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एक हार और धीरे-धीरे छिन रहा अधीर रंजन का 'आधार'! कांग्रेस-TMC कौन से खिचड़ी पका रही हैं?

West Bengal Politics: लोकसभा चुनावों के बाद अब पहला सत्र शुरू होने जा रहा है. इससे पहले विपक्ष में अलग ही खिचड़ी पक रही है. अलग-अलग चुनाव लड़ने के बाद अब संभावना जताई जा रही है कि कांग्रेस और TMC फिर से NDA के खिलाफ एक हो सकते हैं. ऐसे में एक हार के बाद लोकसभा में कांग्रेस के नेता रहे अधीर रंजन चौधरी का कद और कम हो सकता है.

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Courtesy: India Daily Live

West Bengal Politics: 24 जून से लोकसभा का सत्र शुरू होने जा रहा है. इसमें INDIA गठबंधन ने सरकार और भाजपा को घेरने के लिए प्लान किया है. ऐसे में वो चाहते हैं कि मूल इंडिया गठबंधन के साथी एक मंच पर आएं. 18वीं लोकसभा के पहले सत्र से पहले ही कांग्रेस आलाकमान ने TMC से संपर्क साधा है. ऐसे में पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अंतरिम प्रमुख अधीर चौधरी की बरहामपुर गढ़ हार के बाद से कमजोर हुई स्थिति और ज्यादा कमजोर हो सकती है. आइये जानें अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस और लेफ्ट के रिश्तों पर क्या असर होगा?

गुरुवार को कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री पी चिदंबरम कोलकाता में टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी से सचिवालय में मुलाकात की है. सूत्रों की मानें तो दोनों के बीच इस बार को लेकर चर्चा हुई है कि TMC और कांग्रेस विपक्ष की दो मजबूत पार्टियां है ऐसे में में उन्हें सरकार के खिलाफ एक जुट होना चाहिए.

क्या खिचड़ी पक रही है?

कांग्रेस की पश्चिम बंगाल इकाई अब दुविधा में आ गई है. AICC संसद और उसके बाहर BJP के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने के लिए TMC से हाथ मिला रही है. ऐसे में पश्चिम बंगाल के कांग्रेस नेताओं के पास कम गुंजाइश बच रही है. वो सालों से CPIM के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे के साथ गठबंधन रहे हैं और लगातार CPIM के साथ मिलकर TMC का विरोध करते रहे हैं. अधीर रंजन चौधरी ने भी ममता के साथ से किनारा कर लिया था.

शुक्रवार को हुआ कांग्रेस की बैठक

जानकारी के अनुसार, शुक्रवार को बंगाल कांग्रेस की एक बैठक आयोजित हुई. इसमें लोकसभा चुनावों में पार्टी की हार को लेकर समीक्षा की गई. इसमें कहा गया कि कांग्रेस ने वाम मोर्चे के साथ गठबंधन कर टीएमसी और भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ा था. इसमें कहा गया कि 2019 के लोकसभा और 2021 के विधानसभा चुनावों के मुकाबले वोट शेयर में मामूली वृद्धि हुई है. इस कारण ज्यादातर नेताओं ने माना की कांग्रेस को या तो अकेले लड़ना चाहिए या फिर CPIM के साथ रहना चाहिए. इससे राज्य में धीरे-धीरे ही सही पर लगातार शेयर बढ़ सकता है.

अधीर रंजन साध रखे हैं चुप्पी

पश्चिम बंगाल कांग्रेस के नेता अधीर चौधरी समेत कुछ आला नेताओं ने मुद्दे पर चुप्पी साधे रखी है. चौधरी लोकसभा चुनाव में टीएमसी के यूसुफ पठान से अपने ही गढ़ में हार गए हैं. हार के बाद उनका कद काफी घट गया है. हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया है कि वो टीएमसी का विरोध क्यों कर रहे हैं?

कांग्रेस को बिना शर्त आना चाहिए

टीएमसी नेता फिरहाद हकीम ने कहा कि पहले हम भी कांग्रेस में हुआ करते थे और सीपीआई (एम) के साथ मिलकर लड़ते थे. तब बाम मोर्चे से लड़ने के लिए ममता बनर्जी ने अकेले चलने के रास्ता अपनाया. उस समय कांग्रेस ने साख खो दी. क्यों लोग कांग्रेस की तुलना में CPIM के विरोध को प्यार दे रहे थे. अब उन्होंने फिस से CPIM का साथ अपना कर विश्वास खो दिया है. ऐसे में उनको बिना शर्त TMC के साथ आ जाना चाहिए.

अधीर रंजन का 'आधार' खत्म

पूरे घटनाक्रम पर सीपीआई (एम) नेता सुजान चक्रवर्ती ने कहा कि कांग्रेस को क्या करना है इसके दिल्ली में बैठे नेता तय करेंगे. वहीं भाजपा नेता समिक भट्टाचार्य ने कहा कि कांग्रेस राज्य में एक 'साइन बोर्ड पार्टी' बन गई है. इनके लिए यहां कोई संभावना नहीं है. इस पूरे मामले में एक बात जरूर सामने आ रही है कि सायद AICC अधीर रंजन की सुन ही नहीं रही है. अगर वो वापस TMC के साथ जाती है जो कांग्रेस से मानों अधीर रंजन का 'आधार' खत्म ही है.