लोकसभा में आज, जगदंबिका पाल की अगुवाई वाली संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की रिपोर्ट वक्फ बिल पर पेश की गई. विपक्षी सांसदों ने इस रिपोर्ट पर तीखा विरोध जताया और हंगामा किया. उनका कहना है कि यह बिल मुस्लिम समुदाय को बर्बाद करने की साजिश है. विभिन्न विपक्षी नेताओं ने सरकार के इस कदम की आलोचना करते हुए इसे मुस्लिमों के धार्मिक अधिकारों पर हमला करार दिया.
महबूबा मुफ्ती का बयान
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने वक्फ बिल पर कहा कि बीजेपी केवल वोट बैंक की राजनीति कर रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी पहले धारा 370 के मुद्दे पर राजनीति कर चुकी है, फिर मंदिर-मस्जिद विवाद को उकसाया और अब वक्फ बिल को लेकर मुस्लिम समुदाय के धार्मिक संस्थानों को निशाना बना रही है. मुफ्ती का कहना था कि सरकार का यह कदम मुस्लिमों की आस्था और वर्शिप पर सीधा हमला है.
ओवैसी का आरोप
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ बिल को पूरी तरह से असंवैधानिक करार दिया. ओवैसी का कहना था कि यह बिल मुसलमानों को उनके धार्मिक अधिकारों से वंचित करने और उन्हें बर्बाद करने के लिए लाया जा रहा है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इस बिल पर चर्चा के लिए ऐसे लोगों को बुलाया गया जिनका इससे कोई वास्ता नहीं था. ओवैसी ने यह भी कहा कि सरकार मस्जिदों, कब्रिस्तानों और दरगाहों को मुसलमानों से छीनने के लिए इस बिल का इस्तेमाल कर रही है.
विपक्षी सांसदों का विरोध और विपक्षी दलों की भूमिका
समाजवादी पार्टी के सांसद अवधेश प्रसाद ने इस बिल पर तीखा विरोध जताया और कहा कि सरकार ने विपक्षी दलों के सुझावों को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया है. उन्होंने यह भी कहा कि यह बिल देश के वास्तविक मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए लाया गया है. प्रसाद ने कहा कि उनकी पार्टी इस विधेयक का विरोध करती है और इसका बहिष्कार भी कर रही है. उन्होंने कहा कि वे इस बिल को किसी भी हालत में पारित नहीं होने देंगे.