Pahalgam Terror attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार (22 अप्रैल 2025) में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को दहला दिया. इस हमले में 28 पर्यटकों की जान चली गई. इस दौरान आतंकवादियों ने पर्यटकों से उनकी धार्मिक पहचान साबित करने के लिए कलमा पढ़ने को कहा. वहीं, इस हमले के एक पीड़ित शुभम द्विवेदी के रिश्तेदार ने इंडिया टुडे टीवी को बताया, “भैया और भाभी मैगी खा रहे थे, तभी दो लोग सैन्य वर्दी में आए और पूछा, ‘क्या आप मुस्लिम हैं? अगर हां, तो कलमा पढ़ो. कलमा पढ़ना इस हमले में जीवन और मृत्यु का सवाल बन गया.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसा यह पहला मौका नहीं है जब आतंकवादियों ने कलमा का इस्तेमाल धार्मिक पहचान जांचने के लिए किया. साल 2014 में केन्या में अल-शबाब आतंकवादियों ने बस हमले में 28 लोगों को कलमा पढ़ने को कहा.
इधर, केन्याई पुलिस के अनुसार, जो लोग कलमा नहीं पढ़ पाए, उन्हें गैर-मुस्लिम मानकर मार दिया गया. भारतीय सिनेमा भी इस सच्चाई को दर्शाता है. ऐसे में आनंद एल राय की फिल्म ‘रांझणा’ (2013) में धनुष का किरदार अभय देओल के किरदार से कलमा पढ़ने को कहता है. अभय का किरदार कलमा नहीं पढ़ पाता, जिससे उसकी पहचान उजागर होती है.।
जानिए कलमा क्या है और इसका महत्व?
कलमा इस्लाम में आस्था की घोषणा है, जो अल्लाह की एकता और पैगंबर मुहम्मद की नबूवत को स्वीकार करता है. मैनचेस्टर सेंट्रल मस्जिद और इस्लामिक रिलीफ के अनुसार, पहला कलमा, जिसे कलमा तय्यिब कहते हैं, इस प्रकार है: “ला इलाहा इल्लल्लाह वहदहु ला शरीका लहु, लहु व अशहदु अन्ना मुहम्मदन अब्दुहु व रसूलुहु. इसका अर्थ है, “कोई ईश्वर नहीं सिवाय अल्लाह के, वह अकेला है, उसका कोई साझी नहीं, और मुहम्मद उसके दूत हैं.
इस्लाम में छह कलमों का क्या है महत्व?
दरअसल, इस्लाम में छह कलमे हैं, प्रत्येक का विशेष उद्देश्य है. जबकि, दूसरा कलमा (शहादा) आस्था की पुष्टि करता है, तीसरा (तमजीद) अल्लाह की महिमा करता है, चौथा (तौहीद) एकेश्वरवाद पर जोर देता है, पांचवां (अस्तगफार) पापों की माफी मांगता है, और छठा (रद्दे कुफ्र) बहुदेववाद को नकारता है. ये कलमे मुस्लिमों को उनकी आस्था से जोड़े रखते हैं और दैनिक जीवन में मार्गदर्शन प्रदान करते हैं.