Parliament breach: देश को हिला देने वाली संसद की गंभीर सुरक्षा चूक एक साल पहले से ही सुनियोजित साजिश थी, जिसमें एक घुसपैठिए ने लखनऊ के एक मोची से दो जोड़ी जूतों के तलवों में 2.5 इंच गहरे छेद करवाए थे, ताकि उनमें पीले धुएं के कैन रखे जा सकें और भारत के लोकतंत्र के केंद्र में हंगामा मचाया जा सके.
गुरुवार को जांचकर्ताओं ने बताया कि आरोपी सागर शर्मा और मनोरंजन डी, जो तीन स्तर की सुरक्षा को पार कर संसद के दर्शक दीर्घा से नीचे उतरे और लोकसभा में रंगीन धुआं फेंका, और अमोल शिंदे और नीलम सिंह को संसद के बाहर नारे लगाते हुए गिरफ्तार किया गया था. चारों आरोपियों को गुरुवार को सात दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया. एक पांचवें आरोपी, साथी साजिशकर्ता ललित झा को गुरुवार रात गिरफ्तार किया गया.
पुलिस ने कहा कि वे 34 वर्षीय मनोरंजन की भूमिका पर ध्यान दे रहे हैं, जो मैसूरू के एक इंजीनियरिंग स्नातक हैं और उन्होंने अपने पारिवारिक संबंधों का इस्तेमाल करके स्थानीय सांसद प्रताप सिम्हा से दो विजिटर पास हासिल किए. पुलिस ने कहा कि मनोरंजन ने 2021-22 में मैसूरू में बाकी तीन आरोपियों की मेजबानी एक प्रोग्राम में की थी.
2001 के संसद हमले की बरसी के ही दिन हुए इस हमले की साजिश असल में 14 दिसंबर को होने वाली थी, लेकिन मनोरंजन को पहले ही पास मिल जाने के कारण इसे आगे बढ़ा दिया गया.
संसद में हुए इस चौंकाने वाले हमले के बाद पुलिस ने कागजातों और पूछताछ के दस्तावेजों की बारीकी से जांच की, ताकि लखनऊ के एक ई-रिक्शा चालक, लातूर के मजदूरों के बेटे, जींद में सरकारी नौकरी के इच्छुक, मैसूर में इंजीनियरिंग स्नातक और कोलकाता के एक ट्यूटर के बीच बुनी गई इस साजिश को समझ सकें.
पांचों प्रदर्शनकारी पहले भी संसद में विरोध प्रदर्शन करने के लिए दिल्ली आ चुके थे, लेकिन उन्हें संसद में प्रवेश पास नहीं मिल पाने के कारण ऐसा नहीं हो सका. इस साल जून-जुलाई में, मनोरंजन ने अपने लिए एक पास प्राप्त किया और बिना किसी गड़बड़ी के संसद का दौरा किया. जांचकर्ताओं के अनुसार अगर यह एक पूर्व नियोजित कार्य नहीं होता, तो सागर शर्मा लखनऊ से दो जोड़ी 'विशेष' जूते नहीं लाता.
जूतों का आकार मनोरंजन और सागर के पैरों के आकार से मेल खाता था, इसलिए मनोरंजन ने दो पास की व्यवस्था की थी. बताया गया है कि सागर ने जूतों में कुछ पर्चे भी छिपाए थे. उन्हें स्मोक बम फेंकने के बाद पर्चे फेंकने थे. कोर्ट में सरकारी वकीलों का कहना है कि आरोपियों के पास मिले पर्चे और बैनर में प्रधानमंत्री को "गायब" और "भगोड़ा" बताया गया था. पुलिस का कहना है कि चारों आरोपियों ने सांसदों को डराने और देश में अशांति फैलाने के लिए संसद पर हमला करने की साजिश रची थी.
ये सभी आरोपी पिछले कुछ साल से आपस में लगातार संपर्क में थे. मैसूर में उन्होंने सामाजिक मुद्दों पर प्रोग्राम के तहत मीटिंग भी की थी. फिलहाल कोर्ट ने चारों आरोपियों को 7 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया है. पुलिस इस मामले की जांच जारी रखेगी और आरोपियों के साथ जुड़े लोगों का पता लगाएगी.
आरोपियों ने अपना पास दिखाकर जनता की गैलरी में प्रवेश किया और तीसरी और चौथी पंक्ति में बैठ गए. बाहर निकलते समय, वे जानबूझकर गैलरी से कूदकर लोकसभा के सदन में जा गिरे, जहां माननीय सांसद बैठे थे. उन्होंने अपने जूते से निकाले गए एक अज्ञात रासायनिक पदार्थ का छिड़काव किया. इससे सांसदों के बीच दहशत फैल गई और सदन का कामकाज बाधित हो गया. इस आतंकी घटना के कारण कार्यवाहक अध्यक्ष द्वारा सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई.
संसद के कर्मचारियों की शिकायत पर पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है. इसमें सरकारी काम में बाधा डालने, हमला करने, अत्याचार के लिए घर में घुसने, दंगा भड़काने, साजिश रचने और आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप शामिल हैं.