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India Daily

मरीजों को अपनी मर्जी से दवा खरीदने का अधिकार - सुप्रीम कोर्ट का आदेश

सर्वोच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई की है, जिसमें यह मुद्दा उठाया गया है कि अस्पताल मरीजों को केवल अपनी फार्मेसियों से दवाइयां खरीदने के लिए मजबूर कर रहे हैं, जो कि अनुचित और अस्वीकार्य है.

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Edited By: Ritu Sharma
Supreme Court
Courtesy: Social Media

Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिया कि वे निजी अस्पतालों में मरीजों और उनके परिवारों के शोषण को रोकने के लिए ठोस नीति तैयार करें. अदालत ने चिंता जताई कि अस्पतालों में मरीजों को अपनी फार्मेसियों से ही ऊंची कीमतों पर दवा, प्रत्यारोपण और चिकित्सा उपकरण खरीदने के लिए मजबूर किया जाता है.

याचिका में उठाए गए मुद्दे

आपको बता दें कि यह मामला सिद्धार्थ डालमिया द्वारा दायर रिट याचिका पर आधारित था, जिसमें उन्होंने निजी अस्पतालों में अपने रिश्तेदार के इलाज के दौरान हुए शोषण का हवाला दिया था. याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि अस्पताल मरीजों को अपनी फार्मेसी से ही दवाएं खरीदने के लिए बाध्य करते हैं, जहां कीमतें एमआरपी से भी अधिक होती हैं.

सरकार को संतुलन बनाने की जरूरत - सुप्रीम कोर्ट

  • निजी अस्पतालों के खिलाफ सख्त कदम उठाने से निजी निवेश प्रभावित हो सकता है, जिससे स्वास्थ्य सेवा प्रणाली कमजोर हो सकती है.
  • सरकार को ऐसी नीति बनानी होगी, जो मरीजों के शोषण को रोके लेकिन निजी अस्पतालों को भी काम करने का अनुकूल माहौल मिले.

बिलिंग प्रथाओं पर कड़ी निगरानी की मांग

वहीं इस फैसले के बाद उपभोक्ता अधिकार समूहों ने अस्पतालों की बिलिंग प्रथाओं की सख्त निगरानी की मांग की है. अब सरकार से ऐसा नियामक ढांचा तैयार करने की उम्मीद की जा रही है, जो मरीजों और निजी अस्पतालों के बीच संतुलन बनाए रखे.

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से मरीजों को अपनी पसंद की दवा दुकानों से दवाएं खरीदने का अधिकार मिलेगा और अस्पतालों द्वारा किए जाने वाले वित्तीय शोषण पर रोक लग सकेगी. अब सरकार की जिम्मेदारी है कि वह निजी अस्पतालों और मरीजों के हितों की रक्षा के लिए उचित नीति तैयार करे.