प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को अपना थाईलैंड दौरा समाप्त कर लिया और बैंकॉक में बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के बाद श्रीलंका के लिए रवाना हो गए. पीएम मोदी श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके द्वारा पिछले सितंबर में पदभार संभालने के बाद उनके पहले विदेशी मेहमान होंगे. इस यात्रा में द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को मजबूत करने के साथ-साथ ऊर्जा, व्यापार और कनेक्टिविटी जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा.
भारत-श्रीलंका रक्षा सहयोग शीर्ष पर
पीएम मोदी और श्रीलंकाई राष्ट्रपति के बीच होने वाली चर्चा के बाद दोनों देश एक महत्वपूर्ण रक्षा सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे. यह समझौता इसलिए भी अहम है, क्योंकि यह चीन के श्रीलंका पर बढ़ते सैन्य प्रभाव को रोकने की पृष्ठभूमि में हो रहा है. यदि यह एमओयू (स्मृति-पत्र) हस्ताक्षरित होता है, तो यह भारत-श्रीलंका संबंधों में नई ऊंचाइयों को छूएगा और 35 साल पहले भारतीय शांति सेना (आईपीकेएफ) के श्रीलंका से हटने की कड़वी यादों को पीछे छोड़ देगा.
गौरतलब है कि अगस्त 2022 में चीनी मिसाइल और सैटेलाइट ट्रैकिंग जहाज 'युआन वांग' के हंबनटोटा बंदरगाह पर ठहरने और अगस्त 2023 में एक अन्य चीनी युद्धपोत के कोलंबो बंदरगाह पर रुकने से भारत और श्रीलंका के बीच तनाव बढ़ा था.
श्रीलंका के कर्ज पुनर्गठन पर सहमति संभव
दोनों देश अन्य द्विपक्षीय समझौतों को भी मजबूत करेंगे, जिसमें पीएम मोदी और दिसानायके की बैठक के बाद श्रीलंका के कर्ज पुनर्गठन पर चर्चा शामिल है. विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा, "रक्षा सहयोग पर एक एमओयू पर हस्ताक्षर होने की संभावना है, जो नई दिल्ली और कोलंबो के बीच पहला होगा." श्रीलंका के साथ समग्र संबंधों पर मिस्री ने कहा, "श्रीलंका हमारी 'नेबरहुड फर्स्ट' नीति का अभिन्न अंग है, और यह रिश्ता आपसी विश्वास और सद्भावना पर आधारित है, जिसने समय की कसौटी पर खुद को साबित किया है."
निवेश और कनेक्टिविटी पर फोकस
पीएम मोदी की श्रीलंका यात्रा निवेश को बढ़ावा देने और कनेक्टिविटी को गहरा करने पर भी केंद्रित होगी. इसमें भौतिक, डिजिटल और ऊर्जा कनेक्टिविटी शामिल है. मिस्री ने बताया कि यह दौरा विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाने का अवसर प्रदान करेगा. यह यात्रा भारत के लिए क्षेत्रीय रणनीति को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण कदम है.