Pasmanda Muslim Report: ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज ने बिहार जाति सर्वेक्षण को आधार बनाकर एक रिपोर्ट जारी कर बड़ा दावा किया. इस रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि मॉब लिंचिंग और बुलडोजर कल्चर से पीड़ित होने वाले लोगों में ज्यादातर संख्या पसमांदा मुसलमानों की है. समाज से आने वाले हैं. एआईपीएमएस ने केंद्र सरकार से मॉब लिंचिंग के खिलाफ सख्त कानून बनाने और बुलडोजर कल्चर की जांच करने की मांग की है.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के हवाले से ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज की रिपोर्ट में कहा गया है कि मॉब लिंचिंग और बुलडोजर कल्चर से पीड़ित होने वालों में 95 प्रतिशत लोग पसमांदा मुस्लिम समाज से आते हैं. इसी को देखते हुए हमारी मांग है कि इसके खिलाफ सख्त कानून बनाया जाए. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि इस तरह की घटना जहां भी होती वहां के कलेक्टर और एसपी की जवाबदेही तय होनी चाहिए और ऐसे मामले में जान गंवाने वालों के परिवार मुआवजे के रूप में आर्थिक सहायता और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी मिलनी चाहिए.
रिपोर्ट के अनुसार केवल 0.34 प्रतिशत पसमांदा मुसलमानों के पास आईटीआई या डिप्लोमा की डिग्री हैं और 0.13 प्रतिशत के पास बीटेक की डिग्री है. इसके अलावा 2.55 प्रतिशत पसमांदा मुसलमान कला/विज्ञान/वाणिज्य से स्नातक किए हैं और 0.03 प्रतिशत पसमांदा मुसलमानों के पास चार्टर्ड अकाउंटेंट और पीएचडी की डिग्री है.
रिपोर्ट में पसमांदा मुसलमानों की खराब स्थिति का हवाले देते हुए निजी क्षेत्रों में भी उन्हें आरक्षण देने की मांग की गई है. इसके साथ ही यह सवाल भी की गई है कि केंद्र सरकार देश भर में जाति आधारित जनगणना क्यों नहीं कर रही है. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि हम आरएसएस, बीजेपी और AIMIM की राजनीति को एक-दूसरे का पूरक मानते हैं. बता दें कि यह रिपोर्ट ऐसे समय में सामने आई है जब सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा है कि लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी पसमांदा मुसलमानों को साधने में लगी हुई है.