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'पाकिस्तानी कह रहे हैं 'हमें वापस ले जाओ': बागेश्वर धाम में मोदी के भारत पर धीरेंद्र शास्त्री का कमेंट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मध्य प्रदेश के छतरपुर में बागेश्वर धाम मेडिकल और साइंस रिसर्च इंस्टिट्यूट की नींव रखी. यह 218 करोड़ रुपए की परियोजना है, जिसका उद्देश्य कैंसर जैसे जटिल रोगों का अत्याधुनिक उपचार प्रदान करना है.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
Pakistanis Dhirendra Shastri taunt on Modi India in Bageshwar Dham

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मध्य प्रदेश के छतरपुर में बागेश्वर धाम मेडिकल और साइंस रिसर्च इंस्टिट्यूट की नींव रखी. यह 218 करोड़ रुपए की परियोजना है, जिसका उद्देश्य कैंसर जैसे जटिल रोगों का अत्याधुनिक उपचार प्रदान करना है. यह संस्थान बागेश्वर धाम के भीतर बनाया जा रहा है, जो भाजपा सरकार की मंदिरों से जुड़ी पहल को और भी मजबूत करता है.

बागेश्वर बाबा का पाकिस्तान पर बड़ा तंज

इस कार्यक्रम के दौरान बागेश्वर धाम के प्रमुख धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने एक बड़ा तंज कसा. उन्होंने कहा, "मोदी जी, जब से आप प्रधानमंत्री बने हैं, पाकिस्तान में भी लोग कह रहे हैं, 'हमें वापस ले जाओ'." शास्त्री का यह बयान धार्मिक भावनाओं के साथ राजनीतिक तंज का मिश्रण था, जिसमें उन्होंने मोदी को वैश्विक नेता के रूप में प्रस्तुत किया, जो व्लादिमीर पुतिन और डोनाल्ड ट्रंप जैसे नेताओं के साथ भारत को नई दिशा में ले जा रहे हैं.

मंदिरों में अस्पताल: एक नया मॉडल?

बागेश्वर धाम मेडिकल और साइंस रिसर्च इंस्टिट्यूट का उद्देश्य स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में एक नया प्रयोग करना है. यह संस्थान 10.9 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला होगा और पहले चरण में इसमें 100-बेड वाला कैंसर उपचार केंद्र होगा, जिसमें आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों को मुफ्त इलाज की सुविधा भी होगी. यह पहल बुंदेलखंड क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ाने के लिए सराहनीय मानी जा रही है, लेकिन यह सवाल भी उठाता है कि क्या धार्मिक संस्थाएं अब विकास मॉडल का हिस्सा बन रही हैं.

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस कदम की सराहना करते हुए कहा, "यह अस्पताल और शोध केंद्र बुंदेलखंड के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा. यह दिखाता है कि मंदिरों का विकास में अहम योगदान हो सकता है." मोदी की इस यात्रा का उद्देश्य सिर्फ स्वास्थ्य सेवा नहीं था. नींव रखने से पहले उन्होंने बागेश्वर धाम मंदिर में पूजा अर्चना भी की, जिससे उनकी हिंदू धार्मिक संस्थाओं से गहरी जुड़ी हुई संबंधों को स्पष्ट किया.

राजनीतिक और धार्मिक संबंध

यह घटनाक्रम भारत में धार्मिक संस्थाओं की बढ़ती भूमिका और उनके विकास और शासन में योगदान के नए मॉडल को दर्शाता है. कुछ लोग इसे सार्वजनिक कल्याण की दिशा में एक सकारात्मक कदम मानते हैं, जबकि आलोचकों का कहना है कि सरकार की नीतियां धार्मिक संस्थाओं से अधिक जुड़ती जा रही हैं, जो लोकतांत्रिक समाज में चिंता का विषय हो सकता है.

प्रधानमंत्री मोदी के इस दौरे में बागेश्वर धाम से जुड़ी धार्मिक पहल के साथ-साथ उन्होंने भोपाल में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2025 का उद्घाटन भी किया, जिसमें 60 से अधिक देशों के प्रतिनिधि और 300 से ज्यादा व्यापारिक नेता शामिल हुए. उनका यह कदम यह संकेत देता है कि केंद्र सरकार विकास की प्रक्रिया में धार्मिक संस्थाओं की मदद लेने को तैयार है, लेकिन यह भी सवाल उठता है कि क्या इससे धर्म और राजनीति के बीच की रेखा और भी धुंधली हो जाएगी.