पाकिस्तान में बाबर, तैमूर, औरंगजेब, गौरी और गजनवी के कसीदे पढ़े जाएं, तो यह समझ आता है: राजनाथ सिंह
राजनाथ सिंह का यह बयान धर्म और राजनीति के दुरुपयोग के खिलाफ एक मजबूत संदेश है. उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत की संस्कृति और इतिहास सभी समुदायों को गले लगाने वाला रहा है. यह बयान सामाजिक एकता को बढ़ावा देने के साथ-साथ ऐतिहासिक तथ्यों को सामने लाता है.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजी नगर में एक कार्यक्रम के दौरान मुगल शासकों पर जबरदस्त हमला बोला. उन्होंने महाराणा प्रताप और छत्रपति शिवाजी का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत के ऐतिहासिक नायक धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करते थे. उनके इस बयान ने देश में व्यापक चर्चा छेड़ दी है.
मुगल शासकों पर सवाल
राजनाथ सिंह ने कहा, "औरंगज़ेब की शान में कुछ लोग क़सीदे पढ़ने का काम करते हैं. अगर पाकिस्तान में बाबर, तैमूर, औरंगज़ेब, गौरी और गज़नवी के क़सीदे पढ़े जाएं, तो यह समझ आता है, क्योंकि उनकी नीति और राजनीति दोनों ही भारत विरोधी हैं." उन्होंने सवाल उठाया कि कुछ लोग भारत में इन शासकों का समर्थन क्यों करते हैं. उन्होंने आगे कहा, "पाकिस्तान का इंडिया स्टैंड हम समझ सकते हैं, लेकिन इन लोगों की क्या मजबूरी है, जो नहीं समझते हैं."
मुस्लिम समाज का अपमान
रक्षा मंत्री ने मुगल समर्थकों पर निशाना साधते हुए कहा, "क्या उन्हें लगता है कि बाबर, तैमूर, औरंगज़ेब, गौरी और गज़नवी के समर्थन से उन्हें मुस्लिम समाज का समर्थन मिल जाएगा? वे ऐसा करके देश के मुस्लिमों का भी अपमान कर रहे हैं." उन्होंने जोर देकर कहा, "हम मज़हब की राजनीति नहीं करते हैं, मेरे लिए सभी भारतीय समान हैं."
ऐतिहासिक उदाहरण
राजनाथ सिंह ने ऐतिहासिक तथ्यों का हवाला देते हुए कहा, "हमारे आदर्श इस्लाम विरोधी बिल्कुल नहीं थे. हकीम खान सूरी ने हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप के साथ मुगलों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी. छत्रपति शिवाजी महाराज की सेना में भी मुस्लिम समाज के लोग थे." यह बयान भारतीय इतिहास में समावेशी नेतृत्व को रेखांकित करता है.