कंधे पर हाथ, जेलेंस्की को मोदी का साथ! दुनिया को शांति का संदेश दे रहा भारत
प्रधानमंत्री मोदी यूक्रेन पहुंच चुके हैं. शुक्रवार को यूक्रेन पहुंचे पीएम मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की से मुलाकात की. पीएम मोदी अपने रूस दौरे के करीब 6 हफ्ते बाद यूक्रेन दौरे पर पहुंचे हैं. संकट की स्थिति में पीएम मोदी के रूस दौरे की यूक्रेन ने काफी आलोचना की थी.
Delhi News: प्रधानमंत्री मोदी यूक्रेन पहुंच चुके हैं. शुक्रवार को यूक्रेन पहुंचे पीएम मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की से मुलाकात की. लंबे समय से जारी रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच पीएम मोदी ने राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के कंधे पर हाथ रखकर उन्हें ढांढस बंधाया. पीएम मोदी की इस यूक्रेन यात्रा पर पूरी दुनिया की नजर है. उम्मीद की जा रही है पीएम मोदी दो साल से ज्यादा समय से जारी रूस-यूक्रेन युद्ध का हल निकाल सकते हैं. यूक्रेन पहुंचकर पीएम मोदी ने सबसे पहले इस युद्ध में मारे गए मासूम बच्चों को श्रद्धांजलि अर्पित की.
युद्ध किसी भी समस्या का हल नहीं
अपनी यात्रा से पहले पीएम मोदी ने एक बयान जारी कर कहा, 'युद्ध के मैदान में किसी भी समस्या का हल नहीं निकाला जा सकता है.' उन्होंने कहा कि भारत चाहता है कि इस समस्या का हल बातचीत और कूटनीति के माध्यम से जल्द से जल्द निकले.
शांति बहाली के लिए हरसंभव प्रयास करेगा भारत
आखिरी बार पीएम मोदी इस साल जून में इटली में हुए जी7 शिखर सम्मेलन के इतर राष्ट्रपति जेलेंस्की से मिले थे. इस मुलाकात के दौरान पीएम मोदी ने यूक्रेनी राष्ट्रपति से कहा था कि वह बातचीत और कूटनीति के जरिए इस मुद्दे का शांतिपूर्ण समाधान निकालने के लिए अपने हरसंभव प्रयास करेगा. मुलाकात के दौरान पीएम मोदी ने कहा था कि भारत हमेशा यूक्रेन में जारी संघर्ष का समाधान खोजने के लिए मानव-केंद्रित दृष्टिकोण पर विश्वास रखता है. इस मुलाकात के दौरान राष्ट्रपति जेलेंस्की ने पीएम मोदी को यूक्रेन आने का न्योता दिया था.
युद्ध का मैदान किसी भी समस्या का हल नहीं
इससे पहले गुरुवार को पीएम मोदी ने पोलैंड के प्रधानमंत्री डोनाल्ड डस्क से मुलाकात की थी और यूक्रेन और पश्चिम एशिया में जारी संघर्ष पर गहरी चिंता व्यक्त की थी और कहा था कि बातचीत और कूटनीति ही यहां शांति बहाली का एकमात्र तरीका है. पीएम ने कहा था, 'भारत का यह दृढ़ विश्वास है कि युद्ध का मैदान किसी भी समस्या का हल नहीं हो सकता. किसी भी संघर्ष में मासूम लोगों की जान जाना मानवता के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गई है.'