प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लेक्स फ्रिडमैन के पॉडकास्ट में रूस-यूक्रेन युद्ध पर अपनी बात रखते हुए कूटनीति को एकमात्र समाधान बताया. एमआईटी के शोधकर्ता और मशहूर होस्ट लेक्स फ्रिडमैन के साथ बातचीत में पीएम मोदी ने कहा कि सैन्य जीत से इस संघर्ष का स्थायी हल नहीं निकलेगा. उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से सीधी बातचीत शुरू करने की अपील की.
शांति दे लिए दोनों में सीधे संवाद जरूरी
सहयोगियों से बातचीत बेकार
उन्होंने कहा, मोदी ने चेतावनी दी कि सहयोगी देशों के साथ चर्चा से कोई नतीजा नहीं निकलेगा. "यूक्रेन अपने सहयोगियों के साथ जितनी मर्जी बात कर ले, लेकिन जब तक दोनों पक्ष आमने-सामने नहीं बैठेंगे, कोई फायदा नहीं होगा. शांति का रास्ता बातचीत से ही निकलेगा."
वैश्विक दक्षिण की पीड़ा
प्रधानमंत्री ने इस युद्ध के वैश्विक प्रभावों पर भी प्रकाश डाला. उन्होंने कहा, "इस संघर्ष से बहुत नुकसान हुआ है. ग्लोबल साउथ को भी भारी कीमत चुकानी पड़ी है. दुनिया खाद्य, ईंधन और उर्वरक संकट से जूझ रही है. इसलिए वैश्विक समुदाय को शांति के लिए एकजुट होना चाहिए."
रूस-यूक्रेन युद्ध का भयावह असर
फरवरी 2022 में रूस के यूक्रेन पर हमले से लाखों लोग मारे गए और घायल हुए, करोड़ों लोग बेघर हुए, और शहर खंडहर में बदल गए. इसने मॉस्को और पश्चिमी देशों के बीच दशकों में सबसे बड़ा तनाव पैदा किया. अमेरिकी खुफिया अनुमानों के मुताबिक, रूस के 1 लाख से ज्यादा सैनिक मारे गए या घायल हुए, जबकि उसकी अर्थव्यवस्था रक्षा खर्च और पश्चिमी प्रतिबंधों से प्रभावित हुई. यूक्रेन में भी 1 लाख से अधिक सैनिक हताहत हुए, उसका पांचवां हिस्सा रूस के कब्जे में है, और 260 अरब डॉलर की पश्चिमी मदद के बावजूद वह रूस को हरा नहीं सका.
शांति के प्रयास
हाल ही में अमेरिका ने यूक्रेन के साथ सैन्य सहायता और खुफिया जानकारी साझा करने पर सहमति जताई, जब कीव ने वाशिंगटन के 30 दिन के युद्धविराम प्रस्ताव का समर्थन किया. पुतिन ने गुरुवार को कहा कि वह सैद्धांतिक रूप से इस प्रस्ताव के साथ हैं, लेकिन कुछ शर्तों के स्पष्ट होने तक लड़ाई नहीं रुकेगी. पुतिन का कहना है कि वह शांति के लिए तैयार हैं, बशर्ते यूक्रेन नाटो सदस्यता न मांगे और रूस अपने कब्जे वाले इलाकों को रखे.
पीएम मोदी की अपील
मोदी ने अपनी बात को दोहराते हुए कहा कि युद्ध से कोई जीत नहीं मिलेगी. उनकी यह टिप्पणी वैश्विक मंच पर शांति के लिए भारत की कोशिशों को दर्शाती है. उन्होंने दोनों नेताओं से अपील की कि वे बातचीत की मेज पर आएं, ताकि इस संकट का हल निकाला जा सके और दुनिया इसकी कीमत चुकाने से बच सके. यह बयान न केवल भारत की कूटनीतिक भूमिका को मजबूत करता है, बल्कि वैश्विक शांति के लिए एक सकारात्मक संदेश भी देता है.