसी जन लोकपाल विधेयक आंदोलन के चलते भ्रष्टाचार के खिलाफ पूरे देश में एक लहर दौड़ गई थी. उस वक्त केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी और पीएम थे डॉ. मनमोहन सिंह. उस वक्त एक और शख्स था जिसका नाम हर चर्चा में आने लगा था. साधारण सा दिखने वाला चेहरा, साइज में थोड़े ढीले कपड़े और पैंरो में आम चप्पल, वह व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि अरविंद केजरीवाल थे. अन्ना आन्दोलन की नींव इसी साधारण से दिखने वाले व्यक्ति ने रखी थी.
आम आदमी पार्टी का गठन
आंदोलन से अपनी मांगें मनवाने में नाकामयाब होने पर अरविंद केजरीवाल और उनके कुछ साथियों ने राजनीति में उतरने का फैसला किया. अन्ना हजारे जैसे लोगों ने इसका विरोध भी किया लेकिन टीम केजरीवाल आगे बढ़ चुकी थी. आम आदमी पार्टी के गठन की आधिकारिक घोषणा 26 नवम्बर 2012 को की गई. उस वक्त अरविंद केजरीवाल के साथ कुमार विश्वास, प्रशांत भूषण और गोपाल राय जैसे नेता भी थे जो आगे चलकर पार्टी के बड़े नेता बने.
2013 का दिल्ली विधानसभा चुनाव
पार्टी बनाने के अगले ही साल यानी 2013 में दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने थे. नए नवेले नेता बने अरविंद केजरीवाल ने सीधे दिल्ली की सीएम शीला दीक्षित को चुनौती दे डाली. अरविंद केजरीवाल ने नई दिल्ली सीट से चुनाव लड़ा और लगातार 15 साल से दिल्ली की मुख्यमंत्री के पद पर काबिज शीला दीक्षित को हरा दिया. इसी के साथ अरविंद केजरीवाल की AAP ने दिल्ली की राजनीति में धमाकेदार एंट्री की. 2013 के चुनाव में AAP ने 70 सदस्यों वाली दिल्ली विधानसभा में 28 सीटें जीतकर खलबली मचा दी. 15 साल से सत्ता में मौजूद कांग्रेस को सिर्फ 8 सीटें मिली और वह तीसरे नंबर पर पहुंच गई.
49 दिन का मुख्यमंत्री
किसी पार्टी को बहुमत न मिलने के चलते कांग्रेस ने नई नवेली आम आदमी पार्टी को बाहर से समर्थन दिया और शीला दीक्षित को हराने वाले केजरीवाल कांग्रेस के ही समर्थन से मुख्यमंत्री बन गए. 28 दिसंबर 2013 से 14 फरवरी 2014 तक 49 दिन दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में काम करते हुए केजरीवाल लगातार सुर्खियों में बने रहे. मुख्यमंत्री बनते ही पहले तो उन्होंने सुरक्षा लेने से इनकार कर दिया. अपने वादे के मुताबिक, केजरीवाल ने बिजली की दरों में 50% की कटौती की घोषणा कर दी. उन्होंने तत्कालीन कांग्रेस सरकार के मंत्रियों मुरली देवड़ा, वीरप्पा मोईली के साथ-साथ भारत के सबे बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी और उनकी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दे दिए. इस तरह के आदेशों के चलते केजरीवाल की छवि 'नायक' फिल्म के अनिल कपूर जैसी बनने लगी.
क्यों छोड़ दिया CM का पद?
लोकपाल आंदोलन से चर्चा में आए अरविंद केजरीवाल का पहला वादा था कि वह लोकपाल बिल लागू करेंगे. इसको लेकर दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर, विपक्षी बीजेपी के साथ-साथ बाहर से समर्थन दे रही कांग्रेस से भी अरविंद केजरीवाल का टकराव होने लगा था. केजरीवाल हर हाल में इसे कानूनी रूप देना चाहते थे लेकिन कांग्रेस और बीजेपी ने बिल को असंवैधानिक बताकर विधानसभा में बिल पेश करने का लगातार विरोध किया. इस विरोध के चलते 14 फरवरी को दिल्ली विधानसभा में यह बिल रखा ही न जा सका. विधानसभा में कांग्रेस और बीजेपी के एक हो जाने के चलते अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया.
2015 का चुनाव
अरविंद केजरीवाल के इस्तीफा देने के चलते दिल्ली में राष्ट्रपति लगा और चुनाव होने में देरी होती रही. देश में लोकसभा चुनाव होने के एक साल बाद दिल्ली में विधानसभा के चुनाव कराए गए. अरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी ने इस बार इतिहास रच दिया. 49 दिन सरकार चलाने वाले केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की 70 में से 67 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत वाली सरकार बनाई. 14 फरवरी 2015 का वह दिन था और अब मई 2024 है, तब से आज तक केजरीवाल लगातार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने हुए हैं.
2015 में AAP ने कुछ बड़े नेताओं को पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते बाहर का रास्ता दिखा दिया था. बाहर निकाले जाने वालों में योगेन्द्र यादव, प्रशांत भूषण, शशि भूषण आदि शामिल थे. इन लोगों पर आरोप लगाए कि इन्होंने उन लोगों को रोका जो पार्टी को चंदा देना चाहते थे और दूसरे प्रदेशो के कार्यकर्ताओं को फोन करके दिल्ली में चुनाव प्रचार करने आने से रोका. इसके अलावा, आरोप लगाए गए कि ये नेता पार्टी को चुनाव हराने में लगे थे.
2020 का विधानसभा चुनाव
आम आदमी पार्टी को लगातार दूसरी बार बहुमत मिला. इस बार AAP को 5 सीटों का नुकसान हुआ और उसे 62 सीटें मिलीं. 22 साल बाद भी भाजपा सत्ता से दूर रह गई और कांग्रेस लगातार दूसरी बार शून्य पर सिमट गई. इस चुनाव में विधानसभा की 70 सीटों में से 62 सीटें AAP के खाते गई और वहीं 8 सीटें BJP को मिली.
दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने लगातार दूसरी बार 88% या उससे ज्यादा सीटें हासिल की थी. अरविंद केजरीवाल की पार्टी ऐसा करने वाली देश की पहली पार्टी बनी. देश के चुनावी इतिहास में यह सातवीं सबसे बड़ी जीत थी. हालांकि, चुनावी नतीजों में 100% सक्सेस रेट के भी रिकॉर्ड हैं. 1989 में सिक्किम संग्राम परिषद और 2009 में सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट ने भी विधानसभा चुनाव में 32 में से 32 सीटें जीत ली थीं.
दिल्ली आबकारी केस
2020 में तीसरी बार सरकार बनाने के लगभग डेढ़ साल बाद केजरीवाल और उनके करीबियों की मुश्किलें बढ़ने लगीं. 17 नवंबर 2021 को दिल्ली की नई आबकारी नीति लागू हुई. 20 जुलाई 2022 को दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना ने इस नीति में अनियमितता को लेकर CBI जांच की सिफारिश की. 17 अगस्त 2022 को CBI ने इस मामले में 15 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया, जिसमें उस समय दिल्ली के डिप्टी सीएम रहे मनीष सिसोदिया का नाम भी शामिल था.
22 अगस्त को इस केस में ईडी ने भी मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज कर लिया. आबकारी नीति पर विवाद होने और चौतरफा घिरने के बाद दिल्ली की AAP सरकार ने 31अगस्त को नई आबकारी नीति को वापस ले लिया और फिर से पुरानी नीति को ही लागू कर दिया. 25 नवंबर को CBI ने सात आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की.
26 फरवरी 2023 को CBI ने पूछताछ के बाद मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया. 28 फरवरी को सिसोदिया गिरफ्तारी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए लेकिन SC ने हाई कोर्ट जाने को कहा. इसी दिन सिसोदिया ने इस्तीफा दे दिया.
AAP नेताओं को जेल
9मार्च 2023- ईडी ने सिसोदिया को तिहाड़ से अपनी कस्टडी में लिया.
4 अक्टूबर 2023- ईडी ने AAP सांसद संजय सिंह के घर पर छापा मारा और बाद में उन्हें गिरफ्तार कर लिया.
2 नवंबर 2023 को ईडी ने केजरीवाल को पहला समन भेजा.
15 मार्च 2024 को ईडी ने बीआरएस नेता के कविता को गिरफ्तार कर लिया.
21 मार्च 2024 को ई़डी ने केजरीवाल के घर पर रेड की और फिर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.
आखिर में 20 मई 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत दे दी. यानी केजरीवाल अभी इस केस में बरी नहीं हुए हैं और न ही उन्हें दोषी करार दिया गया. जब तक उन्हें जमानत नहीं मिल जाती, तब तक वह जेल में ही रह सकते हैं. कोर्ट के आदेश के मुताबिक, 21 दिन के बाद अरविंद केजरीवाल को 2 जून को सरेंडर करना होगा.