2018 में दिलाई थी PM की कुर्सी, आखिर क्यों आर्मी ने ही इमरान को किया बोल्ड?

2018 में नवाज शरीफ को कोर्ट से झटके लग रहे थे, आज इमरान खान को लग रहे हैं. उस वक्त नवाज की हार तय थी, तो अब इमरान खान की हार तय मानी जा रही है. 2018 के चुनाव में नवाज शरीफ सलाखों के पीछे थे, तो आज इमरान खान जेल में हैं. सवाल ये कि आखिर ये सब क्यों हो रहा है? कौन कर रहा है? क्यों कर रहा है?

Om Pratap

Pakistan election 2024: पांच साल जिस पाकिस्तानी आर्मी ने इमरान खान को प्रधानमंत्री की कुर्सी दिलाई थी, अब उसी सेना ने उन्हें क्लीन बोल्ड कर दिया है. सवाल ये है कि आखिर 5 सालों में ऐसा क्या बदल गया कि पाकिस्तानी आर्मी हाथ धोकर इमरान खान के पीछे पड़ गई है. एक दिन बाद यानी गुरुवार को पाकिस्तान में आम चुनाव के लिए वोटिंग होनी है और पिछले चुनाव में भारी जीत दर्ज करने वाले इमरान खान जेल में बंद है. पाकिस्तान की अलग-अलग कोर्ट से उन्हें झटके लग रहे हैं और एक के बाद एक सुनवाई में उन्हें सजा सुनाई जा रही है. 

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री की आखिर ये हालत क्यों और कैसे हुई, ऐसा क्या हुआ, जो पिछले आम चुनाव में 5 सीटों से चुनाव जीतने वाले इमरान आज सलाखों के पीछे कैद हो गए. इसका जवाब जानने के लिए थोड़ा पीछे चलते हैं. बात 2018 की है, जब पाकिस्तान में आम चुनाव की तैयारियां हो रही थीं. ये वो दौर था, जब इमरान खान की राजनीतिक पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के चर्चे हो रहे थे. इमरान खान उस वक्त जनता की आंखों का तारा तो थे ही, साथ ही उनके उम्मीदवारों पर भी जनता खूब प्यार लूटा रही थी. उधर, चुनाव के दौरान मुख्य विपक्षी पार्टी यानी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) को जनता अपना दुश्मन मान रही थी. 

दरअसल, माना जाता है कि पाकिस्तान की सत्ता का चाभी अक्सर सेना के हाथों में होती है, वहीं से सत्ता राजनीतिक पार्टी के नेताओं को ट्रांसफर होती रहती है. राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, 2018 के चुनाव में पाकिस्तानी आर्मी ने ही इमरान को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के कुर्सी तक पहुंचने में मदद की थी. चुनाव के बाद इमरान की ताजपोशी हुई. तीन साल तक इमरान की सरकार और सेना में सबकुछ ठीक रहा लेकिन 2021 के आखिर में तालमेल बिगड़ने लगा.

तत्कालीन आर्मी चीफ से क्यों बिगड़ा इमरान का तालमेल?

इमरान सरकार के बनने के एक साल बाद यानी 2019 में पाकिस्तानी आर्मी चीफ जनरल बाजवा का कार्यकाल तीन साल बढ़ा दिया गया. दो साल बाद यानी 2021 में खुफिया एजेंसी ISI के चीफ फैज हमीद हुआ करते थे, जो इमरान खान के करीबियों में से एक थे. उस दौरान इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशन यानी ISPR ने फैज हमीद का ट्रांसफर कर पेशावर का कोर कमांडर नियुक्त कर दिया. कहा जाता है कि ये फैसला लेने से पहले आर्मी चीफ से कोई सलाह नहीं ली गई.  इसके साथ चर्चा ये भी होने लगी कि 2022 तक आर्मी चीफ के पद पर बने रहने वाला जनरल बाजवा का कार्यकाल अब नहीं बढ़ाया जाएगा. इसी के बाद इमरान और बाजवा में तालमेल बिगड़ गया. 

ये वही दौर था, जब इमरान खान ने पाकिस्तानी सेना पर विपक्ष से मिलीभगत का आरोप लगा दिया. इसके साथ ही इमरान ने भारतीय सेना की तारीफ भी कर दी और कहा कि इंडियन आर्मी कभी भी भारत सरकार के कामकाज में दखल नहीं देती है. भारतीय सेना की तारीफ और पाकिस्तानी सेना की आलोचना के बाद तो इमरान और बाजवा के बीच पड़ी दरार और बढ़ गई. 

जनवरी 2022 में वायरल ऑडियो ने बिगाड़ दिया पूरा गेम

जैसे-जैसे बाजवा की विदाई के दिन नजदीक आ रहे थे, उसी दौरान पाकिस्तान की राजनीति में एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया. दरअसल, जनवरी 2022 में इमरान खान का एक ऑडियो वायरल हुआ, जिसमें उन्हें ये कहते हुए सुना गया कि अगर मेरी सरकार गिरी तो इसका खामियाजा भुगतना होगा. माना गया कि इमरान ने ये आरोप सेना पर लगाए थे. इससे पहले वे सेना और विपक्ष की मिलीभगत का आरोप लगा ही चुके थे. 

इमरान के ऑडियो वायरल होने के तीन महीने बाद ही उनकी सरकार गिर गई. इसके बाद तो इमरान सार्वजनिक रैलियों में सीधे तौर पर सरकार गिराने के लिए पाकिस्तानी सेना को जिम्मेदार बताने लगे. इसके बाद जब नवंबर 2022 में इमरान पर हमला हुआ, तब भी उन्होंने इसके लिए शहबाज सरकार और विदेशी ताकतों पर हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया. 

मई 2023 में कंटेन्मेंट एरिया में PTI समर्थकों का धावा  

पाकिस्तानी सेना पर आरोपों के बीच पिछले साल यानी मई 2023 में इमरान खान की पार्टी के समर्थक अचानक कंटेन्मेंट एरिया में पहुंच गए और मोबाइल से वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया और दावा किया कि पाकिस्तानी सेना के अफसर लैविश लाइफ जीते हैं. बस यहां से स्थिति और बिगड़ गई. इमरान के ऊपर एक के बाद एक कई मामले दर्ज किए गए और आखिरकार उन्हें सलाखों के पीछे भेज दिया गया. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इमरान खान पर 150 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं. वहीं, पिछले 10 दिनों में उन्हें तीन अलग-अलग मामलों में जेल की सजा भी सुनाई जा चुकी है. 

सरकार गई, जेल गए, पार्टी के अस्तित्व पर भी खतरा

इमरान खान फिलहाल 'साइफर केस' में 10 साल, 'तोशाखाना मामले' में 14 साल की सजा काट रहे हैं. वहीं, बुशरा बीबी से निकाह को अवैध साबित होने के बाद उन्हें 7 साल जेल की सजा सुनाई गई है. इमरान के सलाखों के पीछे जाने के बाद एक रोचक घटनाक्रम में उनकी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ का चुनावी चिन्ह 'बल्ला' भी छीन लिया गया. जिस इमरान खान ने पिछले आम चुनाव में 5 सीट से जीत दर्ज की थी और 22 सालों की मेहनत के बाद अपनी पार्टी को पाकिस्तान की सत्ता दिलाई थी, उसे सलाखों के पीछे बंद कर दिया गया है. कल यानी 8 फरवरी को होने वाले आम चुनाव में उनकी पार्टी मैदान में तो है, लेकिन कितनी सीटें जीत पाएगी, ये रिजल्ट के बाद ही पता चल पाएगा. बता दें कि 2018 के आम चुनाव में PTI ने 155 सीटें जीती थीं.