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India Daily

India-China Relations: भारत-चीन के रिश्तों पर एस जयशंकर ने संसद में किया बड़ा दावा, LAC विवाद पर भी दिया बयान

भारत का चीन के साथ सीमा विवाद पर रचनात्मक बातचीत और समाधान को लेकर मजबूत दृष्टिकोण है. विदेश मंत्री ने साफ किया कि सीमा प्रबंधन के लिए एक नया ढांचा तैयार किया जाएगा, जो दोनों देशों के लिए न्यायपूर्ण और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य होगा.

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Edited By: Mayank Tiwari
External Affairs Minister S. Jaishankar speaks in the Lok Sabha
Courtesy: X@sansad_tv

India-China Relations:  संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान मंगलवार (3 दिसंबर 2024) को सदन में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बताया कि भारत-चीन रिश्तों में सुधार हुआ है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत सरकार चीन के साथ संवाद बनाए रखने के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है.. जयशंकर ने यह भी कहा कि हालिया सैन्य और कूटनीतिक वार्ता ने सीमा विवादों को हल करने में मदद की है, जिसमें अक्टूबर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के किनारे गश्तिंग समझौते का जिक्र किया गया.

लोकसभा में बोलते हुए भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि 2020 के बाद से भारत-चीन रिश्ते असामान्य रहे हैं, जब सीमा क्षेत्रों में शांति और सुरक्षा में विघटन हुआ, जो चीन की गतिविधियों के कारण हुआ. उन्होंने कहा, "हमारे सैनिकों की यह सराहना करनी चाहिए कि लॉजिस्टिक समस्याओं और कोविड महामारी के बावजूद, उन्होंने चीनी सैनिकों का त्वरित मुकाबला किया.

कूटनीतिक प्रयासों से रिश्तों में सुधार

जयशंकर ने कहा कि हाल के घटनाक्रमों ने भारत-चीन संबंधों को बेहतरी की राह पर ला खड़ा किया है, जो चल रही कूटनीतिक गतिविधियों को दर्शाता है. उन्होंने कहा कि भारत सीमा विवाद के समाधान के लिए एक निष्पक्ष और परस्पर स्वीकार्य ढांचा स्थापित करने के लिए चीन के साथ बातचीत करने के लिए प्रतिबद्ध है. जयशंकर ने कहा, "आने वाले दिनों में हम सीमावर्ती क्षेत्रों में तनाव कम करने और गतिविधियों के प्रभावी प्रबंधन पर चर्चा करेंगे. सैनिकों की वापसी के चरण के पूरा होने से अब हम अपने द्विपक्षीय संबंधों के अन्य पहलुओं पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगे.

1962 में विवाद के कारण चीन अक्साई चीन में जमाए है कब्जा

विदेश मंत्री ने सदन में बोलते हुए कहा,' सदन इस तथ्य को जानता है कि 1962 में विवाद के कारण चीन हमारे 38000 वर्ग किमी क्षेत्र पर अक्साई चीन में अवैध कब्जा जमाए है. पाकिस्तान ने 1963 में हमारे उस 5180 वर्ग किमी क्षेत्र को अवैध रूप से चीन के हवाले कर दिया जो 1948 से पाक के पास था.

भारत की सुरक्षा पहली प्राथमिकता- विदेश मंत्री

विदेश मंत्री ने कहा, "अगली प्राथमिकता तनाव कम करने पर विचार करना होगी, जिससे एलएसी पर सैनिकों की तैनाती को रोका जा सके. तत्काल प्राथमिकता टकराव वाले बिंदुओं से सैनिकों की वापसी सुनिश्चित करना है, यह पूरी तरह से हासिल हो चुका है. उन्होंने आगे कहा, "हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा हितों को सर्वोपरि रखते हुए, विदेश मंत्री वांग यी के साथ मेरी हाल की बैठक में, हम इस सहमति पर पहुंचे कि विशेष प्रतिनिधियों और विदेश सचिव स्तर की बैठक जल्द ही बुलाई जाएगी.

जयशंकर ने कहा कि भारत सीमा मुद्दे का निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान प्राप्त करने के लिए द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से चीन के साथ बातचीत करने के लिए तैयार है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हाल के अनुभवों के मद्देनजर सीमावर्ती क्षेत्रों के प्रबंधन पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता होगी.