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India Daily

LoC के पार 42 एक्टिव लॉन्च पैड, भारत में घुसे 125 आतंकी, पाकिस्तान की भारत को दहलाने की नापाक हरकत का खुलासा

पहलगाम में पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों द्वारा गर्मियों में किए जाने वाले हमलों की शुरुआत हो गई है. खुफिया जानकारी के अनुसार जम्मू नियंत्रण रेखा पर करीब 100 आतंकवादी घुसपैठ की फिराक में हैं. हाल के महीनों में घुसपैठ की कोशिशें बढ़ी हैं.

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Edited By: Mayank Tiwari
Pahalgam Terror Attack
Courtesy: Social Media

Pahalgam Terror Attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार (22 अप्रैल) को हुए आतंकी हमले में करीब 28 लोगों ने अपनी जांन गंवाई हैं. दरअसल, पहलगाम में हालिया आतंकी घटना पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों के ग्रीष्मकालीन हमलों की शुरुआत है. खुफिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जम्मू के सामने नियंत्रण रेखा पर 32 लॉन्च पैड्स (छोटे-छोटे गांव) में करीब 100 आतंकी घुसपैठ की फिराक में हैं. वहीं, कश्मीर के सामने 10 लॉन्च पैड्स में 35 आतंकी मौजूद हैं. बीते छह महीनों में जम्मू की ओर से 50 घुसपैठ की कोशिशें दर्ज की गई हैं. बताया जा रहा है कि, “पाकिस्तान की आईएसआई और आतंकी संगठन जम्मू-कश्मीर में शांति नहीं चाहते.

मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि कुछ आतंकी जम्मू के दक्षिणी रास्तों से घुसपैठ कर कश्मीर की ओर बढ़े हैं. कश्मीर में 75 आतंकी सक्रिय हैं, जबकि जम्मू में 50 हैं. दरअसल, जम्मू का इलाका कम पहाड़ी होने के कारण छिपने की जगहें सीमित हैं. भारत में मौजूद 115 आतंकियों में से केवल 10 स्थानीय हैं, बाकी विदेशी घुसपैठिए हैं. आतंकियों को टेक्निकल सपोर्ट भी मिल रही है. ड्रोन के जरिए हथियार भेजे जा रहे हैं. वहीं, साल 2023 में 125 ड्रोन बरामद हुए, जबकि पिछले साल यह संख्या बढ़कर 300 हो गई.

शांति के बाद तूफान: पहलगाम की घटना

पहलगाम की घटना से पहले जम्मू-कश्मीर में सापेक्ष शांति थी. साल 2022 में 107 आतंकी हमले हुए, जो 2023 और 2024 में घटकर क्रमशः 27 और 26 रह गए. हालांकि, इस साल 31 मार्च तक केवल तीन हमले दर्ज हुए. लेकिन इसके बाद अंतरराष्ट्रीय सीमा के रास्ते घुसपैठ की आशंका बढ़ी. एक स्थानीय विश्लेषक ने कहा, “पहलगाम ने शांति के उस दौर को तोड़ दिया, जो पर्यटन और आर्थिक विकास के लिए जाना जा रहा था.

पर्यटन पर पड़ेगा काफी प्रभाव

पिछले साल जम्मू-कश्मीर में 2.35 करोड़ पर्यटक आए. इसके अलावा अमरनाथ यात्रा में पांच लाख श्रद्धालु शामिल हुए. जबकि, श्रीनगर के लाल चौक में रोजाना 11,000 पर्यटकों की आवाजाही थी. यह आर्थिक समृद्धि का प्रतीक था. लेकिन पाकिस्तान के आतंकी तंत्र और आईएसआई इसे बर्दाश्त नहीं कर सके. पहलगाम की घटना ने इस प्रगति को करारा झटका दिया है.