उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संविधान में निर्धारित भारतीय सरकार के ढांचे के भीतर न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र पर फिर से सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि संसद सर्वोच्च है तथा निर्वाचित प्रतिनिधि ही संविधान के अंतिम स्वामी हैं. उनसे ऊपर कोई प्राधिकारी नहीं हो सकता.
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि संविधान कैसा होगा और उसमें क्या संशोधन होना चाहिए ये तय करना सासंदों का अधिकार है. उनके ऊपर कोई नहीं है. भारतीय जनता पार्टी के कई नेताओं और उपराष्ट्रपति ने हाल ही में शीर्ष अदालत पर अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में अतिक्रमण करने का आरोप लगाया था.
धनखड़ की ताजा आलोचना शीर्ष अदालत द्वारा हिंसा प्रभावित पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए भाजपा नेताओं के एक वर्ग द्वारा न्यायिक अतिक्रमण के आरोपों पर टिप्पणी करने के ठीक एक दिन बाद आई है.
बंगाल में राष्ट्रपति शासन और अर्धसैनिक बलों की तैनाती की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति बीआर गवई ने कहा, आप चाहते हैं कि हम इसे लागू करने के लिए राष्ट्रपति को आदेश जारी करें? वैसे भी, हम कार्यपालिका (क्षेत्र) में अतिक्रमण करने के आरोपों का सामना कर रहे हैं.
इससे पहले गुरुवार को उपराष्ट्रपति ने राज्य द्वारा पारित विधेयक पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के लिए समयसीमा निर्धारित करने पर सर्वोच्च न्यायालय की आलोचना की थी. न्यायपालिका के लिए जवाबदेही का आह्वान करते हुए धनखड़ ने कहा, इसलिए, हमारे पास ऐसे न्यायाधीश हैं जो कानून बनाएंगे, जो कार्यकारी कार्य करेंगे, जो सुपर संसद के रूप में कार्य करेंगे और उनकी कोई जवाबदेही नहीं होगी क्योंकि देश का कानून उन पर लागू नहीं होता है.