नई दिल्ली: बिहार में जातीय जनगणना का मामला आखिरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच ही गया. सुप्रीम कोर्ट में पटना हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई है जिसमें उनसे जातीय जनगणना को सही ठहराते हुए इसे चुनौती देने वाली तमाम याचिकाओं को खारिज कर दिया था.
अखिलेश कुमार नामक शख्स द्वारा वकील तान्या श्री के माध्यम से यह याचिका दायर की गई है.
याचिकाकर्ता ने कहा कि पटना हाईकोर्ट ने गलती से बिना इस तथ्य की जांच किए रिट याचिका को खारिज कर दिया कि बिहार में 6 जून 2022 की अधिसूचना के अनुसार जातीय आधारित जनगणना को अधिसूचित करने का अभाव है.
बता दें कि बिहार विधानसभा में 2 जून 2022 को राज्य में जाति आधारित जनगणना कराने को लेकर फैसला लिया गया था इसके बाद 6 जून 2022 को सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर कहा था कि राज्य सरकार खुद के संसाधनों का इस्तेमाल कर राज्य में जातीय जनगणना कराएगी.
केवल केंद्र के पास जनगणना कराने की शक्ति
याचिका में कहा गया है कि संविधान के अनुसार केवल केंद्र सरकार के पास ही जनगणना कराने की शक्ति है, लेकिन वर्तमान मामले में बिहार सरकार ने एक सरकारी राजपत्र जारी करके केंद्र सरकार की शक्तियों को हड़पने की कोशिश की है.
नीतीश सरकार की ओर से दाखिल किया गया कैविएट
वहीं एक दिन पहले बुधवार को नीतीश सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दायर किया गया था जिसमें कहा गया था कि अगर जातिगत जनगणना पर रोक लगाने की मांग कोई भी याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर हो तो इस पर सरकार का पक्ष जाने बिना कोई आदेश न दिया जाए.
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