PM Modi Doda Rally: आतंक के अंधेरे से निकल तेज विकास की राह पर आगे बढ़ रहे डोडा क्षेत्र में शनिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जनसभा इस क्षेत्र में भाजपा की उम्मीदों को पंख देगी. साथ ही नए जम्मू-कश्मीर की तस्वीर को भी दुनिया के समक्ष रखेगी. आतंकी हमलों व नरसंहार के लिए बदनाम रहे डोडा में 45 वर्ष बाद देश के प्रधानमंत्री कोई सभा कर रहे हैं.
इससे पहले 1979 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सभा की थी. 2014 के विधानसभा चुनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बगल के किश्तवाड़ जिले में सभा को संबोधित किया था. चिनाब क्षेत्र के नाम से मशहूर ये क्षेत्र दो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जम्मू-कश्मीर में 13 दिन में तीन चुनावी रैलियां करेंगे. ये रैलियां जम्मू-कश्मीर में भाजपा के मिशन-50 की मंजिल चढ़ने के लिए सीढ़ियां साबित हो सकती हैं.
45 बरस बाद ये पहला मौका होगा...जब कोई प्रधानमंत्री डोडा में पहुंच कर रैली करेगा. आतंक के अंधेरे से निकल कर तरक्की की राह पर चल पड़े डोडा के हौसले को नई उड़ान देगा. इससे पहले 1979 में इंदिरा गांधी ने सभा की थी. उसके बाद से प्रधानमंत्री जम्मू-कश्मीर तो आते-जाते रहे, लेकिन डोडा में किसी ने चुनावी जनसभा नहीं की. माना यही जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी इस सभा में आतंकवाद, विकास और अनुच्छेद 370 के मसलों को उठा कर बदलते जम्मू-कश्मीर की हकीकत से लोगों का वास्ता कराएंगे.
प्रधानमंत्री मोदी की ये रैली बीजेपी के मिशन 50 का मुकाम छूने के लिए कितनी अहम है, समझना मुश्किल नहीं. इससे पहले प्रधानमंत्री ने 2014 में डोडा के बगल किश्तवाड़ में चुनावी रैली की थी. ऐसे में 10 बरस और केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद पहली बार जम्मू-कश्मीर में हो रहे चुनाव को अपने पाले में करने के लिए बीजेपी एड़ी चोटी का जोर लगा रही है.
प्रधानमंत्री मोदी जम्मू-कश्मीर में तीन रैलियां करेंगे. आज यानी14 सितंबर को सुबह 11 बजे के बाद डोडा और 19 सितंबर को श्रीनगर में महारैली करेंगे. इसके अलावा 26 सितंबर को जम्मू में उनकी रैली हो सकती है. हालांकि पार्टी की तरफ से जम्मू की रैली को लेकर आधिकारिक एलान नहीं हुआ है. लेकिन बीजेपी चाहती है कि जम्मू के रियासी में पीएम की ये रैली हो. बीजेपी इस चुनाव में आतंकवाद का खात्मा, अलगाववाद और तरक्की को मुद्दा बना कर उतरी है, जिसके विस्तार को चुनावी धार पीएम मोदी देंगे.
भाजपा, डोडा में पीएम की रैली से चिनाब क्षेत्र के तीन ज़िलों रामबन, डोडा और किश्तवाड़ समेत साउथ कश्मीर में आने वाले चारों ज़िलों के सियासी समीकरण अपने पाले में करने की फिराक में है. पीएम की ये रैली पाकिस्तान की उन कोशिशों को भी आईना होगी, जिसमें वो कश्मीर में जम्हूरियत का गला घोंटने का इल्जाम लगाता रहा है. इतना ही नहीं जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की वापसी का सपना देखने वालों को भी जवाब होगा, जो यहां की तरक्की को परे रख सियासी फायदे के लिए मुद्दे पर आवाम को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं.
वैसे भी चिनाब इलाके में जिस तरह से पनबिजली परियोजनाओं से बिजली उत्पादन, सड़क और टनल बना कर इस इलाके की सूरत बदली गई है. उसने इस इलाके के लोगों को नया नज़रिया दिया है. यही वजह है कि लैवेंडर की खेती से किसानों ने इस इलाके को नई पहचान देना शुरू कर दिया. ये बदलाव बीजेपी के लिए कितने मददगार होंगे. ये तो चुनाव नतीजे तय करेंगे. लेकिन इतना तो तय है कि प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी विपक्ष के समीकरण जरूर बदलेगी, 2014 के बाद का चुनावी इतिहास तो यही बताता आया है.