PM Modi Hindutva card BJP eye on Mission South: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए भाजपा ने 400 सीटों का लक्ष्य रखा है. हालांकि ये लक्ष्य बड़ा है. भाजपा भी इस बात को जानती है, लेकिन इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए भाजपा अपने सबसे बड़े चेहरे को मैदान में उतार चुकी है. राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो भाजपा का 'मिशन 400' का लक्ष्य बिना साउथ यानी दक्षिण के पूरा नहीं हो सकता. इसलिए पीएम मोदी जनवरी के पहले 18 दिनों में ही साउथ के पांच दौरे कर चुके हैं, अब 19वें दिन वे साउथ के छठे दौरे पर रहेंगे.
सबसे पहले बात करते हैं कि पीएम मोदी जनवरी के 16 दिनों में साउथ में कहां-कहां गए? प्रधानमंत्री मोदी नए साल की शुरुआत में ही 'राजनीतिक पिकनिक' मनाने 2 जनवरी को तमिलनाडु पहुंच गए. इसके एक दिन बाद वे 3 जनवरी को केरल और लक्षद्वीप के दौरे पर पहुंचे. लक्षद्वीप में तो उन्होंने रात भी बिताई. फिर 4 जनवरी को वे समुद्र के किनारे पहुंचे और जो कुछ हुआ, उसे पूरी दुनिया जानती है.
करीब दो हफ्ते बाद यानी 16 जनवरी को पीएम मोदी ने एक बार फिर साउथ का रूख किया और इस बार वे आंध्र प्रदेश पहुंच गए. फिर यहां से 16 जनवरी को ही वे केरल पहुंच गए, लेकिन राजनीतिक कार्यक्रम में 17 जनवरी को भाग लिया. पीएम मोदी का जनवरी में केरल का ये दूसरा दौरा था. अब एक दिन का ब्रेक लेने के बाद पीएम मोदी 19 जनवरी यानी शुक्रवार को फिर से साउथ जाएंगे और तमिलनाडु का दौरा करेंगे. 17 दिनों में पीएम मोदी का तमिलनाडु का ये दूसरा दौरा होगा.
कुल मिलाकर 16 दिनों में पीएम मोदी तीन राज्य और एक केंद्र शासित प्रदेश का दौरा कर चुके हैं. ध्यान देने वाली बात ये कि इन तीनों राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में लोकसभा की 85 सीटें हैं. राज्यवार बात की जाए तो तमिलनाडु में लोकसभा की 39, लक्षद्वीप में 1, केरल में 20 और आंध्र प्रदेश में 25 सीटें हैं. 16 दिनों में पीएम मोदी ने साउथ के तीनों राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में न सिर्फ योजनाओं का शिलान्यास किया, बल्कि करोड़ों रुपये के प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन भी किया.
एक बात जो हमने चर्चा की, वो ये कि मिशन 400 का टारगेट बिना साउथ के पूरा नहीं हो सकता. लेकिन दूसरी और सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि भाजपा पिछले लोकसभा चुनावों में इन राज्यों में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाई है. शायद इसलिए चुनाव की घोषणा से पहले ही भाजपा 'मिशन साउथ' पर फोकस कर रही है. पीएम मोदी के लगातार साउथ के दौरे को इस मिशन का हिस्सा भी बताया जा रहा है. पिछले आम चुनाव यानी 2019 के लोकसभा चुनाव के नतीजों को देखा जाए तो भाजपा गठबंधन ने दक्षिण में 134 में से 31 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि कांग्रेस ने 65 और अन्य क्षेत्रीय पार्टियों ने 36 सीटों पर जीत हासिल की थी.
प्रधानमंत्री मोदी अपने चिरपरिचत अंदाज में मिशन साउथ को भेदने में जुटे हैं. प्रधानमंत्री मोदी की हालिया मिशन साउथ की यात्रा मंगलवार यानी 16 जनवरी को शुरू हुई. पीएम मोदी जब आंध्र प्रदेश पहुंचे, तो उन्होंने लेपाक्षी में वीरभद्र स्वामी मंदिर का दौरा किया. इस दौरान के अनुभव को उन्होंने सोशल मीडिया पर शेयर भी किया.
आंध्र प्रदेश के बाद पीएम मोदी बुधवार को यानी 17 जनवरी को केरल पहुंचे. यहां उन्होंने गुरुवायूर मंदिर (भगवान श्रीकृष्ण का मंदिर) में पूजा की. इसके बाद वे साउथ इंडियन वेशभूषा में त्रिशूर के त्रिपयार के रामास्वामी मंदिर गए. इसके बाद उन्होंने एक जनसभा को संबोधित करते हुए राम मंदिर और केरल कनेक्शन का जिक्र भी किया.
प्रधानमंत्री मोदी कल यानी शुक्रवार को एक बार फिर तमिलनाडु पहुंचेंगे. प्रस्तावित कार्यक्रम के मुताबिक, प्रधानमंत्री राज्य के मंदिरों का दौरा करेंगे और पूजा-अर्चना करेंगे. इसके बाद वे रामेश्वरम भी जाएंगे. जानकारी के मुताबिक, अगली सुबह यानी शनिवार को प्रधानमंत्री मोदी तिरुचिरापल्ली के श्री रंगनाथस्वामी मंदिर जाएंगे. वे श्री रामकृष्ण मठ में भी रुकेंगे. दौरे के आखिरी दिन यानी 21 जनवरी को पीएम मोदी अरिचल मुनई में पूजा करेंगे और फिर कोतांडरम स्वामी मंदिर जाएंगे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार 7 अक्टूबर 2001 को गुजरात के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. तब से लेकर आज तक नरेंद्र मोदी सत्ता में काबिज हैं. पीएम मोदी को पता है कि कब और कैसे जनता को साधना है, ये उन्हें बखूबी आता है. पीएम मोदी अपने हिंदुत्व कार्ड के लिए भी जाने जाते हैं. बात चाहे अनुच्छेद 370 की हो या फिर राम मंदिर की. सोशल मीडिया पर कई ऐसे फोटोज और वीडियो हैं, जिनमें पीएम मोदी को इन दोनों बड़े मुद्दों से शुरुआत से जुड़ा देखा जा सकता है.
अब चूंकि अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा होनी है और साउथ के लोग भगवान राम में न सिर्फ विश्वास रखते हैं, बल्कि वे राम को पूजते और मानते भी हैं. शायद इसी बहाने पीएम मोदी ताबड़तोड़ दक्षिण के राज्यों का दौरा कर रहे हैं. वे भगवान राम के सहारे ही साउथ के किले को भेदने की कोशिश में जुटे हुए हैं. अब ये कितना कारगर होगा, ये तो 2024 लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद ही पता चलेगा.