Political Crisis in Bihar: लोकसभा चुनाव से पहले बिहार की राजनीतिक एक बार फिर हिचकोले खा रही है और भीषण शीतलहर के बीच सियासी गर्मी काफी बढ़ी हुई है. ये भी करीब-करीब तय है कि ऊंट किस करवट बैठेगा. नीतीश का इंडिया गठबंधन में पीएम उम्मीदवार का सपना टूट चुका है. पीएम न सही लेकिन कम से कम सीएम बने रहें उनकी ऐसी मंशा साफ नजर आ रही है लेकिन सियासी गलियारों में ये भी खबर आ रही है कि नीतीश केन्द्र में मंत्री भी बनाए जा सकते हैं.
अगर नीतीश कुमार आरजेडी गठबंधन का साथ छोड़कर एनडीए में वापसी करते हैं और सीएम की कुर्सी संभालते हैं तो क्या उनके मंत्रिमंडल में उपेन्द्र कुशवाहा, जीतनराम मांझी, रेणु देवी और चिराग पासवान जैसे चेहरे भी होंगे. ऐसे सवाल उठने शुरू हो चुके हैं.
कयास ये लग रहे हैं कि नीतीश कुमार जल्द ही एनडीए में शामिल हो सकते हैं. फिलहाल दो विकल्पों पर तैयारी शुरू हो चुकी है. अगर मुख्यमंत्री पद छोड़कर नीतीश कुमार केंद्र में मंत्री बन सकते हैं तो फिर बिहार का सीएम कौन होगा, दूसरा ये कि अगर नीतीश ही बिहार के सीएम होंगे तो उनके मंत्रिमंडल में कौन-कौन से लोग शामिल होंगे. अगर पहले विकल्प की बात करें तो नीतीश कुमार की जगह लेने के लिए बीजेपी में चार बड़े चेहरे फिलहाल सबके सामने हैं.
जिसमें बीजेपी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी और पूर्व डिप्टी सीएम रेणु देवी का नाम शामिल है. फिलहाल इन नामों को लेकर दिल्ली में केंद्रीय नेताओं के साथ चर्चा चल रही है. इनमें से सुशील कुमार मोदी पहले से ही दिल्ली में बताए जाते हैं. वहीं, सम्राट चौधरी पटना से दिल्ली आए हैं. वहीं, नित्यानंद राय भी दिल्ली में होने वाली अहम बैठकों में शामिल किए गए हैं.
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और बिहार के प्रभारी विनोद तावड़े ने सम्राट चौधरी, सुशील कुमार मोदी, रेणु देवी और नित्यानंद राय को अपने आवास पर बैठक के लिए बुलाया. इस पहली मीटिंग के बाद अब ये नेता गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात कर सकते हैं. दूसरी तरफ बिहार बीजेपी के बाकी नेता केंद्रीय नेतृत्व के इशारों का इंतजार कर रहे हैं.
लेकिन अगर दूसरे विकल्प की बात करें तो नीतीश एक बार फिर बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए का हिस्सा हो सकते हैं. नई सरकार में नीतीश कुमार मुख्यमंत्री होंगे. सरकार बनाने के बाद सबसे पहले विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव होगा और मंत्रिमंडल में पुराने फॉर्मूले के तहत ही मंत्रियों की संख्या तय होगी. सूत्रों की मानें तो करीब 3 से 4 विधायकों पर एक मंत्री पद दिया जाएगा. जबकि लोकसभा चुनाव में जेडीयू की सीटों की संख्या घट सकती है. जेडीयू को लोकसभा में 12-15 सीटों पर संतोष करना पड़ सकता है.
कयास ये भी लग रहे हैं कि बीजेपी की तरफ से ज्यादातर पुराने चेहरे मंत्रिमंडल का हिस्सा होंगे लेकिन नए चेहरों को भी मौका दिया जाएगा और उप मुख्यमंत्री पद में कुछ बदलाव हो सकता है. पिछली बार तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी उप मुख्यमंत्री बनाये गये थे. बीजेपी-जेडीयू के बीच समझौते को लेकर सभी मंत्रिमंडल का फॉर्मूला भी पुराना ही होगा, यानी, गठबंधन में बीजेपी जेडीयू के अलावा अन्य सहयोगियों में से उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी, जीतन राम मांझी की हम को मंत्रिमंडल का हिस्सा बनाया जा सकता है तो चिराग पासवान की पार्टी के भी मंत्रिमंडल में एंट्री एक तरह से तय मानी जा रही है हालांकि इसको लेकर अभी संदेह बना हुआ है.
बिहार की राजनीति के जानकारों के मुताबिक केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी और बिहार में सत्तारुढ़ जेडीयू के बीच गठबंधन में देरी की वजह कहीं न कहीं मुख्यमंत्री पद ही है. बिहार विधानसभा में विधायकों की अधिक संख्या होने को लेकर बीजेपी ने मुख्यमंत्री पद पर दावा ठोका है तो ये भी कहा जा रहा है कि इसके एवज में बीजेपी ने नीतीश कुमार को केंद्र में मंत्री बनाए जाने की पेशकश की है और जेडीयू से एक डिप्टी सीएम बनाए जाने के ऑफर की भी बात सामने आ रही है. ऐसे में अगले 48 घंटे काफी अहम बताए जा रहे हैं.