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'NEET में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है, री-एग्जाम की मांग ठीक नहीं', सुप्रीम कोर्ट में बोला केंद्र

NEET Paper Leak Case: केंद्र सरकार ने नीट-यूजी 2024 की दोबारा परीक्षा की मांग का विरोध किया है. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि नीट एग्जाम में बड़े पैमाने पर कोई गड़बड़ी नहीं हुई है.आईआईटी-मद्रास की रिपोर्ट का हवाला देते हुए केंद्र ने गड़बड़ी को खारिज किया. केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश किए गए हलफनामे में ये बातें कही गईं हैं.

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Edited By: India Daily Live
Paper leak case
Courtesy: Social Media

NEET Paper Leak Case: केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में एक नया हलफनामा (Affidavit) पेश किया, जिसमें नीट-यूजी 2024 की दोबारा परीक्षा की मांग का कड़ा विरोध किया गया. कहा गया कि आईआईटी-मद्रास की एक रिपोर्ट कुछ चुनिंदा एग्जाम सेंटर्स पर गड़बड़ी या कुछ अभ्यर्थियों को अवैध तरीके से फायदा पहुंचाने के आरोपों का खंडन करती है.

केंद्र सरकार के इस रुख का समर्थन करते हुए, NEET आयोजित करने वाली राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) ने भी सुप्रीम कोर्ट में अलग से एक हलफनामा दायर किया, जिसमें कहा गया कि अब तक केवल 47 अभ्यर्थियों (पटना में 17 और गोधरा में 30) पर पेपर लीक और OMR शीट से संबंधित गड़बड़ियों में शामिल होने का संदेह है. 

एजेंसी ने दावा किया कि 4 मई को टेलीग्राम पर लीक हुए NEET-UG परीक्षा के पेपर की तस्वीर दिखाने वाला वीडियो फर्जी था. हलफनामे में कहा गया है कि टेलीग्राम चैनल के भीतर चर्चा से पता चलता है कि सदस्यों ने वीडियो को फर्जी बताया. समय सीमा में छेड़छाड़ करके पहले ही लीक होने का झूठा आभास कराया गया. सोशल मीडिया पर कमेंट्स इस बात की पुष्टि करती हैं कि वीडियो में मौजूद तस्वीरें एडिट की गई थीं और 4 मई को लीक होने का सुझाव देने के लिए तारीख को जानबूझकर बदला गया था.

केंद्र ने अपने एफिडेविट में और क्या कहा?

केंद्र के हलफनामे के अनुसार, शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग ने आईआईटी-मद्रास से नीट-यूजी 2024 के रिजल्ट का डेटा एनालिसिस करने का अनुरोध किया था, ताकि किसी भी संदिग्ध गड़बड़ी के मामलों की पहचान की जा सके. आईआईटी-मद्रास ने 2023 और 2024 के लिए टॉप 1 लाख 40 हजार रैंक का एनालिसिस किया, ताकि किसी भी तरह की गड़बड़ी का पता लगाया जा सके. केंद्र ने कहा कि इस एनालिसिस का उद्देश्य ये पता लगाना था कि क्या किसी एग्जाम सेंटर या शहर में गड़बड़ी के कारण बड़ी संख्या में छात्रों को किसी तरह के लाभ पहुंचाने के संकेत मिले हैं?

हालांकि, 10 जुलाई की एनालिसिस रिपोर्ट में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी या किसी स्थानीय स्तर पर अभ्यर्थियों को अनुचित लाभ मिलने का कोई संकेत नहीं मिला. हलफनामे में कहा गया है कि एनालिसिस से पता चलता है कि बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का कोई संकेत नहीं है. छात्रों की ओर से प्राप्त अंकों में कुल मिलाकर बढ़ोतरी हुई है. ऐसे हाई स्कोर प्राप्त करने वाले उम्मीदवार कई शहरों और कई केंद्रों में फैले हुए हैं, जो कि गड़बड़ी की बहुत कम संभावना को दर्शाता है.

IIT-मद्रास के डायरेक्टर ने रिपोर्ट को लेकर क्या कहा?

आईआईटी-मद्रास की रिपोर्ट का इसके डायरेक्टर ने समर्थन किया और कहा कि 2023 और 2024 के नीट-यूजी डेटा के एनालिसिस से ये निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि इसमें कोई गड़बड़ी नहीं हुई है. ये एफिडेविट चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच के निर्देश के बाद पेश की गई है. बेंच ने पेपर लीक के नेचर, लीक के तरीके, लीक हुए प्रश्नपत्रों के डिस्ट्रिब्यूशन, लाभार्थियों की पहचान करने के लिए उठाए गए कदमों और भविष्य की परीक्षाओं की अखंडता को सुरक्षित करने के लिए अपनाए गए उपायों के बारे में विवरण मांगा.

केंद्र के हलफनामे में परीक्षा की निष्पक्षता सुनिश्चित करने और किसी भी तरह की गड़बड़ी को दूर करने के लिए केंद्र सरकार की ओऱ से उठाए गए कदमों के बारे में बताया है. बताया गया है कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय यूजी सीटों के लिए काउंसलिंग प्रक्रिया की देखरेख करता है, जो जुलाई 2024 के तीसरे सप्ताह में शुरू होगी. हलफनामे में कहा गया है कि अगर कोई उम्मीदवार गड़बड़ी का दोषी पाया जाता है तो काउंसलिंग प्रक्रिया के दौरान या उसके बाद उसकी उम्मीदवारी रद्द कर दी जाएगी. उधर, एनटीए ने अपनी ओर से कहा कि परीक्षा के संचालन के तरीके को पेन और पेपर मोड (ओएमआर आधारित) से कंप्यूटर आधारित टेस्ट (सीबीटी) मोड में बदलने के विकल्प पर विचार किया जा रहा है. 

परीक्षा प्रक्रिया को मजबूत करने के लिए सरकार ने कहा कि उसने इसरो के पूर्व अध्यक्ष और आईआईटी कानपुर के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष डॉ. के. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में विशेषज्ञों की एक उच्च स्तरीय समिति गठित की है. यह समिति भविष्य की परीक्षाओं में पारदर्शिता और मजबूती बढ़ाने के उपायों की सिफारिश करेगी. हलफनामे में परीक्षा की ईमानदारी सुनिश्चित करने के लिए सरकार के प्रयासों के बारे में भी बताया गया है. कहा गया है कि संसद ने सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024 पारित किया, जो 21 जून, 2024 को लागू हुआ.