Parliament Winter Session 2023: लोकसभा में विपक्ष का हंगामा, अधीर रंजन चौधरी समेत 33 सांसद पूरे सत्र के लिए निलंबित

संसद की सुरक्षा में चूक को लेकर सोमवार को भी विपक्षी दल अपनी मांग को लेकर अड़े रहे. इसे लेकर दोनों सदनों में जमकर हंगामा हुआ. इस बीच लोकसभा के 33 विपक्षी सांसदों को लोकसभा से सस्पेंड कर दिया गया है.

Gyanendra Sharma

Parliament Winter Session 2023:  लोकसभा का एक और दिन हंगामेदार रहा. संसद की सुरक्षा में चूक को लेकर सोमवार को भी विपक्षी दल अपनी मांग को लेकर अड़े रहे. इसे लेकर दोनों सदनों में जमकर हंगामा हुआ. इस बीच लोकसभा के 33 विपक्षी सांसदों को लोकसभा से सस्पेंड कर दिया गया है. लोकसभा स्पीकर ने कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी समेत 33 सांसदों को लोकसभा के शीतकालीन सत्र से निलंबित कर दिया. 

सासंदों के सस्पेंड करने का पस्ताव संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने पेश किया. इससे पहले विपक्ष के कुल 14 सांसदों को सस्पेंड किया गया है. इस तरह देखा जाए तो इस सत्र में विपक्ष के अब तक कुल 47 सांसदों को सस्पेंड किया गया है.  

 

 

किन सांसदों को आज किया गया सस्पेंड?
अधीर रंजन चौधरी के अलावा, अपूर्वा पोद्दार, प्रसून बनर्जी, मोहम्मद वसीर, जी सेलवम, सीएन अन्नादुरैय, डॉ टी सुमती, के नवासकानी, के वीरस्वामी, एनके प्रेमचंद्रन, सौगत रॉय, शताब्दी रॉय, असिथ कुमार मल, कौशलेंद्र कुमार, एनटो एंटनी, एस एस पलनामनिक्कम, तिरुवरुस्कर (Su. Thirunavukkarasar), प्रतिमा मंडल, काकोली घोष, के मुरलीधरन, सुनील कुमार मंडल, एस राम लिंगम, के सुरेश, अमर सिंह, राजमोहन उन्नीथन, गौरव गोगोई और टीआर बालू को निलंबित किया गया.

अधीर रंजन चौधरी ने ओम बिरला को लिखा पत्र

अधीर रंजन चौधरी ने  कहा कि जो बयान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह टीवी में दे रहे हैं हम चाहते हैं कि सदन में दें. इसके अलावा देश और हमें बताएं कि सरकार आगे सदन की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाएगी. इससे पहले दिन में, कांग्रेस सांसद और लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सुरक्षा उल्लंघन के मुद्दे पर संसद में बोलने का आग्रह किया, और घटना पर प्रतिक्रिया देने के लिए "चार दिन" लेने के लिए उनकी आलोचना की. चौधरी ने रविवार को स्पीकर ओम बिरला को पत्र लिखकर सदन के 13 विपक्षी सदस्यों का निलंबन रद्द करने का आग्रह किया था. उन्होंने कहा, सांसदों ने संसद सुरक्षा उल्लंघन के मद्देनजर "बहुत परेशान करने वाले मुद्दे" उठाए और निष्पक्ष सुनवाई के पात्र हैं.